DNA With Sudhir Chaudhary: कौन जीतेगा महाराष्ट्र का राजनीतिक दंगल, शिवसेना Vs शिंदेसेना
DNA With Sudhir Chaudhary: संजय रावत के बयान ने NCP और कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि शिवसेना अब साफ-साफ कह रही है कि वो पार्टी बचाने के लिए NCP और कांग्रेस से अपने रिश्ते तोड़ने के लिए तैयार है.
DNA With Sudhir Chaudhary: अब हम आपको मुम्बई में बन रही राजनीति की फिल्म का अगला अध्याय दिखाएंगे, जहां नई सरकार बनाने के लिए अब बीजेपी खुल कर सामने आ गई है. BJP ने एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों को NDA में शामिल करके उन्हें राज्य सरकार में पांच मंत्री पद और केन्द्र सरकार में दो मंत्री पद ऑफर किए हैं. दूसरी तरफ शिवसेना के नेता संजय राउत ने ये कह कर एक नया दांव खेला है कि अगर सभी बागी विधायक शिवसेना में लौट आएं तो शिवसेना, NCP और कांग्रेस के साथ अपना गठबन्धन तोड़ सकती है. संजय रावत के बयान ने NCP और कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि शिवसेना अब साफ-साफ कह रही है कि वो पार्टी बचाने के लिए NCP और कांग्रेस से अपने रिश्ते तोड़ने के लिए तैयार है.
अजीत पवार को भी हुई हैरानी
संजय राउत के इस बयान पर NCP नेता अजीत पवार ने भी हैरानी जताई है और कहा है कि वो इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे से बात करेंगे. इसके अलावा अब से कुछ देर पहले शरद पवार ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि वो भी उद्धव ठाकरे से इस पर बात करेंगे.
विधायकों को बन्धक बनाने का आरोप
शिवसेना के नेता संजय राउत और विधायक नितिन देशमुख ने आज एकनाथ शिंदे पर पार्टी विधायकों को जबरदस्ती गुवाहाटी में बन्धक बनाकर रखने का आरोप लगाया. साथ ही ये भी कहा कि एकनाथ शिंदे के गुट के 21 विधायक उनके सम्पर्क में हैं और वो वापस शिवसेना में लौटना चाहते हैं. नितिन देशमुख वही नेता हैं, जो एक दिन पहले सूरत से अचानक मुम्बई आ गए थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि एकनाथ शिंदे ने उन पर उद्धव ठाकरे का विरोध करने के लिए दबाव बनाया और जब वो इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें Heart Attack बता कर सूरत के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. जिसके बाद वो किसी तरह सूरत से मुम्बई वापस लौट आए.
तस्वीरें कुछ और ही कह रही हैं
यानी संजय राउत का दावा है कि जो विधायक अभी एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी के होटेल में रुके हुए हैं, उन्हें डराया धमकाया गया है. लेकिन हम आपको गुवाहाटी से आई कुछ तस्वीरें दिखाना चाहते हैं, जिनमें आप शिवसेना के बागी विधायकों को एकनाथ शिंदे के पैर छूते हुए देख सकते हैं. अब सोचिए, क्या इन तस्वीरों को देख कर आपको कहीं से भी ऐसा लग रहा है कि इन विधायकों को डराया, धमकाया गया हो? एकनाथ शिंदे ने होटेल के अन्दर की कुछ और तस्वीरें जारी की हैं, जिनमें उनके साथ कुल 42 विधायक नजर आ रहे हैं. हालांकि एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि इस समय गुवाहाटी में उनके साथ कुल 48 विधायक हैं. जिनमें से 41 विधायक शिवसेना के हैं और 7 विधायक निर्दलीय हैं. शिवसेना के पास कुल 55 विधायक हैं. और अगर एकनाथ शिंदे सही कह रहे हैं तो इस हिसाब से उद्धव ठाकरे के पास अब सिर्फ 55 में से 14 विधायक ही बचे हैं.
विधायकों ने उद्धव से जताई नाराजगी
इन विधायकों ने एक चिट्ठी लिख कर उद्धव ठाकरे के प्रति नाराजगी जताई है और कहा है कि शिवसेना का कांग्रेस और NCP के साथ गठबन्धन में सरकार चलाना उन्हें स्वीकार नहीं है. अब वो वापस नहीं लौटेंगे बल्कि एकनाथ शिंदे का पूरी ताकत के साथ देंगे. लेकिन कांग्रेस और NCP दोनों पार्टियां उद्धव ठाकरे से लगातार सम्पर्क में बनी हुई हैं. और शरद पवार सरकार को बचाने के लिए एक के बाद एक बैठकें कर रहे हैं. अब से कुछ देर पहले शरद पवार ने NCP के तमाम बड़े नेताओं और विधायकों से बात की है.
बाढ़ प्रभावितों से बेखबर TMC के कार्यकर्ता
दूसरी तरफ गुवाहाटी के जिस होटेल में शिवसेना के बागी विधायक रुके हुए हैं, आज वहां TMC के कार्यकर्ताओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया. इन बागी विधायकों पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. सोचिए, TMC के इन कार्यकर्ताओं को गुवाहाटी में क्या करना चाहिए था. इन्हें असम में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए थी. और अगर उन्हें कुछ मांग करनी भी थी तो वो मांग ये होनी चाहिए थी कि असम की सरकार जल्द से जल्द बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाए. लेकिन वो भी बाढ़ के बजाय बगावत का विरोध करने के लिए गुवाहाटी में जमा हो गए. इससे आज आपको ये पता चलेगा कि हमारे देश के मीडिया के साथ हमारे देश के राजनीतिक दल भी पूरी तरह दिशाहिन हैं. हालांकि ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को देश के संघीय ढांचे के लिए खतरनाक बताया है.
शिवसेना पर गिरी एक और गाज
महाराष्ट्र से एक और बड़ी खबर ये है कि शिवसेना एक और नेता, जिनका नाम है, रवींद्र फाटक वो भी मुम्बई से गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए हैं और उन्होंने एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन दे दिया है. ये इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने 21 जून को अपने जिन दो नेताओं को सूरत में एकनाथ शिंदे को मनाने के लिए भेजा था, उनमें रवींद्र फाटक का भी नाम था. यानी रवींद्र फाटक मनाने तो एकनाथ शिंदे को गए थे. लेकिन एकनाथ शिंदे ने उन्हें ही अपने गुट में शामिल कर लिया और अब वो भी गुवाहाटी में उद्धव ठाकरे के खिलाफ एकनाथ शिंदे का साथ देंगे.