DNA on Causes of floods in India: अमरनाथ में बादल फटने की घटना हो या उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में आया जनसैलाब (Floods in India). इस समय देश के अधिकतर हिस्सों में बाढ़ से त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. आप अक्सर यही सुनते होंगे कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. लेकिन अब भारत एक बाढ़ प्रधान देश भी बन गया है. भारत में हर साल मॉनसून के साथ बाढ़ आना सामान्य बात हो चुकी है. हैरानी ये है कि अब बाढ़ में लोग मरते हैं तो किसी को कोई अफसोस नहीं होता. यानी हमने बाढ़ से होने वाली बर्बादी को स्वीकार कर लिया है और इसके साथ रहने की आदत डाल ली है.


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देश के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ़


सबसे पहले आपको कुछ तस्वीरें और आंकड़ें दिखाते हैं. इस समय जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना मे भारी बारिश और बाढ़ से स्थिति खराब है.


महाराष्ट्र में बाढ़ की वजह से अब तक 84 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 6 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. इसके अलावा महाराष्ट्र की बाढ़ में 180 पशुओं की भी मौत हो चुकी है और कई मकानों को भी नुकसान पहुंचा है. महाराष्ट्र में इस समय हालात इतने खराब हैं कि वहां राहत और बचाव के लिए NDRF की 13 और SDRF की चार टीमें तैनात की गई हैं. मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के मुम्बई, पालघर, नाशिक और पुणे में 14 जुलाई तक रेड अलर्ड जारी किया है.



गुजरात में भी भारी बारिश और बाढ़ से बुरा हाल है. गुजरात में बाढ़ (Floods in India) की वजह से अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा इस बाढ़ में 9 हज़ार लोगों को अपने घर छोड़ कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ा है. कई इलाकों में रिकॉर्ड बारिश हुई है. रविवार को अहमदाबाद में 219 Millimetre बारिश दर्ज हुई. यानी एक दिन में ही इतनी बारिश हो गई कि शहर की पूरी व्यवस्था चरमरा गई.


गुजरात को अभी नहीं मिलेगी बाढ़ से राहत


गुजरा के डांग, नवसारी, तापी और वलसाड ज़िले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. मौसम विभाग का अनुमान है कि अभी कुछ दिन और गुजरात में बाढ़ का कहर बना रहेगा और बारिश भी नॉन स्टॉप जारी रहेगी. इसी तरह मध्य प्रदेश में भी बाढ़ से जबरदस्त नुकसान हुआ है.


इसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू कश्मीर में भी भारी बारिश से हालात गम्भीर हैं. अब तक देश के लोग बारिश का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. आपके घर में भी रोज इस पर चर्चा होती होगी कि आखिर ये बारिश कब आएगी? लेकिन अब जब बादल बरस रहे हैं तो शहरों में सरकारी इंतजाम की पोल खुल रही है.


हमारे देश में धर्म के नाम पर अक्सर लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं. लेकिन पिछले तीन दिनों में बाढ़ (Floods in India) से देश में 100 से ज्यादा मौतें हो गईं. लेकिन इस पर हमारे देश में किसी की भावनाएं आहत नहीं हुईं. सोचिए..जिस देश में आम लोगों का मरना सामान्य बात हो और धर्म से जुड़ी खबरें प्रमुखता से दिखाई जाती हों, उस देश के लिए चुनौतियां कितनी होंगी. 


दुनिया में बाढ़ से सबसे ज्यादा मौत भारत में


दुनिया में बाढ़ से होने वाली मौतों में 20 प्रतिशत मौतें अकेले सिर्फ भारत में होती हैं. भारत में बाढ़ से हर साल औसतन 1 हजार 685 लोगों की मौत हो जाती है. इसके अलावा हर साल बाढ़ में 6 लाख 18 हजार पशु मर जाते हैं, 12 लाख घर पूरी तरह तबाह हो जाते हैं और देश को हर साल पांच हजार 649 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. सोचिए, बाढ़ में हर साल देश के लगभग 6 हज़ार करोड़ रुपये डूब जाते हैं. इसके बावजूद इस पर हमारे देश की सरकारें अफसोस तक नहीं जताती. बाढ़ कभी देश के मीडिया और राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़ा मुद्दा ही नहीं बनती.


Central Water Commission की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 1952 से 2018 के बीच 66 वर्षों में भारत में बाढ़ से 1 लाख 9 हज़ार 412 लोगों की जान गई. जबकि इन्हीं 66 वर्षों में लगभग 26 करोड़ हेक्टेयर में फैली फसल भी बाढ़ (Floods in India) की वजह से बर्बाद हो गई. इसके अलावा इन 66 वर्षों में बाढ़ से आठ करोड़ से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा. कुल मिला कर कहें तो 1952 से 2018 के बीच भारत को बाढ़ की वजह से चार लाख 70 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. यानी बाढ़ पिछले 66 वर्षों में 4 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपये निगल गई.


लेकिन क्या हमारे देश में ये कभी मुद्दा बना? National Flood Commission की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आज भारत का लगभग 12 प्रतिशत क्षेत्र ऐसा है, जहां बाढ़ आने की सम्भावना रहती है. 12 प्रतिशत का मतलब है, साढ़े चार करोड़ हेक्टेयर में फैली ज़मीन बाढ़ से बुरी तरह त्रस्त है. इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि अगर बाढ़ को ध्यान में रखते हुए ठोस रणनीति अपनाए जाए तो इसमें से तीन करोड़ हेक्टेयर में फैली जमीन को हर साल आने वाली बाढ़ से बचाया जा सकता है. हालांकि एक सच ये भी है कि बाढ़ का क्रोध पिछले कुछ वर्षों में विकराल हुआ है. हम आपको वो तीन बड़े कारण (Causes of floods in India) बताते हैं, जिसकी वजह से भारत एक बाढ़ प्रधान देश बन गया है.


तीन वजहों से भारत में आ रही बाढ़


इनमें पहला कारण है, मॉनसून में आया असामान्य बदलाव. IIT गुवाहाटी ने अपने एक अध्ययन में बताया था कि भारत में अब मॉनसून से पहले ज्यादा बारिश हो रही है. यानी प्री मॉनसून का जो समय है, उसमें इतनी बारिश हो रही है, जितनी पहले मॉनसून के दौरान होती थी. इससे हुआ ये है कि बाढ़ का जो खतरा पहले सिर्फ मॉनसून के दौरान होता था. वो खतरा अब प्री मॉनसून के दौरान ही दस्तक दे देता है. मॉनसून आने से पहले ही कई राज्यों में भारी बारिश के साथ बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. ये मॉनसून में आया एक असामान्य बदलाव है, जिसके लिए जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारण है.


दूसरा कारण है, बारिश का बदला हुआ स्वभाव. यानी अब बारिश (Floods in India) ज्यादा दिन नहीं होती. बल्कि एक, दो या तीन दिन में ही पूरे महीने जितनी बारिश हो जाती है, जिससे नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है और बाढ़ को रोकना मुश्किल हो जाता है. सरल शब्दों में इसे समझिए कि पूरे जुलाई महीने में जितनी बारिश होनी थी अगर वो एक या दो दिन में ही हो गई तो हमारे पास वो व्यवस्था नहीं है, जो इससे निपट सके. 


ज्यादातर शहरों के ड्रेनेज सिस्टम पड़ गए हैं पुराने


भारत के ज्यादातर शहरों के Drainage System दशकों पुराने हैं. जैसे मुम्बई का Drainage System 150 साल से भी ज्यादा पुराना है.  दिल्ली का Drainage System साल 1976 का है. यानी शहरों में जल निकासी की जो व्यवस्था है, वो बूढ़ी हो चुकी है और इस बूढ़ी हो चुकी व्यवस्था के लिए बारिश के नए स्वभाव को समझना और उससे लड़ना मुमकिन नहीं है. इसी वजह से मुम्बई, अहमदाबाद, दिल्ली और बेंगलूरु में बारिश के बाद बाढ़ के हालात बन जाते हैं और आपका जीवन भी इसमें प्रभावित होता है.


बाढ़ आने का तीसरा कारण है, नदियों के डूब क्षेत्र में बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स बनाना और इस क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लेना. जब नदियों का जलस्तर घटता है तो लोग डूब क्षेत्र में अपने मकान बना लेते हैं. जब नदियों का जलस्तर बढ़ता है और डूब क्षेत्र में पानी आ जाता है तो ये कहा जाता है कि इन इलाकों में बाढ़ आ गई जबकि सच ये है कि बाढ़ डूब क्षेत्र में आती है, जहां लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाता है.


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