कोप्पल: कर्नाटक (Karnataka) के कोप्पल जिले के एक गांव में दो साल के दलित बच्चे के मंदिर में प्रवेश करने पर उसके परिवार के ऊपर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. स्थानीय पुलिस के मुताबिक ये घटना 4 सितंबर की है जब कोप्पल जिले के मियांपुर गांव के चंद्रशेखरन अपने बेटे के जन्मदिन पर गांव स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन के लिये गये थे. 


आस्था के नाम पर अधर्म!


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चंद्रशेखरन जब पूजा में तल्लीन थे तभी उनका 2 साल का मासूम बेटा कौतूहलवश मंदिर के भीतर चला गया. दरअसल कहीं भी स्वछंद घूमना बच्चों का स्वभाव होता है. कहा जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं. अपने देश में भगवान राम और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है. हनुमान जी के बाल स्वरूप की लीलाएं तो उनकी स्तुति में भी गाई जाती हैं. अब उन्हीं के मंदिर में अस्प्रश्यता यानी छुआछूत जैसी पुरानी कुप्रथा का पालन सभ्य समाज को मुह चिढ़ाता नजर आया. 


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वहीं देश की संविधान की मूल भावना से इतर दलित बच्चे के मंदिर में प्रवेश पर पुजारी ने फौरन नाराजगी जताते हुए उसके पिता चंद्रशेखरन को जमकर फटकार लगाई. 


कानून का मजाक?


इस विषय पर 11 सितंबर को गांव में हुई बैठक में मंदिर के शुद्धिकरण के लिये चंद्रशेखरन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. जिसे भरने से उसने इनकार कया. गांव के कुछ लोगो ने पिता का साथ दिया. इसके बाद उस परिवार पर दबाव बनाने की कोशिश हुई. तो मामला गांव की सीमा से निकल कर थाने पहुंचा.


पुलिस की चेतावनी


20 तारीख को ये मामला स्थानीय पुलिस तक पहुंचा. उन्होंने मामले की जांच करने पर घटना की पुष्टि की. हालांकि चंद्रशेखर की शिकायत पर जुर्माना लगाने वालों पर कार्रवाई हो सकती थी लेकिन उसने किसी के खिलाफ भी FIR दर्ज कराने से इनकार कर दिया. ऐसे में पुलिस ने सुओ मोटो यानी खुद से संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया और इस केस के 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. फिलहाल गांव का माहौल शांत है और पुलिस गांव पर नजर बनाये हुये है.


पुलिस के अधिकारियों ने दलित लड़के के माता-पिता पर जुर्माना लगाने के लिए ऊंची जाति के बाकी सदस्यों को चेतावनी भी दी है कि अगर वे ऐसा दोहराते हैं या चंद्रशेखर के परिवार को प्रताड़ित करते हैं तो उनके खिलाफ आगे भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.