Ganderbal Attack: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में जेड-मोड़ टनल का हमला योजना बनाकर किया गया था. खास तौर से ट्रेंड दो पाकिस्तानी आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया. जानकारी के मुताबिक इनके नाम अबू हुरेरा और खुबैब था. 


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हमला करने वाले आतंकवादी हाल ही में पाकिस्तान से गुरेज-बांदीपुरा-गांदरबल के रास्ते लौटा था और उसने हमला करने से पहले घटनास्थल की अच्छी तरह से रेकी की थी। 


सूत्रों के मुताबिक, ऐसा लग रहा है कि रविवार को कैंप में कम मूवमेंट के कारण इस दिन को हमले के लिए चुना गया. शाम को ठीक 7.21 मिनट पर गोलियां चलने की आवाज़ सुनाई देने लगी और आतंकी लगभग 18-20 मिनट तक कैंप के अंदर रहे और भगदड़ मचने का फायदा उठाकर फरार हो गए.


आतंकियों की हुई पहचान!


सूत्रों ने बताया, सीसीटीवी में तस्वीरें कैद होने के बाद वे अबू हुरेरा और खुबैब जैसे दिखते हैं. दोनों खास तौर से ट्रेंड आतंकी हैं. एक के पास एके-47 और दूसरे के पास अमेरिकी निर्मित M4 गन थी. 


सूत्रों ने बताया कि दोनों आतंकवादियों को कुछ ओजीडब्ल्यू ने मदद की थी और दोनों ही इलाके से थोड़े परिचित भी थे. यह हमला आतंकवादी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के जरिए किया गया था, जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक हिस्सा है. इस समूह ने हत्याओं की जिम्मेदारी ली है.


माना जाता है कि दोनों श्रीनगर में गांदरबल और हरवान क्षेत्र के बीच ज़बरवान रेंज में पहले भी रहे हैं. और कुछ हद तक इलाके से वाकिफ थे. 


रोड प्रोजेक्ट्स पर आतंकियों की नजर


खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमला सड़क परियोजना पर लक्षित होने की संभावना है क्योंकि यह टनल और जोजिला टनल बनने से भारत की सेना के लिए 12 महीने रास्ता खुला रहेगा और लाइन ऑफ कंट्रोल पर चौकसी और कड़ी हो जाएगी.


इस अटैक में एक और एंगल सामने आ रहा है. हमले के तार चीन से जुड़े हो सकते हैं. जिस आतंकी संगठन टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है, उसकी जैश के ऑफशूट पीपल एंटी फासिस्ट फ्रंट ( PAFF) ने तारीफ की है. सोशल मीडिया पर आए उनके प्रेस नोट में कहा गया है, 'एक बहुत ही संवेदनशील परियोजना जिसका मकसद पूर्वी मोर्चे पर भारतीय सेना की तैनाती को मजबूत करना है - हमारे सैन्य हितों और हमारे चीनी मित्रों के हितों के खिलाफ है. कब्जे वाले क्षेत्र में मिलिट्री प्रोजेक्ट्स मौत का जाल हैं. इसलिए, हर समझदार व्यक्ति को इनसे बचना चाहिए.' इससे शक की सुई चीन की ओर जाती है.


सोची-समझी साजिश थी


इन सब बातों से अंदाजा लगता है कि यह कोई सामान्य हमला नहीं बल्कि एक सोची समझी साजिश थी. इसकी तह तक जाने के लिए केंद्र से लेकर कश्मीर तक सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां एकजुट हो गई हैं और इससे जुड़े हर एंगल को खंगाला जा रहा है. 


हमले के बाद कश्मीर में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है. खुद एलजी ने गंगानगीर में और राजभवन में जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ दो हाईलेवल बैठकें करने के बाद आज यूनिफाइड कमांड बैठक की अध्यक्षता की और सभी एंगलों को जांचा गया. 


एलजी ने साफ निर्देश दिया कि कश्मीर की सभी विकास परियोजनाओं की सुरक्षा बढ़ाई जाए और ऐसे सख्त कदम उठाए जाएं, जिसे आतंकी उनके मददगार और उनका इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो जाए.