नई दिल्ली: कल 15 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे 7 महीने और 15 दिनों के बाद अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और आज वहां ऐसा बहुत कुछ हुआ, जिससे अखिलेश यादव और मायावती चिंता में पड़ जाएंगे.


206 प्रस्तावित योजनाओं की रखी नींव 


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प्रधानमंत्री ने 744 करोड़ रुपये की लागत से पूरे हुए 78 प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण किया और 206 प्रस्तावित योजनाओं की भी नींव रखी. यानी प्रधानमंत्री ने वाराणसी के लिए योजनाओं की झड़ी लगा कर रख दी, लेकिन उनका ये वाराणसी दौरा सिर्फ विकास के इर्द-गिर्द सीमित नहीं था, बल्कि इसका सीधा संबंध अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव से है और इसे आप तीन पॉइंट्स में समझ सकते हैं.


पहला पॉइंट ये है कि BJP ने योगी आदित्यनाथ को बदलने का प्लान ड्रॉप कर दिया है.


कल जब प्रधानमंत्री वाराणसी पहुंचे तो उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया और इसके बाद योजनाओं के उद्घाटन के लिए हुए कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री योगी की प्रशंसा की.



ये प्रशंसा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि, पश्चिमी बंगाल के विधान सभा में चुनाव में हार मिलने के बाद से बीजेपी उत्तर प्रदेश को लेकर सक्रिय हो गई थी और इसी साल एक जून को पार्टी की तरफ से बी.एल. संतोष लखनऊ पहुंचे थे और वहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं और सांसदों से मुलाकात की थी.


कयासों पर पूर्ण विराम


इसी मुलाकात के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उत्तर प्रदेश में शिविर हुआ और इसके 5 दिन बाद योगी आदित्यनाथ दिल्ली आ गए थे. तब उन्होंने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी और तभी से ये अटकलें तेज हो गईं कि उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले बड़ा फेरबदल हो सकता है.


खुद उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने 13 जून को ज़ी न्यूज़ से खास बातचीत में ये कहा था कि यूपी चुनाव में बीजेपी की तरफ से जिसे भी चेहरा बनाया जाएगा, उस पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला लेगा, लेकिन इन सभी कयासों पर पूर्ण विराम लग गया और प्रधानमंत्री मोदी की बातों से स्पष्ट है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में योगी मॉडल पर अपनी मुहर लगा दी है. यानी बीजेपी की तरफ से सीएम पद के दावेदार योगी आदित्यनाथ ही होंगे.


186 करोड़ रुपये की लागत तैयार हुआ कन्वेंशन सेंटर


प्रधानमंत्री के दौरे का दूसरा पॉइंट ये है कि अगले साल होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना अभियान शुरू कर दिया है और योजनाओं की जो झड़ी प्रधानमंत्री ने लगाई है, वो इसकी शुरुआत है. इनमें सबसे अहम है, वाराणसी का अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केन्द्र, जिसे रुद्राक्ष नाम दिया गया है.



2017 में जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो बे आए थे, तब इस कन्वेंशन सेंटर को बनाने पर चर्चा हुई थी और प्रधानमंत्री मोदी ने इसे रुद्राक्ष नाम दिया था, जिसके बाद वर्ष 2018 में इसका निर्माण शुरू हुआ. यानी केवल तीन वर्षों में ये बन कर तैयार हो गया और 15 जुलाई को प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन करते हुए रुद्राक्ष को काशी के क्योटो बनने के सफर का एक अहम पड़ाव बताया.


तीन एकड़ में फैला ये कन्वेंशन सेंटर 186 करोड़ रुपये की लागत ये तैयार हुआ है और ये भव्य होने के साथ कई आधुनिक तकनीक से भी लैस है.


इसमें 1200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, 150 लोगों की क्षमता वाला एक मीटिंग हॉल है, एक वीआईपी लाउंज है, चार ग्रीन रूम हैं, और इस सेंटर के बाहरी हिस्से में एल्युमिनियम 
के 108 रुद्राक्ष लगाए गए हैं और इसकी छत शिवलिंग के आकार में दिखती है.


बीजेपी का चुनाव अभियान 


अब आप ये समझिए कि कैसे कल 15 जुलाई  से यूपी में बीजेपी का चुनाव अभियान शुरू हो गया है?


-प्रधानमंत्री मोदी अब हर महीने यूपी के दौरे पर आएंगे. वो 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करेंगे.


-पूर्वांचल एक्सप्रेस वे उत्तर प्रदेश के 9 जिलों को जोड़ेगा, जहां 60 विधान सभा सीटें हैं. इसलिए कई विश्लेषक इस एक्सप्रेस वे को गेम चेंजर भी मान रहे हैं.


-इसके अलावा सितम्बर, अक्टूबर और नवम्बर में भी जेवर एयरपोर्ट, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे का उद्घाटन और शिलान्यास हो सकता है.


-और सबसे अहम सरकार ने ये तय किया है कि इसी साल दिसंबर के महीने तक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भी उद्घाटन हो जाएगा.


यानी 2022 के शुरुआती महीनों में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू होगी, तब तक प्रधानमंत्री मोदी यूपी को कई सौगात दे चुके होंगे और उनके इन दौरों का असर कई सीटों पर प्रभाव डाल चुका होगा. 


हमारी खबर का तीसरा पॉइंट भी यही है कि उत्तर प्रदेश का ये चुनाव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा.


PM ने चुनाव अभियान के लिए वाराणसी को ही क्यों चुना?


हालांकि आपके मन में ये सवाल होगा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव अभियान के लिए वाराणसी को ही क्यों चुना? इसका कारण संक्षेप में समझिए.


-उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधान सभा सीटें हैं, जिनमें सबसे अधिक 156 विधान सभा सीटें अकेले पूर्वांचल में हैं. 2017 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 106 सीटें जीती थीं, जबकि समाजवादी पार्टी को 18 और BSP को 12 सीटें ही मिली थीं.


-अब अगर बीजेपी को फिर से सत्ता में आना है, तो पूर्वांचल की इन सीटों पर ज्यादा जोर देना होगा और इसीलिए आज यहीं से ये चुनाव अभियान शुरू हुआ है. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से ही चुन कर आते हैं.


-उत्तर प्रदेश के 80 में से 26 जिले पूर्वांचल में है. इस हिसाब से देखें तो पूर्वांचल देश के 15 राज्यों से बड़ा है, क्योंकि इन राज्यों में 26 से कम जिले हैं.


-पूर्वांचल में लोक सभा की 29 सीटें हैं और इनमें 22 सीटें बीजेपी के पास हैं. ऐसे में ये क्षेत्र अगले साल होने वाले यूपी चुनाव में बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा और इस क्षेत्र में उसका कड़ा मुकाबला समाजवादी पार्टी से हो सकता है.


यूपी बीजेपी के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों?


हालांकि यहां ये समझना भी जरूरी है कि यूपी बीजेपी के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?


2019 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटें जीती थीं, जिनमें से सबसे ज्यादा 62 सीटें बीजेपी ने यूपी में जीती थी. यूपी में लोक सभा की कुल 80 सीटें हैं. इस हिसाब से देखें तो लगभग 20 प्रतिशत सीटें सिर्फ बीजेपी को यूपी से मिलीं. यानी देश में सरकार बनाने में उत्तर प्रदेश का रोल बहुत बड़ा है. अगर उत्तर प्रदेश में उसे 60 से कम सीटें मिलें तो पार्टी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा. इसीलिए यूपी बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है.


अगर बीजेपी लोक सभा सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ रखती है तो विधान सभा में भी उसे जबरदस्त फायदा होता है. 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद जब 2017 में य़ूपी के विधान सभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने राज्य की 403 सीटों में से 312 सीटें जीती थीं और अपनी सरकार बनाई थी.