नई दिल्ली: कृषि विधेयकों (Farm Bills) को लेकर संसद में हुए हंगामे पर राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण (Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh Narayan) ने स्पष्टीकरण दिया है. सभापति ने कहा है कि चूंकि मैं एक संवैधानिक पद पर हूं, इसलिए आरोपों पर औपचारिक खंडन जारी नहीं कर सकता. मैं इन तथ्यों को आपके संज्ञान में ला रहा हूं, और बाकी फैसला आप पर छोड़ता हूं.


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रागेश वेल नहीं थे सीट पर
उप सभापति हरिवंश नारायण ने सदन की उस दिन की कार्यवाही की विस्तृत जानकारी दी है, जब भारी हंगामे के बीच दो कृषि सुधार विधेयक पास हुए थे. इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मत विभाजन की उसकी मांग ठुकरा दी गई. उप सभापति ने कहा कि नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ.


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उन्होंने कहा, ‘केके रागेश (KK Ragesh) ने अध्यादेश को अस्वीकार करने और विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जिसे सदन ने दोपहर 1.07 बजे ध्वनि मत से अस्वीकार कर दिया. इस दौरान रागेश वेल में थे अपनी सीट पर नहीं. इसे वीडियो में देखा जा सकता है. मैं उन्हें अपना प्रस्ताव और संशोधन पेश करने के लिए कहते हुए गैलरी में देख रहा हूं, लेकिन वह वहां नजर नहीं आ रहे’.


मैं विपक्षी सदस्यों से घिरा हुआ था
हरिवंश नारायण ने आगे कहा तिरुची सिवा (Tiruchi Shiva) ने दोपहर 1.10 बजे अपनी सीट से ही विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने के लिए अपने प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की. आप वीडियो में देख सकते हैं कि दोपहर करीब 1.09 बजे एक सदस्य नियम बुक फाड़ रहा है और मेरे ऊपर फेंक रहा है. इसके अलावा, मैं कुछ विपक्षी सदस्यों से घिरा हुआ हूं, जो मुझसे पेपर छीनने की कोशिश कर रहे हैं.


दो बातें आवश्यक
उप सभापति ने कहा कि नियमानुसार मत विभाजन के लिए, दो चीजें आवश्यक हैं. सबसे पहली, विभाजन की मांग होनी चाहिए और दूसरी सदन में ऑर्डर होना चाहिए. इस बीच, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने रविवार को संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. 


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