Canada India Relation: मुट्ठीभर खालिस्तानियों ने कर दिया बेड़ागर्क, उच्चायुक्त संजय वर्मा ने बताई कनाडा की कारस्तानी
Advertisement
trendingNow12487055

Canada India Relation: मुट्ठीभर खालिस्तानियों ने कर दिया बेड़ागर्क, उच्चायुक्त संजय वर्मा ने बताई कनाडा की कारस्तानी

Indian High Commissioner Sanjay Verma: कनाडा से भारत के रिश्ते यूं तो 1985 से ही बेहतर नहीं रहे हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में ये नाजुक दौर से गुजर रहे हैं. अब हालत ये है कि लगभग 'दुश्मनी' जैसी स्थिति हो गई है. कनाडा में राजदूत रहे उच्चायुक्त संजय वर्मा ने वहां के हालात बयां किए हैं. 

उच्चायुक्त संजय वर्मा

Canada backstabbed India: कनाडा के साथ भारत के रिश्ते हाल के वर्षों में बेहद खराब रहे हैं. खालिस्तान के मुद्दे पर भारत ने कनाडा को खरी-खरी सुना दी है. ये मुद्दा तब और गरम हो गया जब कनाडा की सरकार ने भारत के उच्चायुक्तों को इस मामले में पूछताछ के दायरे में लाने की कोशिश की. अब कनाडा से बुलाए गए भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कनाडा की कारस्तानी बताई है. 

संजय वर्मा ने बताया कि ऐसे देश ने जिसे हम मित्रवत लोकतांत्रिक देश मानते हैं, उसने भारत की पीठ में छुरा घोंपा और गैर-पेशेवर रवैया अपनाया. उन्होंने पीटीआई से कहा कि मुट्ठीभर खालिस्तान समर्थकों ने इस विचारधारा को एक आपराधिक उपक्रम बना दिया है जो मानव तस्करी और हथियार तस्करी जैसे कामों में लिप्त हैं. इस सबके बावजूद कनाडा के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं, क्योंकि ऐसे कट्टरपंथी स्थानीय नेताओं के लिए वोट बैंक होते हैं. 

कनाडा ने अपने नागरिक और भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी घोषित किए गए हरदीप सिंह निज्जर की जून 2023 में हत्या के मामले में कहा था कि वर्मा इस मामले में जांच के तहत ‘निगरानी की श्रेणी’ में हैं. इस मामले में कनाडा आगे कोई कार्रवाई करता, उससे पहले भारत ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को वहां से बुला लिया. 

ये भी पढ़ें- कनाडा में उच्चायुक्त रहे संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो को दिखाया आईना, बताया निज्जर की हत्या का सच

वर्मा जापान और सूडान में भारत के राजदूत रह चुके हैं. क्या उन्होंने अपने 36 साल के राजनयिक करियर में ऐसा अनुभव किया है? इस सवाल पर वर्मा ने कहा कि यह अत्यंत घटिया बात है. यह द्विपक्षीय संबंधों के प्रति सर्वाधिक गैर-पेशेवर रवैया है. अगर वे मानते हैं कि यह उनके लिए भी एक व्यापक रिश्ता है तो राजनयिक के पास अन्य कूटनीतिक साधन होते हैं. चीजों का संतोषजनक समाधान निकालने के लिए इन साधनों का इस्तेमाल किया जा सकता था. 

संजय वर्मा ने कनाडा का जिक्र करते हुए कहा कि जो बच्चा सबसे ज्यादा रोता है, मां सबसे पहले उसका पेट भरती है. इसी तरह, उन लोगों (खालिस्तान समर्थकों) की संख्या मुट्ठीभर ही है, लेकिन वे सबसे ज्यादा चिल्लाते हैं और कनाडा के नेताओं का उन पर सबसे अधिक ध्यान जाता है. वर्मा ने कहा कि कनाडा में घोर कट्टरपंथी खालिस्तानियों की संख्या महज करीब 10,000 है और करीब आठ लाख की सिख आबादी में उनके समर्थकों की संख्या संभवत: एक लाख है. उन्होंने कहा कि वे समर्थन हासिल करने के लिए वहां आम सिखों को धमकाते हैं जिसमें इस तरह की धमकियां शामिल हैं कि हमें पता है कि तुम्हारी बेटी कहां पढ़ रही है. 

वर्मा ने कहा कि खालिस्तानियों ने कनाडा में खालिस्तान को एक कारोबार बना लिया है. खालिस्तान के नाम पर वे मानव तस्करी करते हैं, मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं, हथियारों की तस्करी करते हैं और ऐसे सारे गलत काम करते हैं. वे इससे बहुत पैसे जुटाते हैं. उन्होंने कहा कि वो सारी घटिया चीजें जिनके बारे में आप सोच सकते हैं, वे उनमें संलिप्त हैं. 

उन्होंने पिछले कुछ दिन के घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि वह 12 अक्टूबर को टोरंटो हवाई अड्डे पर थे जब उन्हें कनाडा के विदेश मंत्रालय से उसी दिन आने के लिए संदेश मिला. वर्मा उस दिन यात्रा कर रहे थे, इसलिए उन्होंने 13 अक्टूबर का समय मांगा और भारतीय उप उच्चायुक्त के साथ ‘ग्लोबल अफेयर्स कनाडा’ (कनाडा के विदेश मंत्रालय के दफ्तर) पहुंचे. थोड़ी बातचीत के बाद उन्होंने मुझे बताया कि मैं और पांच अन्य भारतीय राजनयिक तथा अधिकारी निज्जर की हत्या की जांच में निगरानी की श्रेणी में हैं. इसलिए मेरी और मेरे सहकर्मियों की राजनयिक छूट को समाप्त करने का अनुरोध किया गया, ताकि वहां की जांच एजेंसी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) हमसे पूछताछ कर सके. 

कनाडा के इस बर्ताव के बाद भारत सरकार के निर्देश पर सभी को हड़बड़ी में कनाडा छोड़कर आना पड़ा. उन्होंने कहा कि कूटनीति में ऐसा नहीं होता. आम तौर पर शुरुआत में किसी तरह का संदेश दिया जाता है. मुझे वह भी नहीं मिला. मैं कहूंगा कि यह अविश्वास को दर्शाता है. यह एक तरह से पीठ में छुरा घोंपने के समान है जो कनाडा में हमारे बहुत ही पेशेवर सहयोगियों द्वारा हमारे साथ किया गया था. 

वर्मा ने कहा कि दोनों लोकतंत्र हैं, दोनों कानून व्यवस्था वाले देश हैं. कनाडा में भारतीय मूल के लोगों को लेकर हमारे व्यापक हित हैं. हम अच्छे कारोबारी साझेदार, निवेश साझेदार हैं. इसलिए, हम कुल मिलाकर हमारे द्विपक्षीय संबंधों के समग्र आयाम में अच्छा काम कर रहे थे. इस सबसे मैं स्तब्ध था. वर्मा ने इस घटना को किस तरह लिया, इस सवाल पर वह बताते हैं, ‘‘मेरे चेहरे पर कोई भाव नहीं थे. चिंता की एक लकीर तक नहीं थी. मुझे इस बात को लेकर खुशी थी कि मैंने उन्हें यह महसूस नहीं होने दिया कि यह आदमी तो दुखी है या डरा हुआ है. 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news