कोरोना काल में बच्चों को स्कूल भेजना कितना सुरक्षित? एम्स निदेशक ने दिया ये जवाब
कोरोना के केस एक बार फिर बढ़ रहे हैं, ऐसे में कई राज्य स्कूलों को खोल रहे हैं, जिससे पेरेंट्स के मन में बच्चों की सेहत को लेकर कुछ शंकाएं हैं. पेरेंट्स की शंकाओं और सवालों का एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया ने जवाब दिया है.
नई दिल्ली: देश में कोरोना के केस एक बार फिर बढ़ना शुरू हो गए हैं. ऐसे में कई राज्यों ने स्कूलों को खोलने का फैसला किया है. स्कूल खोलने के फैसले के बाद पेरेंट्स के मन में कई तरह की शंकाएं हैं. कई पेरेंट्स स्कूल खोलने के पक्ष में हैं, तो वहीं कुछ इस फैसले के खिलाफ हैं. इस संबंध में देश दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने लोगों की चिंताओं को कम करने की कोशिश की और उनके मन में चल रहे सवालों के जवाब दिए हैं.
डॉ गुलेरिया ने दिए ये 5 जवाब
1. सवाल : देश में अब भी कोरोना के केस थम नहीं रहे और कई राज्य स्कूल खोल रहे हैं, इस बारे में आप क्या कहेंगे?
जवाब: मेरा मानना है कि जिन जिलों में कोरोना के कम केस हैं और जहां संक्रमण दर भी कम है, वहां कोविड प्रोटोकॉल के साथ स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए. स्कूलों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ या अलग-अलग शिफ्ट में शुरू किया जा सकता है. स्कूल सेनेटाइजेशन का इंतेजाम करके सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ बच्चों को बुला सकते हैं. स्कूलों में बच्चों की निगरानी करनी पड़ेगी.
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2. सवाल: जब कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, ऐसे में स्कूल खोलना कितना सही होगा?
जवाब: तीसरी लहर की चपेट में बच्चों के आने की बात इसलिए कही जा रही थी, क्योंकि अब तक बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है. अगर हम भारत, यूरोप और ब्रिटेन में दूसरी लहर के आंकड़ों पर गौर करें, तो हम पाएंगे कि बहुत कम बच्चे वायरस का शिकार हुए थे. भारत में भी कोरोना वायरस से कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सीरो सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि करीब 55 फीसदी बच्चों में पहले से ही वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं. ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल एवं निगरानी के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं.
3. सवाल: काफी संख्या में पेरेंट्स ने बिना वैक्सीन लगाए बच्चों को स्कूल भेजने पर आपत्ति जताई है, आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब: सभी बच्चों का टीकाकरण कराने में काफी समय लगेगा और ऐसे में तो अगले साल के बाद तक ही स्कूल खोले जा सकेंगे. इसके बाद वायरस के नए वेरिएंट का खतरा भी रहेगा. ऐसी चिंताओं के बीच तो हम स्कूल खोल ही नहीं पाएंगे. जहां कम केस आ रहे हैं वहां स्कूल खोल सकते हैं. जैसे दिल्ली में 100 के आसपास मामले आ रहे हैं, तो एहतियात एवं कोविड नियमों के पालन के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं. केरल में मामले अभी अधिक हैं तो वहां अभी स्कूल खोलना सही नहीं होगा.
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4. सवाल: स्कूलों में किस प्रकार की सावधानी की जरूरत है. आपकी स्कूलों को क्या सलाह है?
जवाब: स्कूलों में क्लास रूम की पढ़ाई से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है. स्कूलों में बच्चों का टीचर्स और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और बहुत कुछ सीखते हैं. स्कूलों में पूरी सावधानी बरती जाए. स्कूलों को कोरोना गाइडलाइन के पालन में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए. स्कूल प्रशासन को स्कूल में होने वाली प्रेयर जैसे प्रोग्राम के समय इकट्ठा होने से बचना होगा.
5. सवाल: काफी संख्या में पेरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने में आपत्ति जता रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: पेरेंट्स को यह विश्वास दिलाना होगा कि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत में कुछ समय स्कूलों में बच्चे कम संख्या में आएंगे, लेकिन धीरे-धीरे पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल में भेजना शुरू करेंगे.
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