UP Politics: लोकसभा चुनाव में यूपी में मिली जीत से गदगद कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में है. सूबे में खोई सियासी जमीन हासिल करने के लिए कांग्रेस सक्रिय युवाओं के साथ ही पिछ़ड़ों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस कर रही है.
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UP Politics: लोकसभा चुनाव में यूपी में मिली जीत से गदगद कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी में है. सूबे में खोई सियासी जमीन हासिल करने के लिए कांग्रेस सक्रिय युवाओं के साथ ही पिछ़ड़ों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस कर रही है. पार्टी की निगाहें उन युवाओं पर हैं जो जनहित के मुद्दों को लेकर निरंतर आंदोलन चला सकें. पार्टी ने ऐसे युवाओं को चिन्हित करना शुरू कर दिया है. इसी रणनीति के तहत कई जिलों के जिलाध्यक्षों को भी बदला जा सकता है. इस बीच निषाद पार्टी ने अपनी प्रदेश कार्यकारणी को भंग कर दिया. निषाद पार्टी ने मंडल, जिला, ब्लाक की सभी इकाइयों को भी भंग कर दिया है.
पौधारोपण से जड़ें जमाने का प्रयास
कांग्रेस पौधारोपण अभियान के माध्यम से प्रदेश में अपनी जड़े जमाने का भी प्रयास करेगी. ‘एक बूथ, एक पेड़’ के नारे के साथ हर बूथ स्तर पर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की योजना बना रही है. जुलाई माह के पहले सप्ताह में इसकी शुरूआत की तैयारी है. कांग्रेस ने 19 जून को राहुल गांधी के जन्मदिन के अवसर पर 'राजीव गांधी वृक्षारोपण' अभियान की घोषणा की थी. जिसके तहत पार्टी हर बूथ स्तर पर एक पौधा लगाकर अपने कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाने की जुगत में है.
राहुल ने 'रायबरेली' को चुनकर दिया संदेश
राहुल गांधी केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से सांसद चुने गए. लेकिन उन्होंने सांसदी के लिए रायबरेली सीट को चुना. इस सीट को चुनने के पीछे सियासी कारण माने जाते हैं. पहली वजह है कि पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन में बेहतर प्रदर्शन किया है. सूबे में 17 सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि 6 ऐसी सीटें हैं, जहां उसे 50 हजार से कम मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा. बीते 10 साल में कांग्रेस का यह सबसे बेहतर प्रदर्शन है. 2014 में पार्टी अमेठी और रायबरेली जबकि 2019 में केवल रायबरेली में जीत दर्ज कर पाई थी.
उपचुनाव पर पार्टी का फोकस
फिलहाल कांग्रेस का फोकस यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है. कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी चुनाव में उसे भी सीट देगी. जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव उपचुनाव में ताकत दिखाकर न केवल पार्टी को मजबूत करने की कोशिश करेंगे बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए संदेश भी देंगे. 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने 111 जबकि कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
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