Hindu Minority: देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक को दर्जा दिए जाने की मांग वाली धर्मगुरु देवकी नंदन ठाकुर की याचिका पर कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो कोई ठोस उदाहरण कोर्ट के सामने रखे, जिसमें किसी राज्य विशेष में कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को अल्पसंख्यक का वाजिब दर्जा मांगने पर न मिला हो.


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सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अरविंद दत्तार ने कोर्ट को बताया कि ये मामला पहले भी कोर्ट में आ चुका है, जिस पर कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities) को विचार करने को कहा था. इस पर कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए टालते हुए उन्हें अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट पेश करने को कहा.


इन 9 राज्यों का दिया गया हवाला


कोर्ट में दायर याचिका में दूसरे समुदाय की तुलना में हिंदुओं की कम आबादी वाले 9 राज्यों का हवाला दिया गया है. याचिका के मुताबिक लद्दाख में हिंदू आबादी 1%, मिजोरम में 2.75%, लक्ष्यदीप में 2.77%, कश्मीर में 4%, नागालैंड में 8.74%, मेघालय में 11.52%, अरुणाचल में 29%, पंजाब में 38.49%और मणिपुर में 41.29% हिंदू आबादी है.


इस अधिकार से वंचित हैं हिंदू


याचिकाकर्ता का कहना है कि इन 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं. लेकिन फिर भी वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते. जबकि संविधान का अनुच्छेद 30 भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यको को ये अधिकार देता है कि वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोल सकें.


देश में जिलेवार हो अल्पसंख्यकों का निर्धारण


बता दें कि याचिका में नेशनल कमीशन माइनॉरिटी एक्ट के सेक्शन 2 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. जिसके तहत सरकार ने राष्ट्रीय  स्तर पर छह समुदायों को अल्पसख्यक घोषित किया हुआ है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इसके बजाय देश में जिलेवार अल्पसख्यकों का निर्धारण होना चाहिए.


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