नई दिल्ली: हमारे देश में तीन चीजों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता मिलती है. राजनीति (Politics), क्रिकेट (Cricket) और धर्म (Religion). यानी हमारे देश के सामाजिक ढांचे की ये तीन शाखाएं हैं. लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) के मौजूदा संकट में इन्हीं तीनों शाखाओं से देश को बड़ी निराशा हाथ लगी. 


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राजनीति से इसलिए क्योंकि देश में रैलियों का खेला हुआ, क्रिकेट से इसलिए क्योंकि शोक के माहौल में भी IPL के मैचों का आयोजन हुआ. धर्म से इसलिए क्योंकि संकट के इस दौर में भी धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन हुआ और हम सबने कुम्भ में लाखों लोगों की भीड़ भी देखी. लेकिन अब राजनीति का खेल भी खत्म हो गया, क्योंकि चुनाव के नतीजे आ गए हैं. क्रिकेट का खेल भी खत्म हो गया है, क्योंकि आज आईपीएल 2021 को फिलहाल टाल दिया गया है. धर्म के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. 


हालांकि कोरोना वायरस कहीं नहीं गया है. इसका खेला अब भी जारी है और देश में हर दिन औसतन साढ़े तीन हजार लोग इससे मर रहे हैं. इसलिए अब हम इसी के बारे में बात करेंगे.


'बायो बबल ब्लास्ट' के कारण रद्द हुआ IPL


सबसे पहले हम आपको आईपीएल 2021 के बारे में बताते हैं, जिसके सभी मैच अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं. ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि क्रिकेट खिलाड़ियों को जिस बायो बबल (Bio Bubble) में रखा गया था, वो फूट गया. अंग्रेजी में इसे बायो बबल ब्लास्ट कहा जा रहा है. ये आईपीएल का 14वां सीजन था, जो 52 दिनों तक चलना था और इस दौरान 30 मई तक कुल 60 मैच खेले जाने थे. लेकिन सिर्फ 29 मैच ही खेले जा सके और कई टीम के खिलाड़ियों और स्टाफ मेम्बर्स को कोरोना हो गया. संक्रमण और ना फैले, इसी को देखते हुए BCCI ने आईपीएल 2021 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. हालांकि ये फैसला लेना BCCI के लिए आसान नहीं था. 


BCCI को होगा 1690 करोड़ रुपये का नुकसान


आपको याद होगा पिछले दिनों हमने आपसे कहा था कि जिस समय देश में चारों तरफ मातम का माहौल है और लोग मर रहे हैं, तब देश में क्रिकेट का उत्सव क्यों मनाया जा रहा है. और BCCI आईपीएल को रोक क्यों नहीं देता. आज इस सवाल का जवाब भी मिल गया है. आईपीएल के स्थगित होने से BCCI को 2200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. जिस स्पोर्ट्स चैनल पर आईपीएल के मैचों का लाइव प्रसारण होता है, उसके लिए चैनल की तरफ से BCCI को पैसे मिलते हैं. BCCI ने इस चैनल के साथ 5 वर्षों के लिए 16 हजार 347 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रेक्ट किया है. यानी हर साल चैनल आईपीएल के मैचों का लाइव प्रसारण करने के लिए BCCI को लगभग साढ़े 3200 करोड़ रुपये देता है. यानी एक मैच से BCCI को लगभग 54 करोड़ रुपये की कमाई होती है, जो कोरोना की वजह से अब नहीं हो पाएगी. एक आंकलन के मुताबिक, BCCI को आईपीएल के बाकी के मैच टालने से 1690 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. 


महामारी के पहले IPL को क्यों नहीं रोका गया?


इसके अलावा आईपीएल 2021 की एसोसिएट स्पॉन्सर और टाइटल स्पॉन्सर कंपनियों से भी हजारों करोड़ों रुपये आते थे, लेकिन अब ये कंपनियां इसका पूरा भुगतान नहीं करेंगी. इस समय आईपीएल की जो टाइटल स्पॉन्सर कंपनी है, वो सालाना BCCI को 440 करोड़ रुपये देती है, जबकि प्रत्येक सह प्रायोजक कंपनी सालाना 120 करोड़ रुपये देती है. लेकिन अब BCCI को इसकी आधी रकम ही भुगतान में मिलेगी. यानी उसे बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है. ये नुकसान होगा बायो बबल के फूटने से. यही वजह है कि महामारी के पहले आईपीएल को रोका नहीं गया.


क्या होता है बायो बबल?


बताते चलें कि बायो बबल एक ऐसा काल्पनिक क्षेत्र होता है जिसके अंदर रहने वाले लोगों का संपर्क बाहरी दुनिया से बिल्कुल नहीं होता. आईपीएल के लिए बनाए गए बायो बबल में क्रिकेट खिलाड़ियों के अलावा टूर्नामेंट से जुड़े सभी लोग शामिल थे. इन्हें इससे बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. सरल भाषा में कहें तो मान लीजिए कि Bio Bubble उस सुरक्षित बिल्डिंग की तरह है, जिसमें रहने वाले लोगों को बाहर कहीं भी आने जाने की इजाजत नहीं है. इस बिल्डिंग में वही लोग रहेंगे, जिनका बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं है, और एंट्री उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव होगी. ये एक पूरी प्रक्रिया है, जिसके तहत खिलाड़ियों को क्रिकेट मैचों के लिए सुरक्षित और संक्रमण से दूर रखा जाता है. 


लेकिन तमाम थ्योरी के बावजूद कोरोना वायरस ने इस बबल को फोड़ दिया, और इसने दूसरे देशों से आईपीएल खेलने भारत आए क्रिकेट खिलाड़ियों को चिंता में डाल दिया है. अब इन खिलाड़ियों के लिए बड़ा प्रश्न ये है कि ये अपने घर कैसे जाएंगे? क्योंकि भारत में अब आईपीएल के मैच नहीं होंगे.


ऑस्ट्रेलिया ने अपने क्रिकेटरों की एंट्री पर लगाई रोक


ऑस्ट्रेलिया (Australia) के क्रिकेट खिलाड़ी, जिनमें पूर्व खिलाड़ी भी हैं, वो अभी अपने देश वापस नहीं जा सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने कहा है कि उसके जो नागरिक भारत में फंसे हैं, उन्हें अब ऑस्ट्रेलिया में एंट्री नहीं मिलेगी. और अगर कोई खिलाड़ी इस नियम को तोड़ता है तो उसे पांच साल की जेल की सजा होगी और उस पर 66 हजार डॉलर यानी लगभग 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. ऐसे में कोई खिलाड़ी अगर ये सोच रहा है कि वो भारत से पहले किसी और देश जाएगा और फिर से वहां से ऑस्ट्रेलिया पहुंच जाएगा तो ये अब मुमकिन नहीं है.


ऑस्ट्रेलिया में हो रहा सरकार के फैसले का विरोध


हालांकि ऑस्ट्रेलिया की सरकार के इस फैसले की वहां काफी आलोचना हो रही है और इसे कोर्ट में चुनौती देने की भी तैयारी है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के ह्यूमन राइट्स कमीशन ने भी इसका विरोध किया है, और वहां के चीफ मेडिकल ऑफिसर ने तो सरकार को चेतावनी दी है कि इस फैसले की वजह से उसके कई नागरिक वहां फंस जाएंगे, और इनमें से कुछ की मौत भी हो सकती है.


मझधार में फंस गए हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी


यानी भारत में आईपीएल के मैचों का आयोजन अब एक अंतर्राष्ट्रीय खबर बन गई है, और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी बीच मझधार में फंस गए हैं. वो कोरोना के डर से ना तो भारत में रुकना चाहते हैं और ना ही अपने देश ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं. इस पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि ये खिलाड़ी अपने संसाधनों से भारत गए थे, इसलिए उनकी वापसी का फैसला ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हित से जुड़ा नहीं है. लेकिन वो फिर भी इन खिलाड़ियों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं.


ऑस्ट्रेलिया के 35 हजार नागरिक दूसरे देशों में फंसे


ऑस्ट्रेलिया के इन खिलाड़ियों को लेकर आज एक सवाल ये भी चर्चा में है कि जब भारत में कोरोना वायरस का संकट गंभीर रूप ले रहा था, तब ये खिलाड़ी सिर्फ पैसों के लिए आईपीएल खेलते रहे? इस पर ऑस्ट्रेलिया में भी काफी बहस हो रही है. इस समय ऑस्ट्रेलिया के 35 हजार नागरिक दूसरे देशों में फंसे हुए हैं, और इनमें से एक चौथाई अकेले भारत में है.


पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 706 शिक्षकों की मौत


क्रिकेट के खेला के बाद अब हम आपको राजनीति के खेला के बारे में बताते हैं. इस खेला को आप उन तस्वीरों से समझ सकते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के पंचायती चुनाव (Panchayat Chunav) के नतीजों के दौरान कोरोना से जुड़े नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही थीं. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने तो ये दावा किया है कि राज्य में पंचायती चुनाव की वजह से 706 शिक्षकों की मौत हो गई. क्योंकि ये शिक्षक चुनाव में ड्यूटी कर रहे थे. बताया जा रहा है कि ये सभी शिक्षक चुनाव में अपनी ड्यूटी के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित हुए.


वोटों की गिनती से पहले SC पहुंचे सामाजिक संगठन


आज यहां जो बात आपको समझनी है, वो ये कि जब 2 मई को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पंचायती चुनाव में वोटों की गिनती होनी थी, तो उससे पहले कई सामाजिक संगठन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गए थे. उन्होंने अदालत से संक्रमण के खतरे को देखते हुए वोटों की गिनती पर रोक लगाने की अपील की थी. 


इस वजह से ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैला संक्रमण


तब सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने ये कहा था कि वोटों की गिनती राज्य निर्वाचन आयोग कोरोना प्रोटोकॉल के तहत करवा रहा है. राज्य में पंचायती चुनाव हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही करवाए गए हैं. हम आपको यहां फिर से बता दें कि उत्तर प्रदेश में पंचायती चुनाव कराने को हरी झंडी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी थी. चुनावों के इस खेला ने आज उत्तर प्रदेश को बड़े संकट की तरफ धकेल दिया, और अब राज्य के ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण के फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. इसके दो कारण हैं- पहला है पंचायती चुनाव और दूसरा कुंभ से लौटे श्रद्धालु. यानी इसका एक कारण धर्म का खेला भी है.


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