Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर वो खतरनाक बीमारी है, जो हर साल लाखों महिलाओं की मौत की वजह बन रहा है. 2022 में पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर के कारण 6,70,000 मौतें हुईं. इन दिनों टीवी की पॉपुलर एक्ट्रेस हिना खान इन दिनों ब्रेस्ट कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जंग लड़ रही हैं. हिना का इलाज मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा है, लेकिन अगर सही वक्त पर बीमारी की पहचान करके इलाज किया जाए तो मरीजों को न सिर्फ बचाया जा सकता है, बल्कि वो एक बढ़िया लाइफ जी सकता है. 


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पिछले दिनों ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हिना खान ने सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट शेयर कर अपना दर्द बयां किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें कितना दर्द है. ब्रेस्ट कैंसर क्या है और कैसे शुरुआत चरण में इसकी पहचान कर इसका इलाज किया जा सकता है, इस बारे में दिल्ली के शालीमार बाग में मौजूद मैक्स हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी ने विस्तार से बताया. 


ब्रेस्ट कैंसर क्या है (what is breast cancer)
यह कैंसर स्तन में शुरू होता है. ये तब होता जब कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं. अधिकतर मामलों में स्तन कैंसर कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं, जिसे अक्सर एक गांठ के रूप में महसूस किया जा सकता है. एक्सपर्ट ने बताया कि स्तन का कार्य अपने टिश्यू से दूध बनाना होता है. ये टिश्यू सूक्ष्म वाहिनियों द्वारा निप्पल से जुड़े होते हैं, जब इन वाहनियों में छोटे सख्त कण जमने लगते हैं या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ बनती है, तब कैंसर बढ़ने लगता है.


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इलाज कैसे किया जाता है (Breast Cancer Treatment)
सामान्य तौर पर ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का सबसे आम तरीका है-स्तन कैंसर की सर्जरी. इसके अलावा कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा या हार्मोन थेरेपी जैसे विकल्प भी अपनाए जाते हैं. हालांकि डॉ. कुमार दीप दत्ता चौधरी बताते हैं कि स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सफलता पानी है तो इसका जल्दी पता लगाना जरूरी है. अगर इस कैंसर के पहचान जल्दी कर ली गई तो फिर मरीज के बचने की दर में सुधार होता है. नीचे जानिए स्तन कैंसर की पहचान करने के विकल्प.


क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन (CBE)
स्तन कैंसर का पता करने के लिए 30-40 साल की उम्र की महिलाओं को क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन (सीएसई) कराना चाहिए, मासिक रूप से बीएसई के साथ साल में एक बार हेल्थ प्रोफेशनल से जांच करवाना चाहिए. CBE के दौरान डॉक्टर स्तनों की समरूपता, डिंपलिंग या त्वचा में होने वाले बदलावों की जांच करते हैं. इससे गांठ या द्रव्यमान का पता लगाने के लिए स्तनों और आसपास के ऊतकों को भी टटोला जाता है.


जोखिम के कारकों का पता करना
स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट्स उन कारकों का पता करने की कोशिश करते हैं, जो स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इसके लिए डॉक्टर पीड़ित के परिवार ही हिस्ट्री, मासिक धर्म का इतिहास, धूम्रपान, शराब के सेवन के बारे में पूछताछ करते हैं. यह सब कुछ पता करने के साथ बेहतर उपचार देने में मदद मिलती है.


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कैंसर के निदान के विकल्प
स्तन कैंसर के लिए जब CBE या जोखिम कारक मूल्यांकन संदेह पैदा करता है तो डॉक्टर आगे के मूल्यांकन के लिए विभिन्न निदान उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं. 


मैमोग्राफी-  यह एक ऐसा एक्स रे होता है जो स्तन की जांच के लिए किया जाता है. इसकी मदद से स्तन कैंसर का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट में डॉक्टर स्तन का एक्स रे करते हैं.


अल्ट्रासाउंड- ब्रेस्ट कैंसर की जांच में ब्रेस्ट के अंदर टिश्यूज की इमेजिंग के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है. अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का यूज होता है, जिसकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि बाहर से महसूस हो रही कोई ठोस गांठ ट्यूमर है या सॉफ्ट सिस्ट.


MRI- अधिक जोखिम वाली महिलाओं के लिए स्तन के एमआरआई की सिफारिश की जाती है. यह स्कैन एक इमेजिंग टेस्ट है, जो ब्रेस्ट और आस-पास के ऊतकों की तस्वीरें बनाने के लिए शक्तिशाली चुंबक और रेडियो तरंगों का उपयोग करता है. इसमें विकिरण ( एक्स-रे ) का उपयोग नहीं किया जाता है.  स्तन एमआरआई को अक्सर मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड के साथ किया जाता है. 


बायोप्सी- ब्रेस्ट बायोप्सी में डॉक्टर टेस्ट के लिए संदिग्ध क्षेत्र से एक टिश्यू का सैंपल निकालते हैं. ब्रेस्ट बायोप्सी कई तरह से की जा सकती है. इससे ब्रेस्ट में मैलिगनेंट कैंसर सेल्स की उपस्थिति का सही पता किया जा सकता है.


समय पर बीमारी की पहचान से सर्जरी की जरूरत नहीं 
सोनाली बेंद्रे, मनीषा कोइराला और मुमताज समेत बॉलीवुड की एक्ट्रेस ब्रेस्ट कैंसर को मात दे चुकी हैं. आज कैंसर से निपटने के लिए मरीजों को जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है. डॉक्टर का कहना है कि अगर सही वक्त पर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कर ली गई तो सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती. इसके लिए नियमित तौर पर जांच कराना जरूरी है.