Delhi News: कैंसर की सर्जरी के बाद भी गर्भधारण कर सकती हैं महिलाएं, एक्सपर्ट ने बताए ऑप्शन
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Delhi News: कैंसर की सर्जरी के बाद भी गर्भधारण कर सकती हैं महिलाएं, एक्सपर्ट ने बताए ऑप्शन

Doctor Advise: कुछ कैंसर सर्जरी ऐसी होती हैं, जिनके बाद गर्भावस्था के लिए जरूरी अंगों को हटाया जा सकता है. कई बार हार्मोन का स्तर भी बदल जाता है. इससे महिलाओं के अंडों को नुकसान पहुंचता है, लिहाजा वे अपनी प्रजनन क्षमता खो सकती हैं. 

Delhi News: कैंसर की सर्जरी के बाद भी गर्भधारण कर सकती हैं महिलाएं, एक्सपर्ट ने बताए ऑप्शन

Expert Advise for Cancer patient woman: कैंसर पीड़ित महिलाएं सर्जरी के बाद कभी मां नहीं बन सकती. गाइनेकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी सर्जरी को लेकर लोगों के बीच एक आम धारणा बन चुकी है, जो हमेशा सच नहीं होती. कैंसर के लिए कुछ सर्जरी एक महिला की गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन विकसित सर्जिकल तकनीक और प्रजनन संरक्षण विकल्प गर्भधारण की इच्छुक महिलाओं में उम्मीद की एक किरण देते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर केस को अच्छी तरह से स्टडी करके फैसला किया जाए तो कैंसर के इलाज के बाद भी महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं. 

डॉ. कुमारदीप कहते हैं कि कुछ कैंसर सर्जरी ऐसी होती हैं, जिनके बाद गर्भावस्था के लिए जरूरी अंगों को हटाया जा सकता है. कई बार हार्मोन का स्तर भी बदल जाता है. इससे महिलाओं के अंडों को नुकसान पहुंचता है, लिहाजा वे अपनी प्रजनन क्षमता खो सकती हैं. यह अस्थाई या स्थाई हो सकती है. यही वजह है कि कुछ महिलाएं ऐसे विकल्प चुनती हैं, जिनकी मदद से कैंसर के इलाज के बाद भी गर्भधारण किया जा सकें. 

डॉ. कुमारदीप नई दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित ‘एक्शन कैंसर अस्पताल’ में चिकित्सा ऑन्कोलॉजी विभाग के यूनिट प्रमुख और सीनियर कंसल्टेंट हैं. उन्होंने  गाइनेकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी सर्जरी से प्रजनन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि ये सब कुछ कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे-

कैंसर का प्रकार- सर्वाइकल या वेजाइनल कैंसर के लिए सर्जरी अक्सर गर्भाशय और अंडाशय को संरक्षित रखती है, जिससे प्रजनन पर प्रभाव कम होता है. दूसरी ओर, अंडाशय या गर्भाशय कैंसर के लिए सर्जरी में आमतौर पर गर्भाशय या अंडाशय को हटाने की संभावना होती है, जिससे बांझपन हो सकता है.

कैंसर का चरण - जो कैंसर शुरुआती चरण में होते हैं, उनके इलाज से प्रजनन की क्षमता पर ज्यादा असर नहीं होता. अगर कोई कैंसर बढ़ चुका है तो कई बार प्रजनन अंगों को पूरी तरह हटाना भी पड़ता है, इससे बांझपन का खतरा बढ़ता है. 

सर्जरी का तरीका- लैप्रोस्कोपी तकनीक से मरीजों के टिश्यू को कम नुकसान हो सकता है.इससे ट्रेडिशनल ओपन सर्जरी की तुलना में प्रजनन परिणामों में संभावित रूप से सुधार हो सकता है.

कैंसर के इलाज के साथ प्रजनन क्षमता को संरक्षित कैसे कर सकते हैं. इसके लिए एक्सपर्ट भ्रूण या अंडों को फ्रीज करने की सलाह देते हैं, जिसे क्रायोप्रिजर्वेशन कहा जाता है.

बांझपन से बचने के तरीके 
संरक्षणशील सर्जरी-
प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए केवल अंडाशय का एक हिस्सा हटाने या गर्भाशय संरक्षण के साथ ट्रैक्ट्टोमी (सर्विक्स का हटाना) जैसी तकनीक विचार किया जा सकता है. 

अंडाशय का स्थानांतरण- इस सर्जरी में रेडिएशन ट्रीटमेंटसे पहले स्वस्थ अंडाशय ऊतक को पेलविस से दूर हटाना होता है, जिससे रेडिएशन के नुकसानकारी प्रभाव से इसे संरक्षित किया जा सकता है.

एग्स फ्रीज करना- कैंसर के उपचार से पहले एग्स को  फ्रीज किया जा सकता है, ताकि ठीक होने के बाद भविष्य में इसका उपयोग इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में किया जा सके. 

भ्रूण को फ्रीज करना- गर्भधारण के लिए महिलाओं के एग्स और पुरुष साथी के स्पर्म से तैयार भ्रूण को भविष्य में प्रत्यारोपण के लिए फ्रीज किया जा सकता है.

सर्जरी से पहले मरीज को फायदा-नुकसान बताएं
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कैंसर का इलाज करने से पहले डॉक्टरों को मरीजों से उनकी प्रजनन क्षमता के बारे में बात जरूर करनी चाहिए. डॉक्टर मरीज से पूछे कि क्या भविष्य में वह प्रेग्नेंट होना चाहती हैं. मरीज को सर्जरी से होने वाले नुकसान के बारे में जरूर बताएं. इस पर मरीज जो भी फैसला ले, उसके आधार पर ही ट्रीटमेंट शुरू किया जाना चाहिए. अगर सर्जरी के दौरान किसी महिला का गर्भाशय या अंडाशय हटा दिया जाता है तो उसके पास गेस्टेशनल सरोगेसी और एग्स डोनेशन से गर्भधारण का ऑप्शन रहता है. 

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