नई दिल्ली: केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक का कहना है कि आयुर्वेद के क्षेत्र में नई दवाओं को तलाशने का काम किया जा रहा है. दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों के साथ मिलकर आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के वैज्ञानिकों ने नए शोधों पर काम शुरू कर दिया है. इसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों से भी सहयोग लिया जा रहा है. 


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राज्यसभा में मंत्री नाईक ने बताया कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अब तक 645 एकल और 202 सम्मिश्रित औषधियों के गुणवत्ता मानक प्रस्तुत किए जा चुके हैं. 


इससे पहले राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में मंत्री नाईक ने कहा था कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा मधुमेह (डायबिटीज) के टाइप-2 मरीजों के लिए वैज्ञानिक तरीके से विकसित बीजीआर- 34 दवा बाजार में उपलब्ध है. टाइप-2 डायबिटीज के मरीज इंसुलिन के इंजेक्शन पर निर्भर नहीं होते. 


राज्य सभा सांसद झरना दास बैद्य के सवाल पर मंत्री नाईक ने कहा था कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी) और नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) ने साझा प्रयास के तहत यह वैज्ञानिक हर्बल दवा विकसित की गई है. इन्होंने हाइपोग्लाइसेमिक नुस्खा एनबीआरएमएपी-डीबी तैयार किया. इसका व्यावसायिक लाइसेंस एमिल फार्मा लिमिटिड दिल्ली को दिया गया. यही कंपनी अब इसका निर्माण और वितरण कर रही है.


दवा विकसित करने वाले एनबीआरआई लखनऊ के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक एकेएस रावत ने कहा कि बीजीआर-34 के बारे में मंत्री का वक्तव्य टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की तकलीफ को कम करने के लिहाज से इस दवा की सफलता को लेकर है. 


रावत ने कहा कि आयुर्वेद में वर्णित 500 तरह की जड़ी-बूटियों पर गहन अध्ययन और शोध के बाद अंतत: छह सर्वश्रेष्ठ का चयन किया गया. आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित दारूहरिद्रा, गिलोय, विजयसार और गुड़मार आदि का चयन मधुमेह के इलाज में इनके प्रभाव को देखते हुए किया गया है. रावत ने कहा इसका एक अहम अवयव इंसुलिन डीपीपी-4 (डिपेप्टीडायल पेप्टीडेस- 4) के स्राव को रोकता है. 


मोदी सरकार ने 2016 में 'मिशन मधुमेह' शुरू किया था ताकि जीवनशैली से संबंधित इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सके. इस मिशन के तहत 'डायबिटीज के आयुर्वेद के माध्यम से बचाव और नियंत्रण' के लिए योजना तैयार की जा रही है.