नई दिल्ली:  तेलंगाना (Telangana) के कई इलाकों में पिछले दो दिनों से भारी बारिश हो रही है और इस बरसात से तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (Hyderabad) सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. भीषण बारिश (Heavy Rains) ने हैदराबाद में 129 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहां के कई इलाकों में अब भी कई फीट पानी भरा हुआ है, कई जगहों पर गाड़ियां और यहां तक कि इंसान भी तेज रफ्तार पानी में बह गए और तेलंगाना में अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है.  तेलंगाना में इतनी भीषण बारिश क्यों हुई और क्या इस बारिश से होने वाली तबाही को रोका जा सकता था? आज इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे.


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तेलंगाना के जो वीडियो आए हैं, उनमें एक वीडियो हैदराबाद के फलकनुमा इलाके का है. यहां एक व्यक्ति बाढ़ (Flood) के पानी में बह गया. वहां की सड़कों पर बहते पानी की रफ्तार बहुत ज्यादा थी. पानी में बह रहे व्यक्ति ने एक खंभे को पकड़ने की कोशिश भी की थी. आसपास खड़े लोगों ने पानी में बह रहे व्यक्ति को बचाने की कोशिश की. लेकिन सिर्फ 11 सेकंड में ये व्यक्ति बाढ़ के पानी में बहकर दूर चला गया. अब तक ये पता नहीं चल पाया है कि इस व्यक्ति को बचाया जा सका है या नहीं.


दूसरा वीडियो हैदराबाद के सोमाजीगुडा इलाके में यशोदा अस्पताल का है. यहां अस्पताल का स्टाफ मिलकर पानी को रोकने की कोशिश कर रहा है. हालांकि अस्पताल के बेसमेंट में लगातार पानी भर रहा है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां मौजूद मरीजों और डॉक्टरों के लिए कितनी मुश्किल रही होगी.


हैदराबाद शहर के बोवेन-पल्ली इलाके में सड़कों पर कारें बह गईं. वहां पानी में बहती हुई तीन कारें एक-दूसरे से टकरा गईं. कारों के टकराने की इन तस्वीरों को देखकर आप बाढ़ के पानी की ताकत का सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं, क्योंकि इस टक्कर से एक कार, दूसरी कार के ऊपर चढ़ गई.


ऐसा ही एक और वीडियो सामने आया है जिसमें हजारों किलोग्राम की कार को किसी खिलौने की तरह पानी अपने साथ लिए जा रहा है. 


स्मार्ट सिटी के सपने देखते ही देखते पानी में डूब जाते हैं
कुल मिलाकर हैदराबाद के हालात बहुत खराब है. हैदराबाद शहर की जनसंख्या करीब 1 करोड़ है और इन लोगों के लिए पिछले 24 घंटे का एक-एक पल बहुत मुश्किल से बीता है. हैदराबाद, तेलंगाना की राजधानी है, जिसे आधुनिक पैमानों पर स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिशें चल रही हैं. लेकिन सच ये है कि हमारे स्मार्ट शहर (Smart City) थोड़ी सी बारिश भी नहीं झेल पाते और स्मार्ट सिटी के सपने देखते ही देखते पानी में डूब जाते हैं.


- 13 अक्टूबर को हैदराबाद में औसतन 192 मिलीमीटर बारिश हुई. इस बारिश ने 129 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इससे पहले हैदराबाद में अक्टूबर के महीने में इससे ज्यादा बारिश वर्ष 1891 में हुई थी.


- तेलंगाना में बाढ़ से अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि मारे गए लोगों की संख्या और ज्यादा होने की आशंका है.


- हैदराबाद के कुछ इलाकों में भारी बारिश या बहुत ज्यादा बारिश होने की आशंका है.


- अच्छी बात ये है कि पिछले कुछ घंटों में हैदराबाद में न के बराबर बारिश हुई है और वहां के कई इलाकों में हालात लगभग सामान्य हो चुके हैं. हालांकि अभी भी कई निचले इलाकों से पानी निकालने की कोशिशें हो रही हैं.


- तेलंगाना के कई इलाकों में अगले दो दिनों तक बारिश होने की आशंका है और वहां पर सरकार ने गुरुवार तक छुट्टी की घोषणा की है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लोग अपने घरों में ही रहें.


- बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति बनने के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में ये भारी बारिश हुई और अब महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में भी बारिश होने की आशंका है.


- मौसम विभाग के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सरकार को इस भारी बारिश के बारे में पहले से ही सूचना दे दी गई थी. दावा किया गया है कि दोनों राज्य इस प्राकृतिक आपदा का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, इसलिए नुकसान कम हुआ है.


हैदराबाद में बाढ़ क्यों आती है?
हैदराबाद का मतलब होता है.. 'हैदर' का शहर. यहां हैदर एक अरबी शब्द है, और इसका अर्थ होता है साहसी. पिछले 24 घंटों में प्रकृति ने हैदराबाद को तहस-नहस करने की पूरी कोशिश की. वहां पर सरकारी दफ्तर, बस अड्डे, स्कूल और घर तालाब में बदल गए. बिजली और पानी की सप्लाई बंद हो गई और लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं.


भारत में राज्य कोई भी हो, बाढ़ वहां के लिए एक वार्षिक विपदा है. हालांकि जब भी किसी राज्य में बाढ़ आती है, तो उस राज्य के सिस्टम पर बहस होती है. बड़े-बड़े बयान दिए जाते हैं, नई घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन कोई भी बाढ़ से बचाव का उपाय नहीं बताता है. सबसे पहले आपको बताते हैं कि हैदराबाद में बाढ़ क्यों आती है?


- वर्ष 1908 में बादल फटने की वजह से आई बाढ़ से हैदराबाद में 15 हजार लोगों की मौत हो गई थी. तब हैदराबाद में दो Reservoir यानी जलाशय बनाए गए थे. इनके नाम हैं, उस्मान सागर और हिमायत सागर. बाढ़ पर नियंत्रण के लिए एक मॉडर्न ड्रेनेज सिस्टम भी बनाया गया था. हालांकि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ वहां के ड्रेनेज सिस्टम को अपग्रेड नहीं किया गया.


- 1950 के दशक में हैदराबाद में 500 झीलें हुआ करती थीं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस समय हैदराबाद में सिर्फ 191 झीलें ही बची हैं. यानी अतिक्रमण करके 309 झीलों पर कब्जा किया जा चुका है.


- वर्ष 2016 में आई Center for Science and Environment की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004 से 2016 के बीच हैदराबाद के 3245 हेक्टेयर Wetlands खत्म हो चुके हैं.


- पिछले 40 वर्षों में हैदराबाद के आस-पास कृषि के लिए काम आने वाली जमीन पर शहर बसाया गया. पहले ये इलाके बाढ़ से बचाव में बफर जोन का काम करते थे और कल हुई बारिश के बाद ऐसे इलाकों में सबसे ज्यादा पानी भर गया.


- भौगोलिक रूप से हैदराबाद दक्कन क्षेत्र में है. यहां पानी प्राकृतिक तरीके से किसी एक दिशा में नहीं बहता है, बल्कि कई दिशाओं में अपना रास्ता ढूंढ लेता है. हालांकि पिछले कुछ दशकों से हुए निर्माण की वजह से पानी को प्राकृतिक रूप से आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिलता है.


- हैदराबाद के ड्रेनज सिस्टम की क्षमता इतनी ज्यादा बारिश झेलने की नहीं है और ये ड्रेनेज सिस्टम भी अक्सर कूड़ा करकट जमा हो जाने की वजह से जाम हो जाता है.


समस्या का समाधान
हम आपको इस समस्या के साथ इसका समाधान भी बताएंगे-


- नई तकनीक की मदद से शहरों में भौगोलिक रूप से खतरनाक इलाकों का पता लगाया जाना चाहिए. ऐसे इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था करके इन्हें पानी में डूबने से बचाया जा सकता है.


- Greater Hyderabad Municipal Corporation के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट को ऐसे इलाकों में अतिक्रमण को रोकने के लिए लगातार निगरानी करनी चाहिए.


भारत में बड़े बड़े शहर भी लोगों को अच्छी सड़कें, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम, सार्वजनिक परिवहन के साधन और साफ हवा जैसी बुनियादी सुविधाएं देने में बुरी तरह असफल रहे हैं. ये बहुत चिंताजनक स्थिति है.