Fake Cancer Medicines: डॉक्टर ही बने मौत के सौदागर, कैंसर की नकली दवाओं के मकड़जाल में ऐसे फंस रहे मरीज
Fake Medicine Market: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाई सप्लाई करने वाले ऐसे ही एक गैंग का पर्दाफाश किया है जो पूरे देश में नकली कैंसर की नकली दवा बेचता था. इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 1 डॉक्टर, 2 इंजीनियर और 1 MBA Pass Out शामिल है.
Fake Cancer Medicine: इस धरती पर सबसे खूबसूरत चीज है जिंदगी और जिंदगी में जरूरी होती है- उम्मीद और भरोसा. अगर उम्मीद और भरोसा टूटता है तो हमारी जिंदगी में निराशा आ जाती है. आज DNA की शुरुआत हम एक ऐसी खबर से कर रहे हैं, जिसके बारे में हम आपको जितना बताएंगे, उतना ही आपको गुस्सा भी आएगा और दुख भी होगा.
एक बीमार शख्स के लिए दवा और डॉक्टर ठीक होने का भरोसा है, तो दुआ स्वस्थ होने की उम्मीद. अब आप सोचिए कि आपकी दुआ सच्ची है, डॉक्टर का भरोसा अटूट है लेकिन दवा नकली है तो क्या होगा. ना तो दुआ काम आएगी और ना ही डॉक्टर की मेहनत. क्योंकि जिस दवा पर आप भरोसा कर रहे हैं, जो दवा आपको स्वस्थ करने की गारंटी है, उसमें मिलावट है. ऐसे ही एक गिरोह को पकड़ा गया है, जो बीते 4 वर्षों से मिलावट का ये खतरनाक गोरखधंधा चला रहा था. इन चार वर्षों में देशभर में करीब 150 करोड़ की नकली कैंसर की दवा बेच दी है.
मरीजों के साथ हो रहा धोखा
वैसे तो मिलावट किसी भी दवा में आपकी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है लेकिन अगर मिलावट कैंसर की दवा में हो तो सोचिए उस बीमार व्यक्ति के साथ कितना बड़ा अपराध किया जा रहा है, जो इस उम्मीद में कैंसर की दवा ले रहा है कि धीरे-धीरे इस जानलेवा बीमारी से ठीक हो जाएगा वो ठीक नहीं हो रहा बल्कि और बीमार होता जा रहा है. कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एक छोटे से दवा के पैकेट की कीमत लाखों रुपये होती है. ऐसे में ये मिलावटखोर बिना बिल सस्ती दवा देने का भरोसा दिलाते थे और फिर नकली दवा बेच देते थे.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाई सप्लाई करने वाले ऐसे ही एक गैंग का पर्दाफाश किया है जो पूरे देश में नकली कैंसर की नकली दवा बेचता था. इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 1 डॉक्टर, 2 इंजीनियर और 1 MBA Pass Out शामिल है.
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. हालांकि 2 डॉक्टर सहित अभी कई आरोपी फरार हैं. पुलिस ने हरियाणा के सोनीपत में एक फैक्ट्री और गाजियाबाद से करीब 8 करोड़ की नकली दवाइयां बरामद की हैं.
डॉक्टर ही बना मौत का सौदागर
नकली दवा का ये गिरोह बेहद ही ऑर्गनाइज्ड तरीके से ये पूरा रैकेट चला रहा था. सोचिए एक डॉक्टर जिसे भगवान का दर्जा दिया जाता है, जिसपर आपको ये भरोसा होता है कि वो आपकी जान बचाएगा, वही आपकी मौत का इंतजाम कर रहा है. दवा जो बीमार व्यक्ति लिए किसी संजीवनी बूटी की तरह है, वो दवा उसके लिए एक जहर की तरह है.
कैंसर के इलाज में 1-1 कैप्सूल बेहद जरूरी होता है. ऐसे में कैंसर की दवा नकली दी जा रही हो तो सोचिए उस व्यक्ति के साथ क्या होगा. अब जानिए नकली दवा के इस पूरे गोरखधंधे का रियल्टी चेक, जिससे आप जान पाएंगे कि लोगों की जिंदगी के साथ ये खेल अभी भी कैसे चल रहा है.
नकली दवाइयों का है बड़ा बाजार
WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के पूरे दवा बाज़ार में नकली दवा का हिस्सा करीब 11 प्रतिशत है. विकसित देशों में करीब 1 से 3 प्रतिशत तक नकली दवा बेची जाती है. जबकि विकासशील देशों में नकली दवा का बाज़ार करीब 10 से 30 प्रतिशत तक है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, हर वर्ष पूरी दुनिया में नकली दवा की वजह से 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
वहीं American Journal of Tropical Medicine and Hygiene का दावा है कि नकली दवा से हर वर्ष पूरी दुनिया में ढाई लाख बच्चों की मौत हो जाती है. American Journal of Tropical Medicine and Hygiene की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में नकली दवा का कारोबार करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का है. जबकि नकली दवा की वजह से हर वर्ष पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को 16 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. आज राशन से लेकर दवाई तक सबकुछ ऑनलाइन मिलने लगा है. दवाइयों पर भी सेल लगी होती है. ऐसे में कई बार एक व्यक्ति जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से परेशान है, कम कीमत की लालच में नकली दवा खरीद लेता है.
मिलावटखोर जरुरतमंद को कम कीमत में दवा देने का झांसा देता और बार-बार यही कहता है बिल नहीं दूंगा. ऐसे में आपको ये समझना जरूरी है बिना बिल की दवा के असली होने की संभावना कम होती क्योंकि कैंसर की दवा बेहद महंगी होती है और इसमें मिलावटखोर आसानी से बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.
ये खांसी-जुकाम की दवा नहीं है, जो 10 और 20 रुपये में आ जाए. इसलिए अब ये जानिए कि असली दवा कैसे खरीदें. देश में नकली दवा के कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी Central Drugs Standard Control Organisation की है. ये संगठन देश में सभी दवाओं को मंजूरी देता, उसके ट्रायल को देखता है और नकली दवाओं की जांच करता है. लेकिन देश में टेस्टिंग लैब और ड्रग इंस्पेक्टर की कमी की वजह से नकली दवा का गोरखधंधा करने वाले आरोपी बच जाते हैं. Drugs and Cosmetics (Amendment) Act, 2015 के मुताबिक नकली दवा बेचने वाले दोषियों को 1 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
धड़ल्ले से जारी है कारोबार
नकली दवा खाने की वजह से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है या उसकी जान को खतरा होता है तो कम से कम 10 साल की सजा होगी साथ ही 10 लाख का जुर्माना भी लगेगा. इसके बावजूद देश में नकली दवा का करोबार धड़ल्ले से जारी है. ऐसे में आपको भी जागरुक बनने की जरूरत है.
जब भी दवा खरीदें सबसे पहले GST नंबर के साथ असली बिल लें, साथ ही दवा के पैकेज पर छपे बारकोड की स्कैनिंग करें. इससे आपको ये पता चल जाएगा दवा असली है या नकली. कभी भी सस्ती दवा के लालच में नहीं आए क्योंकि दवा तो सस्ती मिल जाएगी लेकिन वो नकली होगा.
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