Crew Module Escape Test Live: चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और सूर्य के मिशन आदित्य-एल1 की कामयाब लॉन्चिंग के बाद इसरो (ISRO) एक और बड़ा कदम बढ़ाने जा रहा है. आज (शनिवार को) सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर ISRO देश के पहले मानव मिशन गगनयान (Gaganyaan) के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करेगा. सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन में रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग होगी. आइए जानते हैं कि आप क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग को लाइव कैसे देख सकते हैं.


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क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट को लाइव कैसे देखें?


जान लें कि आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) देश के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए बड़ा टेस्ट करने वाला है. दरअसल, अब से कुछ देर बाद आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम का टेस्ट फायर होगा. इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा कि ये क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग है, जिसमें नए रॉकेट का इस्तेमाल होगा. ये लिक्विड इंजन फायर्ड रॉकेट है. इसके ऊपर प्रो मॉड्यूल और प्रो एस्केप सिस्टम होगा. जान लें कि इस टेस्टिंग में क्रू मॉड्यूल का लॉन्च, उसे वापस उतारने और समुद्र से रिकवर करने का प्रोसेस शामिल है. अगर आप क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट को लाइव देखना चाहते हैं तो इसरो के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जाकर देख सकते हैं. इसके अलावा आप इसरो के फेजबुक पेज और वेबसाइट पर भी टेस्टिंग को लाइव देख सकते हैं.



क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग कैसे होगी?


- ट्रायल में सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट से क्रू एस्केप सिस्टम अंतरिक्ष में लॉन्च होगा.
- 11.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट से अलग हो जाएगा.
- रॉकेट से अलग होते ही क्रू एस्केप सिस्टम नीचे आएगा.
- इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू मॉड्यूल अलग होगा.
- और क्रू मॉड्यूल में लगे एक जोड़ी पैराशूट खुलेंगे.
- कुछ देर बाद मुख्य पैराशूट खुलेगा, जो मॉड्यूल की रफ्तार को बहुत कम कर देगा.
- फिर क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा में तट से करीब 10 किलोमीटर दूर समुद्र में उतरेगा.
- इसके बाद नौसेना की टीम क्रू मॉड्यूल को समुद्र से निकालेगी और क्रू एस्केप सिस्टम और रॉकेट को रिकवर करेगी.


क्यों किया जा रहा है क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट?


दरअसल, मिशन में किसी अनहोनी के हालात में एस्ट्रोनॉट्स को बचाने में ये क्रू एस्केप सिस्टम काम आएगा. उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो ये सिस्टम क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगा और एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित समुद्र में उतार देगा. जान लें कि स्पेस में मानव मिशन भेजने से पहले ISRO ऐसे कई परीक्षण करेगा, ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, इसे अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है. इससे पहले 2024 में मानव रहित टेस्ट उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा.