Anwar Dhebar Arrested: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छतीसगढ़ में चले रहे शराब घोटाले मामले में अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया है. अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई है. एजेंसी ने मनी लॉड्रिंग का ये मामला छतीसगढ़ में इनकम टैक्स की छापेमारी के बाद दाखिल चार्जशीट के आधार पर दर्ज किया है. इनकम टैक्स ने मई 2022 को छापेमारी में मिले सबूतों के आधार पर IAS अनिल टूटेजा और दूसरे आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी में चार्जशीट दाखिल की थी.
 
इनकम टैक्स को छापेमारी में सबूत मिले थे कि राज्य में बड़े नेताओं, सरकारी अधिकारी और कुछ प्राइवेट लोगों की मिलीभगत से बड़ा अवैध रिश्वत का कारोबार चल रहा है. ये कारोबार 2 हजार करोड़ से ज्यादा का है और राज्य के कई विभागों तक फैला हुआ है. यही वजह है कि रोजाना की कलेक्शन के लिए बकायदा डाटा मैनेज किया जा रहा था और एक्सेल शीट पर आपस में वॉट्सऐप पर शेयर किया जा रहा था, जिसे इनकम टैक्स ने अपनी छापेमारी में पकड़ा. 


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नेताओं-अफसरों सबके रेट थे फिक्स


इसके बाद जब ED ने अपनी जांच शुरू की तो पता चला कि छतीसगढ़ में इंडस्ट्री एंड कॉमर्स डिपार्टमेंट में ज्वॉइंट सेक्रेटरी अनिल टूटेजा इस पूरे नेटवर्क को अनवर ढेबर के साथ मिलकर चला रहा है. इन दोनों के राज्य के बड़े नेताओं और दूसरे सीनियर अधिकारियों के साथ काफी नजदीकी संबध हैं, जिसकी वजह से ये नेटवर्क बिना रो-टोक चल रहा था. अनवर ढेबर इस पूरे अवैध रिश्वत का मुख्य कलेक्शन एजेंट था जो खुद और अनिल टूटेजा के लिए 15 फीसदी हिस्सेदारी रख बाकी दूसरे लोगों के लिए रखता था.इसमें राज्य के नेता और अधिकारी शामिल हैं.


सरकार लाई थी नई एक्साइज पॉलिसी


राज्य में शराब कारोबार सरकारी कमाई का एक बड़ा जरिया है और इसके लिए सरकार ने साल 2017 में नई एक्साइज पॉलिसी तैयार की थी. फरवरी 2017 में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) का गठन किया था. इसका मुख्य मकसद था अवैध शराब के कारोबार को रोकना, सही शराब MRP पर बेचना. इसके लिए सरकार ने सीधे कंपनियों से शराब खरीद कर अपने स्टोर से बेचने की योजना बनाई थी, ताकि नकली और महंगी शराब को बिकने से रोका जा सके.


अनवर ने तैयार किया पूरा नेटवर्क


लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद सबसे पहले CSMCL में अरुणपति त्रिपाठी जो ITS अधिकारी है, को फरवरी 2019 में मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया. अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को शराब पर कमिशन की जिम्मेदारी थी और साथ ही बिना टैक्स (Non Duty) के CSMCL स्टोर में शराब बेचने के लिए कहा, जिससे पैसा सरकार को ना जाकर सीधे अनवर ढेबर और दूसरे लोगों तक पहुंच सके. इसमें कैश कलेक्शन की जिम्मेदारी विकास अग्रवाल और लॉजिस्टिक की जिम्मेदारी अरविंद सिंह को दी गई. अनवर ढेबर ने इस पूरे प्रोजेक्ट को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें पहला हिस्सा शराब व्यापारियों से कमीशन, दूसरे हिस्से में नकली होलोग्राम के साथ सरकारी दुकानों से देशी शराब बेचना और तीसरे हिस्से में कमाई को रखा गया था.


अरुणपति त्रिपाठी ने M/s Prizm Holography & Films Securities Pvt Ltd को शराब की बॉटल पर लगने वाले होलोग्राम का कॉन्ट्रैक्ट दिया, जिसमें नकली होलोग्राम भी देने के लिए कहा गया. इसके बाद मार्च 2019 में अनवर ढेबर ने राज्य में शराब सप्लाई करने वालों के साथ मीटिग की और कहा कि शराब की हर पेटी पर 75 रुपये कमीशन देना होगा और इसके बदले में शराब व्यापारी शराब का रेट बढ़ा सकते हैं. सारी शराब सीधे CSMCL के जरिए ही खरीदी जानी थी जिसका मतलब है कि पूरा रिकॉर्ड मौजूद था और जब तक कमीशन नहीं आता, शराब व्यापारियों को पेमेंट नहीं की जाती.


सरकार को हुआ नुकसान


इसके अलावा देशी शराब कंपनी और व्यापारियों को कहा गया कि वो नकली होलोग्राम लगा कर CSMCL के स्टोर पर अवैध शराब भेजें, जिसका कोई सेल रिकॉर्ड नहीं होगा और कंपनियों को पेमेंट कैश में की गई और ये शराब सरकारी वेयरहाउस में ना जाकर सीधे सरकारी दुकानों पर जाती थी, ताकि इसका कोई रिकॉर्ड ना रहे लेकिन पैसा बराबर आता रहे. इस तरीके से सरकार को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा था और इस सिडिकेंट को फायदा.


एजेंसी को जांच में पता चला कि 2019-22 तक इस तरह की अवैध शराब की सेल करीब 30-40 फीसदी तक थी. 560 रुपये प्रति केस की MRP 2880 रखी गई, जिसे बाद में बढ़ाकर 3880 कर दिया गया. बिना कागजों के अवैध शराब की सेल साल 2019-20 में 200 ट्रक में प्रति महीने करीब 800 केस थी जो 2022-23 में बढ़कर 400 प्रति ट्रक बढ़ गई थी. यानी शराब भी दोगुनी. अनवर ने सिस्टम को इस तरह से तैयार किया था कि जिससे शराब व्यापारियों से लेकर नेताओं-अधिकारियों तक सब को फायदा हो. इसमें शराब का लाइसेंस मिलने से लेकर शराब बेचने तक की सालाना कीमत तय थी. 


ED का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए अनवर ढेबर को  6 बार पूछताछ के लिए बुलाया गया और 29 मार्च 2023 को घर पर छापेमारी भी की गई. लेकिन अनवर ढेबर एक बार भी जांच में शामिल नहीं हुआ बल्कि जब एजेंसी ने घर पर छापेमारी की तो अनवर घर में बने एक खुफिया दरवाजे से निकल गिया. इतना ही नहीं, अनवर के परिवार ने जांच के लिए नोटिस लेने से भी मना कर दिया और किसी तरह का सहयोग नहीं किया.


टीम डराने की कोशिश की


आरोपी का भाई रायपुर का मेयर है तो इसलिए अपने समर्थकों को बुला कर टीम को घेरने और डराने की कोशिश भी की. इतना ही नहीं, एक मौके पर पूछताछ से बचने के लिए अनवर ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट लगाया लेकिन जब डॉक्टर ने जांच की तो उसने इस मेडिकल सर्टिफिकेट को जारी करने से मना कर दिया. 


इसी के बाद एजेंसी को जानकारी मिली कि अनवर ढेबर अपने दोस्त के होटल Hotel Grand Imperia में रूम नंबर 205 में बिना किसी एंट्री के छिपा हुआ है. कमरे में अनवर बेनामी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था. जब सवेरे टीम उसे पकड़ने होटल पहुंची तो वहां से भी अनवर ने भागने की कोशिश की. 


एजेंसी के मुताबिक, अनवर एक प्राइवेट आदमी है जो अपने भाई और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर और राज्य की सरकार के साथ नजदीकी रिश्तों की बदौलत इस पूरे नेटवर्क को चला रहा है. अनवर की राज्य की पूरी एक्साइज पर पकड़ है और 2 हजार करोड़ के इस कारोबार की पूरी जानकारी है कि किसे कितना और कैसे कमीशन दिया जा रहा है. इस नेटवर्क में प्राइवेट, सरकारी अधिकारी और राज्य के नेता शामिल हैं जिन तक ये कमीशन जाता है. इसी के बाद अनवर को रविवार सुबह गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया गया जिसके बाद अदालत ने अनवर को चार दिनों के लिये ED की हिरासत में भेज दिया है ताकि इस पूरे नेटवर्क के बारे में जानकारी जुटाई जा सके.


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