Elephant Attack Wayanad: केरल में हाथियों के बढ़ते हमले चिंता का विषय बन गए हैं. केरल राज्य योजना बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 10 वर्षों में जानवरों के हमलों के कारण 300 से अधिक मौतें दर्ज की गईं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में जानवरों के हमले में 555 लोगों की मौत हुई है. वहीं लोकसभा में साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि  पिछले चार वर्षों में केरल में हाथियों के हमलों में 57 लोगों की जान चली गई है. हाथी के हालिया हमलों के बाद लोगों में खासा रोष देखा गया है. जंगली जानवरों पर लगाम लगाने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की मांग राज्य में उठ रही है. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे हमलों को रोकना उतना आसाना नहीं है जितना लगता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्यों हो रहे हैं हाथियों के हमले


केरल का लगभग एक तिहाई क्षेत्र जंगलों से ढंका हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि वायनाड और राज्य के उत्तरी क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या है. हालांकि यह समस्या हाल की नहीं है, लेकिन फसल के पैटर्न में बदलाव, पशुपालन और वन क्षेत्रों के पास वृक्षारोपण जैसी कमर्शियल गतिविधियों के कारण यह और भी गंभीर हो गई है. नदी घाटी परियोजनाओं, जंगल के अतिक्रमण, हाई-वोल्टेज इलेक्ट्रिक लाइनों, रेलवे लाइनों और हाइवे के लिए जगल की जमीन के इस्तेमाल की वजह से हाथियों के रहने की जगह सिकुड़ रही है. जिससे हाथियों के हमले का खतरा बढ़ गया है.


राज्य सरकार का यह भी मानना है कि कि जंगल के किनारे रहने वाली ‘वर्तमान पीढ़ी का सहनशीलता स्तर’ पुरानी पीढ़ियों जितना ऊंचा नहीं है, जिन्होंने जानवरों के साथ सह-अस्तित्व सीख लिया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जंगली सूअर के हमलों को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए कोशिश करने को कहा था.


किस साल कितने लोगों की हुई मौत?


साल मौत
2019-20 102
2020-21 97
2021-22 152
2022-23 99
2023-24* 105

राज्य सरकार ने पारित किया प्रस्ताव


जानवरों पर हमले के बार-बार सामने आ रहे मामलों के बीच, केरल विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से कानूनों को सरल बनाने के लिए कहा ताकि वह इस मुद्दे से अधिक प्रभावी ढंग से निपट सके. इसने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में बदलाव की मांग की है ताकि चीफ वन्यजीव वार्डन (सीडब्ल्यूडब्ल्यू) को उपलब्ध शक्तियों का इस्तेमाल मुख्य वन संरक्षकों द्वारा किया जा सके, जो इमरजेंसी में कदम उठाने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे.


अधिनियम की धारा 11(1)(ए) के तहत, सीडब्ल्यूडब्ल्यू किसी भी व्यक्ति को विशेष जंगली जानवरों को मारने की अनुमति दे सकता है यदि वे मानव जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं. प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि जंगली सूअरों को वर्मिन अधिनियम के तहत घोषित किया जाए ताकि उन्हें मारने की अनुमति मिल सके.


जानवरों को दूर रखने के प्रयास


हाल के दिनों में केरल वन और वन्यजीव विभाग ने खेत और रिहायशी क्षेत्रों में जानवरों की एंट्री को रोकने के लिए बाधाएं और रुकावटें खड़ी की नीति अपनाई है. अब तक कुल 511.2 किमी लंबी हाथी-रोधी खाइयां खोदी जा चुकी हैं और सौर ऊर्जा से संचालित बाड़ और हाथी-रोधी दीवारें जैसे नए उपाए भी इस्तेमाल किए गए हैं. काली मिर्च का स्प्रे, धुआं कनस्तर और काली मिर्च का गोबर जिसे जलाकर धुआं पैदा किया जाता है, अन्य रणनीतियां हैं जो आंशिक रूप से प्रभावी रही हैं क्योंकि ये हवा की दिशा पर निर्भर करती हैं.