महिलाओं के हक के लिए ये दिन है बेहद खास, जानिए Womens Equality Day का इतिहास
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महिलाओं के हक के लिए ये दिन है बेहद खास, जानिए Womens Equality Day का इतिहास

Womens Equality Day: महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई. साल 1971 में अमेरिकी संसद ने 26 अगस्त को Womens Equality Day के रूप में मनाए जाने की घोषणा की. 

महिलाओं के हक के लिए ये दिन है बेहद खास, जानिए Womens Equality Day का इतिहास

Womens Equality Day 2022: महिलाओं के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी संभव नहीं है लेकिन सारे विश्व को ये बात समझने में एक लंबा समय लग गया. आज देश और विदेश के हर हिस्से में महिला और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं लेकिन एक वक्त वो भी था जब महिलाओं के घर की चारदीवारी के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता था. महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. 

समानता के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
महिलाओं को अपने समानता के हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, इसकी शुरुआत 1853 में अमेरिका से हुई, जहां पर महिलाओं ने शादी के बाद संपत्ति पर अपना अधिकार मांगा, उसके बाद 1890 में अमेरिका में नेशनल अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिएशन का गठन किया गया. इस आयोग ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देने की बात कही.  1920 में अमेरिका की महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला और इसके बाद साल 1971 में अमेरिकी संसद ने 26 अगस्त को Womens Equality Day के रूप में मनाए जाने की घोषणा, इसके बाद सभी देशों में इस दिन को महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. 

आज महिला समानता दिवस पर हम आपके लिए विश्व की उन 6 महिलाओं के कोट्स लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर हम सभी प्रेरणा ले सकते हैं. 

1. मदर टरेसा
जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो, 
मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसके पास कुछ खाने को नहीं है, से कहीं बड़ी भूख, कहीं बड़ी गरीबी से ग्रस्त है।

2. कल्पना चावला
अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि आप कहां हैं.

3. इंदिरा नूयी
सफलता का एक महत्वपूर्ण गुण स्वयं बनना है.

4. अरुंधति रॉय
राष्ट्र पर दया आती है, जिसे अपने मन की बात कहने के लिए अपने लेखकों को चुप कराना पड़ता है.

5. नीरजा भनोट
अपना कर्तव्य करो, जो हो सके. आओ किसी भी अन्याय को कभी बर्दाश्त न करें और कभी भी स्वाभिमान से समझौता न करें.

6. मलाला यूसूफ़जई
जब पूरी दुनिया चुप है, तो एक आवाज भी शक्तिशाली हो जाती है.

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