देवेन्द्र मिश्रा, धमतरी: खुले में शौच करने में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. घर में शौचालय न हो तो उन्हें हर दिन सूर्योदय होने से पहले-पहले गांव से बाहर जाना होता है. दिन में जरूरत हो तो पेट पकड़ कर बैठे रहो और मनचलों की छेड़खानी अलग से सहो. इन सारी समस्याओं को एक साथ 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' में दिखाया गया था. अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर की यह फिल्म यूपी की एक गांव की पृष्ठभूमि पर बनी थी. लेकिन फिल्म जैसा ही एक मामला अब छत्तीसगढ़ के एक गांव से सामने आया है. धमतरी के खुरसेंगा गांव से घर में शौचालय नहीं होने के कारण एक परिवार के बिखर जाने की खबर आ रही है. जानकारी के मुताबिक खुले में शौच से आपत्ति जता कर घर की बहू मायके चली गई है. वहीं घर में शौचालय की दिक्कत के चलते बूढ़ी मां को भाई के घर भेजना पड़ा.


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गरीब परिवार को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
बताया जा रहा है कि परिवार की तरफ से प्रधानमंत्री आवास और शौचालय के लिए आवेदन किया जा चुका है. लेकिन मद की मंजूरी न मिलने के कारण अब तक शौचालय का निर्माण नहीं हो सका. इस बीच परिवार ने गांव के सरपंच पर योजना से नाम काटने का आरोप लगाया है. धमतरी में स्वच्छ भारत मिशन की तथाकथित कामयाबी के लिये न जाने कितनी बार तमगे मिल चुके हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना में भी जिले के अव्वल होने का दावा किया जाता है. लेकिन, जमीन पर हालात कुछ और ही मंजर दिखा रहे हैं. इन्हीं दो योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने के कारण एक परिवार ही बिखर गया है. ये मामला कहीं और का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर के क्षेत्र में आने वाले सुसरेंगा गांव का है.



घर में नहीं था शौचालय तो घर छोड़कर चली गई बहू
जानकारी के मुताबिक बिहारी राम विश्वकर्मा खुरसेंगा में एक कच्चे झोपड़ेनुमा मकान में रहते हैं. बता दें कि ये मजदूर परिवार है. मजदूरी से जीने वाले परिवार में एक-एक सदस्य का महत्व होता है. यहां घर में जितने ज्यादा लोग रहते हैं जीने की सहुलियत उतनी ज्यादा होती है. लेकिन, बिहारी राम के घर में अब वो, उसका बेटा और उनकी पत्नी जानकीबाई विश्वकर्मा ही बचे हैं. साल भर पहले बेटे का ब्याह किया था. लेकिन, बहू घर छोड़ कर मायके चली गई. 80 साल की बूढ़ी मां को मजबूरन बिहारी राम को अपने भाई के घर भेजना पड़ा. दोनों ही मामले की एक ही वजह है कि घर में शौचालय नहीं है.



सरपंच पर लगा योजना से नाम काटने का आरोप
बताया जा रहा है कि इस परिवार को स्वच्छ भारत मिशन के तहत मदद मिलनी थी. लेकिन, नहीं मिली. टूटते मिट्टी के मकान के बदले प्रधानमंत्री आवास मिलना था. लेकिन, योजना से नाम ही काट दिया गया. परिवार के मुखिया ने इसके लिए जनदर्शन में भी आवेदन लगाया है. उन्हें अभी भी उम्मीद है कि शायद प्रशासन ही गुहार सुन ले और उनका परिवार बच जाए. लेकिन, इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जबकि गांव के सरपंच हरिशंकर साहू अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बता रहे हैं और उनकी समस्या को जल्द दूर करने का भरोसा दिला रहे हैं.



कलेक्टर ने की जांच करवाने की बात
स्वच्छ भारत मिशन और प्रधानमंत्री आवास दोनों ही योजना बिहारी राम जैसे गरीब वर्ग के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए है. जाहिर है कि हर एक जरूरतमंद को इसका लाभ मिलना ही चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो ये योजना अधूरी ही मानी जाएगी. धमतरी जिला प्रशासन ने फिलहाल बिहारी के आवेदन पर जिला पंचायत सीओ से जांच करवाने की बात कही है. धमतरी के कलेक्टर सी आर प्रसन्ना ने जांच में दोषी पाए जाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करवाने की बात कर रहे हैं.