9 Years Of Modi: दिल्ली देश कि राजधानी है और समय के साथ इसने अनेक विकास कार्य होते देखे हैं पर ये विकास कार्य एकाकी होते थे. कभी कहीं कोई इवेंट आया तो एक दो स्टेडियम बन गए. कभी कोई एक पुल बन गया. दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल या अन्य आयोजन भी हुए पर दिल्ली में दो तरह की दिल्ली साफ दिखती थीं. एक साफ सुथरी साधन सम्पन्न लुटियन दिल्ली और दूसरी शेष दिल्ली, जिसमें पूर्वी, उत्तर पूर्वी दिल्ली के साथ ही पश्चिम और उत्तर पश्चिम दिल्ली के कुछ क्षेत्रों को देखकर तो ऐसा लगता था जैसे यह राजधानी के भाग है ही नहीं. ट्रैफिक जाम, बढ़ता प्रदूषण, गंदगी, अवैध कब्जे दिल्ली की पहचान थे. 


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यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 2013 तक दिल्ली और दिल्ली-एनसीआर को लेकर योजनाएं तो बहुत बनती थीं पर उनका क्रियान्वन बहुत धीमा होता था और ऐसे वक्त 2014 में देश की तरह दिल्ली वालों ने भी सातों लोकसभा सीटें देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चुनी और वहीं से शुरू हुई दिल्ली के समग्र विकास और परिवर्तन की गाथा. 2014 के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा ने दिल्ली के लोगों पर खासकर बच्चों पर एक अमिट छाप छोड़ी और यहीं से शुरू हुआ एक सामाजिक परिवर्तन, जहां बच्चों ने अपने अभिभावकों से तो आम लोगों ने आपस में सफाई के महत्व पर चर्चा शुरू की और फिर इसका असर दिल्ली की सड़कों पर दिखना शुरू हो गया. सड़कें पहले से साफ रहने लगीं.


भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम ने जहां दिल्ली को ढलावमुक्त शहर बनाने का संकल्प लिया और उसे पूर्ण किया तो लैंडफिल साइट की सफाई में आज केंद्र सरकार का नेशनल हाईवे कार्पोरेशन अपना पूरा सहयोग दे रहा है.
दिल्ली की एक बड़ी समस्या रही है बढ़ता प्रदूषण, जिसके तीन मुख्य कारण थे. अन्य राज्यों से ट्रकों की आवाजाही, सड़कों पर बढ़ता छोटे वाहनों का दबाव और राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा के साथ ही अंडरपास व ओवरब्रिजों का अभाव. 1980 के दशक से ट्रकों के दिल्ली में अनावश्यक प्रवेश को रोकने से लेकर सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास की बात तो बहुत होती थी पर संसाधन की कमी बताकर सब टलता रहता था.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही दिल्ली को नया रूप देने का संकल्प लिया और देखते ही देखते दशकों से अटका ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का सपना पूरा हुआ. दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश 60 प्रतिशत तक कम हो गया और राजधानी की हवा में परिवर्तन महसूस होने लगा. देखते ही देखते अक्षरधाम से मेरठ का राजमार्ग हो या फिर धौलाकुआं चौक परियोजना, सब समय से शुरू होकर समय पर खत्म हो गई. दिल्ली के सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याएं हल होने लगीं. मोदी सरकार लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से जहां  दिल्ली के हाईवे विकास पर काम कर रही है तो वहीं तीव्र गति से हुए मथुरा रोड से रिंग रोड अंडरपास-प्रगति मैदान टनल के निर्माण ने पूर्वी दिल्ली ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सुलभता से दक्षिण और नई दिल्ली से जोड़ दिया है.


आज दिल्ली में मोदी सरकार तीसरा रिंग रोड बनवा रही है. बाहरी और दिल्ली देहात में अनेक सड़कों का निर्माण हो रहा है. मेट्रो के चौथे चरण का विस्तार सफलता से पूरा होने से सड़कों पर छोटे वाहनों का दबाव घट रहा है. मोदी सरकार की दी हुई इलेक्ट्रानिक बसों से दिल्ली में प्रदूषण घटाने में सहयोग मिला है. दिल्ली-गुरुग्राम यात्रा को सुगम बनाने के लिए एक टनल पर काम चल रहा है तो दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. 
अंतरराष्ट्रीय मेलों और कांफ्रेंस के लिए दिल्ली में केवल एक स्थान था वो है प्रगति मैदान, जिसका मूल निर्माण 1970 दशक में हुआ था और अपना अंतरराष्ट्रीय स्तर खो चुका था. मोदी सरकार ने इस कमी को समझा और 2018 में मथुरा रोड स्थित प्रगति मैदान के कायाकल्प की योजना बनाई और आज नए कलेवर में प्रगति मैदान है. 


पश्चिम दिल्ली के द्वारका में 25 हजार करोड़ की लागत से नया इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर भी दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस स्थली के रूप में स्थापित कर रहा है. राजपथ को कर्तव्यपथ कहना केवल नाम बदलने की बात नहीं, बल्कि देशवासियों को अपने देश के प्रति कर्तव्यों का स्मरण कराने का साधन बना है. इंडिया गेट पर वार मेमोरियल का निर्माण हो या नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापना, सबने दिल्ली वालों के सपने को साकार किया है. डॉ. भीमराव अंबेडकर के अलीपुर रोड स्थित स्मारक को तीर्थ बनाकर और जनपथ पर नया अंबेडकर स्मारक हॉल बनाकर दिल्ली को पूर्णता दी गई है.


नए संसद भवन निर्माण के साथ ही उसे धरमदंड से सुशोभित करना हो या नए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण या फिर नेताजी नगर, किदवई नगर आदि का पुनर्विकास, सबने दिल्ली को नई पहचान दी है. यमुना की सफाई के नाम पर स्थानीय सरकारों ने कहा बहुत, किया कुछ नहीं. अब केंद्र सरकार के निर्देश पर उपराज्यपाल महोदय यमुना सफाई और रिवर फ्रंट विकास पर काम रहे हैं, जो G20 बैठक से पहले सम्पन्न हो सकता है. बदरपुर में बन रहा ईको पार्क भारतवासियों को विश्वस्तरीय पार्क तो देगा ही, ईकोलोजी के महत्व को भी स्थापित करेगा. दिल्ली की शिक्षा सुधार में भी केंद्र सरकार ने 21 केंद्रीय एवं नवोदय स्कूल स्वीकृत कर अपना योगदान दिया है. वहीं विस्तृत सफदरजंग, एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पतालों के बिना स्वास्थ सेवाओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती.


एक संवेदनशील सरकार की तरह जहां झुग्गी वहां मकान योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने भूमिहीन कैंप कालकाजी पर, कठपुतली कॉलोनी में और नरेला में हजारों फ्लैट्स बनवाकर आवंटन कर गरीबों को बेहतर भविष्य दिया है.
दिल्ली का हवाई अड्डा ही नहीं अब तो रेलवे स्टेशन पर रखा पहला कदम ही देशवासियों का एक नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय स्तर की दिल्ली से परिचय कराता है. इसक पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प और मार्गदर्शन को जाता है. मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरुचि लेकर दिल्ली में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास करवाया है, जिससे आज दिल्ली एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्मार्ट सिटी बनने की ओर है.


(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल पूरे होने और केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का आलेख)