सरकार के काम का लेखा-जोखा मांगना एक चलन बन गया है : PM मोदी
दो दिवसीय गुजरात दौरे के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां अदालज स्थित श्री अन्नपूर्णा धाम में पूजा-अर्चना की.
गांधीनगर: दो दिवसीय गुजरात दौरे के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां अडलाज स्थित श्री अन्नपूर्णा धाम में पूजा-अर्चना की. इससे पहले सोमवार को पीएम मोदी रायसेन के समीप प्रसिद्ध धोलेश्वर महादेव मंदिर गए और महाशिवरात्रि के अवसर पर वहां पूजा-अर्चना की. इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि सरकार के काम का लेखा-जोखा मांगना देश में अब एक चलन बन गया है. इसके साथ ही कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य समाज को सशक्त बनाना है ताकि ज्यादा से ज्यादा सामाजिक कार्य किए जा सकें.
प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर जिले के अडलाज कस्बे में नवनिर्मित अन्नपूर्णा धाम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम में कहा, “हाल में एक नया चलन देखने को मिला है जहां लोग हर काम सरकार द्वारा किए जाने की उम्मीद करते हैं. वे सरकार से उन कामों के भी जवाब मांगते हैं जो नहीं किए गए. ये हमारे देश की परंपरा नहीं थी.” उन्होंने कहा कि पहले समाज धर्मशाला, गौशाला, पोखर एवं पुस्तकालयों का निर्माण करता था.
मोदी ने कहा, “इन सभी का निर्माण समाज की ताकत से हुआ करता था. धीरे-धीरे, जानबूझकर या अंजाने में समाज की इस गतिविधि को दबा दिया गया और देश ने सामाजिक कार्य करने का जिम्मा ले लिया.” प्रधानमंत्री ने पाटीदार समुदाय की उपजाति लेवा पटेल द्वारा बनाए गए मंदिर के उद्घाटन के बाद कहा, “हमारा प्रयास है कि राज्य को प्रशासनिक कार्य करना चाहिए और समाज को सशक्त बनाना चाहिए ताकि वह लोगों की बेहतरी के लिए ऐसे सामाजिक कार्य कर सके.”
उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में वह लेवा समुदाय ही था जिसने अमूल आंदोलन की शुरुआत की और गुजरात के गांवों की सभी जातियों एवं वर्गों के लोगों को फायदा पहुंचाया था. समुदाय के सदस्यों से सामाजिक कार्य करने की अपील करते हुए मोदी ने कहा, “मैं आपसे मंदिर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रसाद के रूप में एक पौधा वितरित करने और उसे बड़ा करने के लिए कहने को कहूंगा.”
आध्यात्मिक परंपरा की शक्ति ने भारत को चलाया है
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उन्हें उन लोगों की सोच पर दया आती है जो मानते हैं कि सभी धार्मिक गतिविधियां व्यर्थ हैं और उन्हें अहसास ही नहीं होता कि आध्यात्मिकता एक ऐसी शक्ति है जिसने देश को चलाया है. समाज को मजबूत करने में संतों की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति ने 1200 साल पुरानी दासता से लड़ने में मदद पहुंचाई है.
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मोदी ने यह भी कहा कि देश का लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ चीजें होनी चाहिए और यह कि सैनिक की कार्रवाई भी छोटे स्तर पर नहीं होनी चाहिए. प्रधानमंत्री का इशारा बालाकोट हमले की ओर था. उन्होंने यहां एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘देश में लोगों का एक ऐसा वर्ग है जो मानता है कि सभी धार्मिक गतिविधियां व्यर्थ (चिंतन) हैं और उनसे समाज को कोई लाभ नहीं होता है, उनकी खोज महज चंद लोगों के फायदे के लिए की गई है, मुझे उनकी सोच पर दया आती है.’’
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वह अहमदाबाद के समीप जसपुर में कड़वा पाटीदार समुदाय के मा उमिया धाम मंदिर के 1000 करोड़ रूपये परिसर की आधारशिला रखने के बाद बोल रहे थे. मोदी ने कहा, ‘‘हमारी आध्यात्मिक परंपरा एक ऐसी शक्त है जो इस देश को चलाती है. कोई भी हमारे समाज को मजबूत करने में साधु-संतों की भूमिका को कभी बिसार नहीं सकता. उन्होंने हमें बहुमूल्य उपदेश दिये हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी आध्यात्मिक शक्ति ही है जिसकी चलते से हम 1000-1200 की दासता के दौरान अपने गर्व, अपनी संस्कृति और अपनी पंरपराओं के लिए संघर्ष कर पाए. ’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वास्तव में हर छह साल पर छोटे और 12 सालों पर विशाल कुंभ मेले का आयोजन इस बात के मूल्यांकन के लिए है कि हमारा समाज कहां जा रहा है. पूरे देश से संत समाज के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पहुंचते हैं. हमारी आध्यात्मिक परंपराएं 1857 की स्वाधीनता संग्राम के कारणों में एक हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन आध्यात्मिक परंपराओं में सामाजिक बुराइयों का उपचार करने की महान शक्ति है.’’
पीएम मोदी ने मां से की मुलाकात
सोमवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में एक सभा को संबोधित करने के बाद देर शाम रायसेन गांव में अपनी नब्बे वर्षीय मां हीरा बा से मुलाकात की. हीरा बा मोदी प्रधानमंत्री के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ गांधीनगर के नजदीक स्थित गांव में रहती हैं. प्रधानमंत्री ने अपनी मां और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ करीब 30 मिनट बिताए.
(इनपुट: एजेंसी भाषा से भी)