सरकार ने कहा- शिक्षा का अधिकार कानून का दायरा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं
मंत्री ने कहा कि इस योजना को सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं शिक्षक शिक्षा योजना को मिलाकर बनाया गया है.
नई दिल्ली: केन्द्र ने इस बात से इंकार किया कि बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 का दायरा बढ़ाकर नर्सरी से माध्यमिक किये जाने का कोई प्रस्ताव उसके विचाराधीन है. मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस उद्देश्य के लिए केन्द्र द्वारा प्रायोजित तीन योजनाओं का विलय किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘ शिक्षा का अधिकार कानून का दायरा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. बहरहाल, इस वर्ष बजट में की गयी घोषणा यथा नर्सरी से कक्षा 12 तक कोई भेदभाव किये बिना स्कूल एवं शिक्षा को समग्र रूप से लेने के लिए शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा के बारे में एक समन्वित योजना तैयार की है. ’’ मंत्री ने कहा कि इस योजना को सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं शिक्षक शिक्षा योजना को मिलाकर बनाया गया है.
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8वीं कक्षा तक का छात्र नहीं होगा फेल
बता दें कि 2015 में शिक्षा पर उच्चतम सलाहकार निकाय की बैठक में कक्षा आठ तक किसी भी छात्र को फेल नहीं करने और दसवीं कक्षा में फिर से बोर्ड की परीक्षा लागू करने पर पुनर्विचार करने की बात कही गई थी. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सुझाव दिया था कि स्कूलों में छात्राओं को सेनिटरी नेपकिन वितरित किए जाएं ताकि छात्राओं की पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी लाई जा सके. इस सुझाव का बहुत से राज्यों ने समर्थन किया और सरकार ने प्रतिबद्धता व्यक्त की कि इसे शीघ्र ही लागू किया जाएगा. राजग सरकार के तहत नवगठित शिक्षा संबंधी केंद्रीय सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की यह पहली बैठक थी.
इनपुट भाषा से भी