Impeachment Process: 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगी, वो राष्ट्रपति बनने वाली देश की दूसरी और पहली आदिवासी महिला हैं. इस बीच कई ऐसे सवाल हैं, जो सभी के जहन में आते हैं जैसे क्या कभी देश के इस सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति को पद से हटाया जा सकता है. अगर हां, तो कैसे? आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी लेकर आए हैं. 


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भारतीय संविधान के आर्टिकल 52-62 तक राष्ट्रपति, उनकी शक्तियों, कार्यप्रणाली, योग्यता, शपथ और महाभियोग के बारे में बताया गया है. महाभियोग वो प्रक्रिया है, जिसके द्वारा राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों को हटाया जा सकता है. इस प्रक्रिया को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है. 


महाभियोग-  संविधान के आर्टिकल 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में महाभियोग की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया गया है. 


कब लगाया जा सकता है महाभियोग? 
अगर किसी राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ संविधान के उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अक्षमता जैसी चीजें साबित हो गई हों, उस स्थिति में महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है. 


कैसे लगा सकते हैं महाभियोग? 
यह प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन, लोकसभा या राज्यसभा में शुरू की जा सकती है. लोकसभा में इसे पेश करने के लिए 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के साइन चाहिए होते हैं. इसके बाद उस सदन के स्पीकर या अध्यक्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं. फिर 3 सदस्यों की समिति बनाकर मामले की जांच की जाती है. 


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समिति में ये लोग होते हैं शामिल
3 लोगों की समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया जाता है, जिसे स्पीकर या अध्यक्ष उस मामले के लिए सही मानें.


यदि जांच में आरोपों को सही पाया जाता है तो महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करके तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है.


राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, नामांकित सदस्य नहीं, लेकिन महाभियोग कि प्रक्रिया में निर्वाचित और नामांकित दोनों के सदस्य भाग लेते हैं.


अभी तक देश में किसी भी राष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग नहीं लगाया गया है.  


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