न गोला-बारूद, न कोई बम... डायरेक्टेड एनर्जी से हवा में तबाह होगा दुश्मन! DRDO बना रहा नया हथियार
DRDO Netra Project: डीआरडीओ काफी तेजी से एक डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) सिस्टम बनाने पर काम कर रहा है. यह ऐसी तकनीक है जिसे दुनिया की चुनिंदा सेनाओं ने ही अपनाया है.
DRDO News: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) इस साल भारतीय वायुसेना (IAF) की 'तीसरी आंख' विकसित कर लेना चाहता है. एक रिपोर्ट में, अधिकारियों ने बताया कि DRDO इसी साल IAF के लिए AEW&C-KI की फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस भी चाहता है. इन प्लेटफॉर्म्स को 'नेत्र' नाम दिया गया है. इनका इस्तेमाल दुश्मन के विमानों या UAVs (ड्रोन) की पहचान और उन्हें ट्रैक करने में होता है. खतरे का अंदाजा लगाकर ऑपरेटर इंटरसेप्टर्स के जरिए दुश्मन को निपटा भी सकता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल IAF दो AEW&C सिस्टमों का यूज कर रही है. DRDO दुश्मन के ड्रोन्स को तबाह करने के लिए एंटी-ड्रोन हाई पावर माइक्रोवेव सिस्टम पर भी काम कर रहा है. इसकी रेंज 1 किलोमीटर तक की होगी.
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन भी बना रहा DRDO
डीआरडीओ के वैज्ञानिक एक 30 किलोवॉट का डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) सिस्टम तैयार करने में भी जुटे हैं. इसके जरिए हवाई वस्तुओं को निशाना बनाकर मार गिराया जा सकेगा. यह एक खास तकनीक है जिसकी टेस्टिंग और यूज दुनिया की कुछ एडवांस्ड सेनाएं ही कर रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य हालिया संघर्षों ने ड्रोन्स को एक बड़े खतरे के रूप में उभारा है. DEW सिस्टम के जरिए दुश्मन को निशाना बनाने के लिए कंसंट्रेटेड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का यूज किया जाता है.
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क्या होते हैं डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस?
डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस (DEWs) में कोई ठोस प्रोजेक्टाइल (गोला-बारूद, मिसाइल आदि) इस्तेमाल नहीं होता. इसमें लक्ष्य को भेदने के लिए काइनेटिक एनर्जी की जगह, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक या पार्टिकल तकनीक से कंसंट्रेटेड एनर्जी का यूज किया जाता है. ये हथियार बेहद सटीकता के साथ कई किलोमीटर दूर मौजूद टारगेट को निपटा सकते हैं. DEWs के उदाहरणों में हाई एनर्जी वाले लेजर, माइक्रोवेव, मिलीमीटर वेव्स, पार्टिकल बीम्स इत्यादि शामिल हैं.
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तकनीक के सहारे और घातक बन रही सेना
ऐसे अत्याधुनिक हथियारों के डेवलपमेंट और टेस्टिंग से भारत की सेनाएं और घातक बन रही हैं. पिछले साल, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को ऐसे अत्याधुनिक हथियार बनाने में तेजी दिखानी चाहिए. जो रेंज और सटीकता हमें चाहिए, उसके लिए उन्हें हवाई प्लेटफॉर्म्स से इंटीग्रेट किया जाना चाहिए. चौधरी ने कहा था कि DEWs खासकर लेजर, परंपरागत हथियारों की तुलना में कहीं ज्यादा कारगर हैं.