Yamunanagar: क्या स्कूल है, गुरुजी को झाड़ू भी लगानी पड़ती है, पढ़ाने के लिए नहीं मिल पाता पूरा समय
यमुनानगर के रादौर खंड के गांव मारूपुर के सरकारी स्कूल से अलग ही मामला सामने आया है. जहां पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक सिर्फ एक ही अध्यापक है. जिससे क्लर्क, मिड डे मील और बीएलओ के कार्य भी उसी को करने पड़ते हैं.
Yamunanagar Government School: यमुनानगर के रादौर खंड के गांव मारूपुर के सरकारी स्कूल से अलग ही मामला सामने आया है. जहां पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक सिर्फ एक ही अध्यापक है. जिससे क्लर्क, मिड डे मील और बीएलओ के कार्य भी उसी को करने पड़ते हैं. स्कूल में शिक्षक न होने के साथ यहां बिजली चले जाने के बाद छोटे-छोटे बच्चे गर्मी में बेहाल हो जाते हैं. क्योंकि स्कूल में न तो कोई इनवर्टर है और न ही जरनैटर. स्कूल में सिर्फ एक अध्यापक होने की वजह से बच्चे पढ़ाई से भी वंचित रहते हैं.
इसी के साथ स्कूल में साफ-सफाई की बात की जाए तो स्कूल के प्रांगण में कचरा भरा पड़ा है. यहां के अध्यापक का कहना है कि स्कूल में न तो स्वीपर है न ही कोई चपरासी. अपने आप ही झाड़ू मारनी पड़ती है. अगर स्कूल में पीने के पानी की बात की जाए तो स्कूल में पहले बाहर वॉटर टैंक बनाया गया था, लेकिन उसमें पानी तक नहीं आता है.
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स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाकर एक ही अध्यापक पढ़ाता है. सरकार के नियम अनुसार 5 साल के बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ पाएंगे, लेकिन इन टीचरों का कहना है कि वहीं बच्चों को बिना एडमिशन किए भी पढ़ा रहे हैं. जिससे कि बच्चों की सट्ररेन्थ रुकी रहे . जो कि बिना रिकॉर्ड के पढ़ रहे हैं.
बच्चे देश का भविष्य होते हैं और अगर उनको सही तरीके से न पढ़ाया जाए तो उनकी शिक्षा व्यर्थ होती है. उनको ये शिक्षा तब ही मिलेगी जब स्कूलों में सुविधाएं प्रॉपर होंगी. यमुनानगर के रादौर खंड के गांव मारूपुर में स्कूल में पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक सिर्फ एक ही अध्यापक है जो सभी कक्षा के बच्चों को पढ़ाता है. यह अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ क्लर्क, मिड डे मील और बीएलओ का कार्य भी करता है जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाने में पूरा समय नहीं दे पाता. शिक्षक का कहना है कि कम से कम स्कूल में 2 अध्यापक होने चाहिए, जिससे कि बच्चों को समय पर पढ़ाया जा सके. स्कूल के ग्राउंड को लेकर भी यहां काफी भारी किल्लत है, जिसमें सफाई न होकर गंद और कबाढ़ पड़ा है. वहीं बच्चों के लिए शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन कुछ शौचालय को ताले लगे हुए हैं. वहीं जो शौचालय खुले पड़े है. उनमें गंदगी का आलम भरा पड़ा है क्योंकि इनको साफ करने के लिए यहां पर कोई भी स्वीपर नहीं है.
Input: कुलवंत सिंह