Gujarat Election: गुजरात में `ड्रैगन` खिलाएगा `कमल`! जानिए चुनाव पर किसानों के मन की बात
Gujarat ground report: आज हम आपको गुजरात चुनाव का ड्रैगन कनेक्शन दिखाते हैं. ड्रैगन का नाम सुनकर पड़ोसी देश के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम यहां बात कर रहे हैं एक फल की. दरअसल, गुजरात के किसान आजकल एक फल के उत्पादन पर खासा जोर दे रहे हैं, जिसका नाम है ड्रैगन फ्रूट.
Gujarat Assembly Election: गुजरात चुनाव में इस वक्त सबसे ज्यादा अगर किसी पार्टी को जनता पसंद कर रही है तो वो है भारतीय जनता पार्टी. हालांकि बीजेपी को आम आदमी पार्टी (AAP) टक्कर दे रही है. जबकि कांग्रेस के लिए कुछ खास नजर नहीं आ रहा. गुजरात के कई इलाकों में लोगों से बातचीत करने के बाद हमने रुख किया गुजरात के कच्छ में फलों और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के तरफ. यहां हमारी मुलाकात हरीश ठक्कर से हुई जिनके काम को लेकर कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग-अलग मंचों से नाम लेते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने मन की बात में भी है हरेश ठक्कर का नाम लिया क्योंकि हरीश ठक्कर खजूर और ड्रैगन नामक फल की खेती करते हैं. यूं तो अपने 700 एकड़ के खेत में वो 60 प्रकार के फल और सब्जियों का फसल और फल को उगाते है जो अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन इसे बखूबी हरीश ठक्कर और उनका परिवार अंजाम दे रहा है.
ड्रैगन फूड का रखा गया कमलम नाम
इन फलों में भी महत्वपूर्ण है ड्रैगन फ्रूट, जिसे हरेश ठकर और ड्रैगन फ्रूट उगाने वाले अन्य किसानों की मांग पर सरकार ने ड्रैगन की जगह कमलम नाम दिया है. ड्रैगन फ्रूट कुछ हद तक कमल फूल की तरह दिखता है इसलिए इसका नामकरण सरकार ने कलम के तौर पर किया है. हमने हरीश ठक्कर से ड्रैगन फ्रूट के पेड़ को लगाने और उसके फल आने तक के प्रोसेस को समझा साथ ही यह भी जानना चाहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में किस पार्टी की संभावना गुजरात में सत्ता स्थापित करने की लग रही है. तो उन्होंने अपने फ्रूट कमलम की तर्ज पर ही गुजरात की सत्ता में कमल का फूल यानी कि बीजेपी सत्ता में आने की बात कही है.
पहले विदेश होता था इंपोर्ट
उनका मानना है कि सरकार ने उनके व्यापार से जुड़े लोगों को काफी रियायत दी है, जिसका नतीजा ये हुआ को 2012 तक जो ड्रैगन फ्रूट इंपोर्ट किया जाता था आज वो भारत में ही पैदा हो रहा है. यहां खेत में काम करने वाले अन्य किसानों से भी हमने उनकी राय जाननी चाही. उनका भी मानना था कि बीजेपी ही सत्ता में आए. जबकि आम आदमी पार्टी के मुफ्त वाले राजनीति से खुद को किसान भी अलग करते नजर आए.
बीजेपी सबसे पसंदीदा पार्टी
इसके बाद Zee News की टीम गुजरात के मोरबी जिले में पहुंची, जहां दूर-दूर तक खेतों में कपास की फसल दिख रही थी. हरियाली के बीच झूले पर बैठे किसानों ने चुनाव को लेकर कहा कि मौजूदा सरकार ने किसानों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाली सरकार ध्यान देगी उसके बाद हमने उनसे यह जानना चाहा कि आगामी चुनाव में उनकी पसंद कौन सी पार्टी है. जिस पर उनका जवाब था बीजेपी. लाजमी है कि हमारा अगला सवाल यह था कि आखिरकार जब maujuda सरकार ने किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया तो आप बीजेपी को वोट क्यों देना चाहते हैं, उनका कहना था कि क्योंकि वह अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में किसानों पर भी ध्यान देंगे.
नतीजों का करना होगा इंतजार
वहीं झूले पर बैठे दूसरे किसान का कहना था कि उनकी पहली पसंद बीजेपी है जबकि दूसरी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को एक लटकता हुआ झूले जैसा बताया. गांव के अन्य किसान भी भारतीय जनता पार्टी का ही समर्थन करते हैं. उन किसानों के बीच मौजूद एक मुस्लिम किसान से भी हमने बात की तो उनका कहना था कि बीजेपी अच्छा काम कर रही है. हमें बीजेपी से डर नहीं इसलिए हम समर्थन कर रहे हैं. हालांकि इस गांव के लोग भले ही बीजेपी का समर्थन कर रहे हो लेकिन हमें नतीजों का इंतजार करना होगा तभी पता चलेगा कि बीजेपी सत्ता स्थापित करती है या फिर गुजरात में कोई बदलाव दिखेगा.
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