Delhi Excise Policy: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. यह जमानत अरविंद केजरीवाल को कोर्ट ने 1 जून तक के लिए दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है.उन्हें 2 जून को कोर्ट में सरेंडर करना होगा. अरविंद केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिस पर काफी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया. दिल्ली के CM को राहत मिलने के बाद से ही लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या होती है अंतरिम जमानत और केजरीवाल के सामने आगे क्या विकल्प हैं.   


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क्या होती है अंतरिम जमानत 
अंतरिम जमानत को छोटी अवधि की जमानत कहा जाता है. कोर्ट अंतरिम जमानत तब देता है जब किसी आरोपी की नियमित जमानत की याचिका पर सुनवाई चल रही हो. जब कोई व्यक्ति रेगुलर बेल के लिए एप्लीकेशन देता है तो कोर्ट केस की डायरी की मांग करता है, ताकि आम जमानत पर कोई फैसला किया जा सके.अंतरिम जमानत को कुछ शर्तों के साथ ही दी जाती है, जिसे पूरा करना जरूरी होता है. अंतरिम  जमानत की अवधि खत्म होने के बाद   कोर्ट में पेश न होने पर आरोपी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. अंतरिम जमानत का समय खत्म होने के बाद इसे बढ़ाया भी जा सकता है. इसे रद करने की कोई अलग प्रक्रिया नहीं है.   


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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्या होगा?
केजरीवाल  को मिली अंतरिम जमानत के बाद SC का ऑर्डर ट्रायल कोर्ट में भेजा जाएगा. ट्रायल कोर्ट में बॉन्ड भरा जाएगा, जिसके बाद वह केजरीवाल का रिलीज ऑर्डर तैयार करेगा और इसे तिहाड़ जेल प्रशासन को भेजेगा. रिलीज ऑर्डर मिलने के बाद ही तिहाड़ जेल प्रशासन दिल्ली के मुख्यमंत्री को रिलीज करेगा. 


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