शर्तों के साथ मंजूर नहीं सरकार के प्रस्ताव, किसान मोर्चा ने फिर मांगी सफाई
संयुक्त किसान मोर्चा की बड़ी मीटिंग हुई जिसमें सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव को लेकर सहमति बनाने पर चर्चा की गई है. किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 6 मांगे रखी थीं, उन 6 सूत्रीय मांगों पर भारत सरकार की तरफ से किसान नेताओं को जवाब आ गया है.
नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी के बाद आखिर किसान अपना आंदोलन खत्म कब करेंगे इस बात का जवाब अब तक नहीं मिल पाया है. संयुक्त किसान मोर्चा अपना MSP को कानूनी मान्यता देने की मांग पर अड़ गया है और आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है. सरकार से बातचीत के लिए भी 5 किसान नेताओं के नाम तय हुए हैं जो आगे की रणनीति तय करेंगे. हालांकि सरकार की ओर से मिले प्रस्तावों पर किसानों को आपत्ति है और इस पर चर्चा के लिए फिर से बैठक होगी.
किसान मोर्चा की अहम बैठक
इस बीच मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बड़ी मीटिंग हुई जिसमें सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव को लेकर सहमति बनाने पर चर्चा की गई है. किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 6 मांगे रखी थीं, उन 6 सूत्रीय मांगों पर भारत सरकार की तरफ से किसान नेताओं को जवाब आ गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों की मांग पर विचार किया जा रहा है और सरकार पहले ही MSP को लेकर कमेटी बनाने का ऐलान कर चुकी है.
सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि ऐसे लोग MSP कमेटी का हिस्सा न हों जो पहले ही कानून बनाने की वकालत करते रहे हैं, इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए. शर्तों के साथ केस वापसी के मुद्दे पर SKM ने कहा कि सरकार ने आंदोलन वापसी की शर्त पर केस वापस लेने की बात कही गई है जो हमें मंजूर नहीं है. इस मुद्दे पर सरकार से आगे बात की जाएगी.
किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन शुरू होने के बाद पहली बार सरकार ने लिखित रूप में प्रस्ताव दिया है जो अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि कुछ बिन्दुओं पर हमारी साथियों के मन में संदेह था और प्रस्ताव को अच्छा करने के लिए सुझाव हमारे साथियों की ओर से भी दिए गए. कमेटी को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि अब कुछ प्रस्तावों पर सफाई की जरूरत है और इस पर चर्चा के लिए फिर से बैठक होगी.
कल हो सकता है बड़ा ऐलान
किसान नेता कुलवंत सिंह ने दावा किया है कि बुधवार को आंदोलन खत्म करने का ऐलान हो सकता है. किसान आंदोलन को लेकर किसानों के बीच भी एक राय नहीं है. पंजाब के जत्थों का मानना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद आंदोलन अब खत्म कर देना चाहिए लेकिन राकेश टिकैत समेत कुछ किसान नेता MSP गारंटी के बिना आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं.
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सरकार ने किसानों को भेजे प्रस्ताव
सरकार की ओर से किसानों को जो जवाबी पत्र लिखा गया है उसमें कहा गया है कि MSP पर प्रधानमंत्री ने खुद और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे. हम इसमें साफ करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में SKM के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
इसके अलावा कहा गया है कि जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापस लिए जाएंगे. साथ ही किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने पर सहमति बनी है.
सरकार की ओर से किसानों को जो जवाबी पत्र लिखा गया है उसमें कहा गया है कि MSP पर प्रधानमंत्री ने खुद और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे. हम इसमें साफ करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में SKM के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
आंदोलन खत्म होते ही केस वापसी
इसके अलावा कहा गया है कि जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है यूपी सरकार और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि आंदोलन वापस खींचने के बाद तत्काल ही केस वापस लिए जाएंगे. साथ ही किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के केस पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने पर सहमति बनी है.
सरकार की ओर से कहा गया है कि मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है. दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है. जहां तक इलेक्ट्रिसिटी बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले इसे लेकर सभी स्टेकहोल्डर्स की राय ली जाएगी.
पराली के मुद्दे पर सरकार ने कहा कि केंद्र ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिलन लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी गई है.
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