Zeenat Aman: अपने समय की दिग्गज अदाकारा जीनत अमान का कहना है कि अभिनेता एवं निर्देशक देव आनंद ''रचनात्मक ऊर्जा के स्रोत'' थे और उनके मार्गदर्शन ने जीवन बदल दिया. देव आनंद से जुड़ी यादों और उनके साथ अपने रिश्ते व विशेष लगाव को लेकर बात करते हुए जीनत अमान ने यह बात कही. जीनत अमान ने अपने सोशल मीडिया  इंस्टाग्राम पर तीन कड़ियों में लिखी एक पोस्ट में बताया कि कैसे देव आनंद ने उन्हें 1971 की फिल्म 'हरे राम हरे कृष्णा' में काम करने का मौका दिया.


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साथ ही उनके साथ अपनी रचनात्मक साझीदारी के बारे में भी बताया. यही नहीं, उस ''बड़ी गलतफहमी'' के बारे में भी बात की कि कैसे उन्होंने अपनी आत्मकथा में यह बताया कि वह सिनेमा के एक अन्य दिग्गज, राज कपूर के साथ रोमांटिक रूप से जुड़ी हुई थी. देव आनंद ने 2007 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में लिखा था कि कैसे उन्हें जीनत से प्यार हो गया था, लेकिन इसी दौरान उन्हें 'सत्यम शिवम सुंदरम' में मौका देने वाले राज कपूर करीब आ गए.



जीनत अमान ने अपने पोस्ट में लिखा कि "अपनी आत्मकथा में उन्होंने स्वीकार किया कि वह मुझसे प्यार करते थे और इस बात की ओर इशारा किया कि राज जी और मेरे बीच निर्देशक-अभिनेत्री के रिश्ते के अलावा भी बहुत कुछ था, जिसने उनका दिल तोड़ दिया. सच कहूं तो मुझे जलन हो रही थी." जीनत अमान ने कहा कि "मैंने अपमानित, आहत और निराश महसूस किया कि देव साब, मेरे बेहद पुराने मार्गदर्शक और वह शख्स जिन्हे मैं रूहानी तौर पर प्यार करती थी और उनकी प्रशंसा करती थी, न केवल सच्चाई से रहित ऐसी कहानी पर विश्वास करेंगे, बल्कि फिर इसे दुनिया के पढ़ने के लिए प्रकाशित भी करेंगे."



उन्होंने अपने पोस्ट में आगे कहा कि पुस्तक के बाजार में आने के बाद, अभिनेत्री ने 'लगातार बज' रही फोन की घंटी का जिक्र करते हुए कहा कि दोस्त यह पूछने के लिए फोन कर रहे थे "वास्तव में क्या हुआ" और उन्होंने पुस्तक के कुछ अंश साझा किए. अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने इसे (पुस्तक को) कभी नहीं पढ़ा और गुस्से में इसकी प्रति को तलघर में रखवा दिया और कुछ ऐसी थी ''बड़ी गलतफहमी''. उन्होंने कहा कि वर्षों तक वह इसमें सुधार को लेकर खुद को असमर्थ महसूस करती रही, लेकिन अब समय ने मुझे दृष्टिकोण और शांति प्रदान की है. अमान वर्ष 1970 में पहली बार आनंद से मिलीं.



उन्होंने ओपी राल्हन की फिल्म हलचल में भूमिका निभाई थी. अभिनेत्री ने पोस्ट में लिखा कि बॉलीवुड जैसे फिल्म उद्योग जगत में प्रवेश करते समय हर कलाकार 'स्टारमेकर' की उम्मीद करता है. कोई होता है जो उस क्षमता और महत्वाकांक्षा को परखता है जो शायद अब तक केवल स्वयं को ही दिख रही होती है. बहुत कम भाग्यशाली हैं जिन्हें इस शख्स का साथ मिला, लेकिन मैं थी. मेरे स्टारमेकर देव साहब थे. 'हरे राम हरे कृष्णा' के बाद जीनत अमान और देव आनंद ने 'हीरा पन्ना' (1973) और उसके बाद 'इश्क इश्क इश्क' (1974) में भी साथ काम किया. जीनत अमान ने कहा कि वह देव आनंद को उनकी दुर्लभ प्रतिभा और गर्मजोशी भरे मार्गदर्शन के लिए हमेशा याद रखेंगी.


(इनपुटः भाषा)