पुरुलिया: इस खबर में पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पुरुलिया (Water Scarcity In Purulia) के बारे में जानिए. जहां भगवान राम ने वनवास के दौरान सीता जी की प्यास बुझाने के लिए जमीन पर एक बाण चलाकर पानी की धारा पैदा कर दी थी. लेकिन अब यही पुरुलिया बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. यहां की सांस्कृतिक धरोहर कंसावती नदी पूरी तरह सूख चुकी है.


पीएम मोदी ने उठाया पानी की समस्या का मुद्दा


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गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी पुरुलिया में अपनी रैली के दौरान इस पूरे विषय को लेकर ममता बनर्जी पर सवाल उठाए. उन्होंने 'खेला होबे' के नारे के जवाब में 'विकास होबे' का नारा दिया.


भगवान राम और मां सीता से पुरुलिया का संबंध


किसी इलाके को जानने के लिए वहां के इतिहास को जानना जरूरी है. इसलिए सबसे पुरुलिया का इतिहास जानिए. असल में भगवान राम और सीता जी ने अपने वनवास का लंबा समय पुरुलिया के जंगलों में ही बिताया था. आज भले ही यह इलाका शहर बन गया है, लेकिन उस समय यह जंगलों से घिरा था. इसके इतिहास के निशान आज भी मौजूद हैं.


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भगवान राम ने जमीन से निकाली पानी की धारा


पुरुलिया में अजुध्या नाम का एक पर्वत है और एक ग्राम पंचायत का नाम भी अजुध्या है. यहां का सीताकुंड सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. ऐसा उल्लेख मिलता है कि वनवास के दौरान जब एक बार सीता जी को प्यास लगी और आसपास पानी का कोई स्रोत नहीं था तो राम जी ने धरती पर बाण चलाया. जिससे एक जल धारा निकली. यह जल धारा लोगों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र है.


यह घटना बताती है कि पुरुलिया में उस समय कितना पानी था. लेकिन अब यही इलाका बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. यहां की सांस्कृतिक धरोहर कंसावती नदी भी पूरी तरह सूख चुकी है. आज पुरुलिया में स्थिति ये है कि लोगों को खाना बनाने के लिए कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.


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कब चर्चा में आया था पुरुलिया?


18 दिसंबर, 1995 को पुरुलिया तब चर्चा में आया, जब यहां एक विमान से हथियारों से भरे बक्से गिराए गए थे. और उस समय सबसे पहले आपको Zee News ने यह खबर दिखाई थी.


रूस (Russia) का ये विमान पाकिस्तान के रास्ते बनारस होते हुए 18 दिसंबर को कोलकाता पहुंचा था. फिर वहां से थाईलैंड (Thailand) चला गया. इस घटना का मुख्य आरोपी किम डेवी था, जो डेनमार्क का रहने वाला है. सरकार आज भी इसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है.


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तब इस घटना ने देश की सुरक्षा और सरकार पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों ने इस मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया. आज भी हथियारों को गिराने की वजहों का सही कारण पता नहीं चल सका है. ये घटना उसी दौर की है जब Zee News और आपका 26 साल लंबा सफर हुआ था.