Delhi News: दिल्ली में MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर AAP और LG वीके स्कसेना के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के पक्ष में फैसला सुनाया है कि एलजी  MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. SC ने कहा कि बिना एलजी के सलाह के बिना एल्डरमैन की नियुक्ति नहीं हो सकती है. अब आखिर ये MCD में एल्डरमैन कौन होते हैं और इनती नियुक्ति कैसे की जाकी है? आइए इसके बारे में आपको बताते हैं. 


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जानें कौन होते हैं एल्डरमैन? 
एल्डरमैन का मतलब बुजुर्ग आदमी होता है और किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञ व्यक्ति होता है. दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की मानें तो दिल्ली का एलजी 25 साल के ज्यादा की आयु के दस लोगों को निगर में चुन मनोनीत कर सकते हैं और अनुभव के आधार पर इन लोगों को मनोनीत किया जाता है. हालांकि मेयर के चुनाव में एल्डरमैन वोट नहीं डाल सकते है. 


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एल्डरमैन की पावर 
एल्डरमैन वार्ड समिति के सदस्यों होने के नाते से एमसीडी के 12 जोन में से हर जोन के एक प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट डाल सकते हैं. मतदान अधिकारों के अलावा एक एल्डरमैन की पावर मेयर की तरह ही होती है.  उत्तरी पूर्वी एमसीडी के पूर्व कानून अधिकारी के अनुसार, एक क्षेत्र के विकास के लिए एल्डरमैन पार्षद को मिलने वाले धन को भी प्राप्त कर सकते हैं.  


कैसे होती है एल्डरमैन की नियुक्ति? 
इस मामले में जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी) के तहत 25 साल या उससे ज्यादा और नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव वाले 10 व्यक्तियों को एलजी मनोनीत कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि 1993 का डीएमसी अधिनियम के तहत पहली बार एलजी को मनोनीतत करने की शक्ति दी गई थी और यह अतीत की कोई विरासत नहीं है.