Farmers Protest: ट्रैक्टर परेड पर निर्णय आज, करीब 30 किलोमीटर के हो सकते हैं 3 रूट
गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) पर प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर परेड पर गतिरोध जारी है. दिल्ली पुलिस ने किसान यूनियों को एक रोड मैप सौंपा है जिस पर किसान आज निर्णय लेंगे.
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और किसानों के बीच बीच वार्ता का परिणाम आना बाकी है. इसी मसले पर आज महत्वपूर्ण बैठक होनी है, जिसमें इस परेड के लिए रोड मैप तय किया जाएगा. किसान दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर आज अपना फैसला सुनाएंगे.
रूट पर बन सकती है सहमति
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), हरियाणा (Haryana) और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) आपसी सहयोग से रास्ता तय करेगी ताकि ट्रैक्टर परेड शांतिपूर्ण तरीके से हो सके. पुलिस अधिकारियों की बैठक के बाद किसान करीब 3 बजे इसकी घोषणा कर सकते हैं. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर होने वाली किसानों की परेड को लेकर आज (शनिवार 23 जनवरी) पुलिस के साथ बैठक होगी, जिसमें परेड के रास्तों पर फैसला किया जाएगा. दिल्ली बहुत बड़ी है और किसान विभिन्न जगहों से यहां पहुंचेंगे, जिस वजह से इस परेड के लिए अलग-अलग रूट बनाए जा रहे हैं.
बनाए जाएंगे 3 रूट
राकेश टिकैत ने कहा, दिल्ली के अंदर ही 3 रूट बनाए जाएंगे जो कि 30 से 40 किलोमीटर तक के होंगे. इस पर आज करीब 2:00 बजे तक सब कुछ तय हो जाएगा, जिसके बाद हम इसकी घोषणा कर देंगे. किस तरफ से एंट्री होगी और किस तरफ से निकासी होगी ये हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस आपसी सहयोग से तय करेगी. इसमें हमारे वॉलंटियर्स भी शामिल होंगे जो पुलिस का सहयोग करेंगे.
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पुलिस कर चुकी है रोड मैप तैयार
दरअसल शुक्रवार शाम को हुई पुलिस और किसानों की बैठक में पुलिस द्वारा एक रोड मैप किसानों के सामने रखा था जिस पर किसानों की तरफ से कहा गया कि हम विचार विमर्श कर इसका जवाब देंगे. दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसान अपनी ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर निकालें, हालांकि संगठन अपनी मांग पर कायम हैं. गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर देशभर से लाखों किसानों ने आना शुरू कर दिया है. दूसरी ओर सरकार ने 18 महीनों तक इन कानूनों पर रोक लगाने का प्रस्ताव किसानों के सामने रखा है, किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे.
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