Sadhvi Prachi News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित दारुल उलूम देवबंद न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में इस्लामिक शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है. यहां न केवल देशभर से बल्कि विदेशों से भी छात्र पढ़ाई करने आते हैं. लेकिन अब यह शिक्षण संस्थान विवादों में घिरता नजर आ रहा है. विवाद की वजह है हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची की ओर से दारुल उलूम के सर्वे और खुदाई की मांग.


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देवबंद पर सर्वे क्यों?


साध्वी प्राची ने काशी की ज्ञानवापी और संभल की जामा मस्जिद के संदर्भ में हिंदू प्रतीक चिन्ह मिलने का दावा करते हुए कहा है कि देवबंद के दारुल उलूम और यहां की बड़ी मस्जिद का भी सर्वे होना चाहिए. उनका तर्क है कि यहां भी खुदाई की जाए तो मंदिर मिलने की संभावना है.


साध्वी प्राची का बयान..


"देवबंद दारुल उलूम का भी सर्वे होना चाहिए. इसकी खुदाई कराई जाए, तो यहां भी मंदिर निकलेगा." हालांकि, दारुल उलूम देवबंद के संबंध में अब तक न तो किसी ने मंदिर होने का दावा किया है, और न ही कोई मामला कोर्ट में लंबित है.


योगी सरकार का जवाब


साध्वी प्राची की इस मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने इसे उनकी निजी राय बताया. उन्होंने कहा कि काशी और मथुरा जैसे मामलों में प्रमाण मिले हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हर मस्जिद पर संदेह किया जाए.


नरेंद्र कश्यप का बयान


"यह उनकी निजी राय है. राम मंदिर बरसों के इंतजार के बाद हमें मिला, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सभी मस्जिदों को शक की निगाह से देखा जाए."


जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दी कानूनी चुनौती


मस्जिदों के सर्वे को लेकर बढ़ते विवाद के बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. जमीयत ने धार्मिक स्थलों के संरक्षण से जुड़े 1991 के वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए इस मुद्दे पर याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 12 दिसंबर को होनी है.


मुस्लिम समुदाय में गुस्सा और चिंता


साध्वी प्राची की मांग को लेकर मुस्लिम समुदाय में आक्रोश है. देवबंद के स्थानीय लोगों ने इसे धार्मिक स्थलों पर निशाना साधने की कोशिश बताया है. उनका कहना है कि बिना किसी ऐतिहासिक आधार के ऐसे दावे करना सिर्फ तनाव बढ़ाने का काम करेगा.


क्या कहती है अदालत?


अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट मस्जिदों के सर्वे को लेकर बढ़ते विवाद पर क्या फैसला सुनाती है. क्या अदालत वर्शिप एक्ट को लागू करते हुए इन सर्वे की मांग पर रोक लगाएगी, या फिर मामले को और लंबा खींचा जाएगा?