वडोदरा: किसानों के एक समूह ने अहमदाबाद- मुंबई हाईस्पीड रेल परियोजना के लिहाज से जमीन अधिग्रहण के लिए आयोजित परामर्श बैठक का विरोध किया और आरोप लगाया कि बैठक बहुत संक्षिप्त सूचना पर बुलाई गई थी. बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर रहे नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसी) ने अखबारों में नोटिस प्रकाशित कर की बैठक के बाबत प्रभावित किसानों को सूचित किया था. नोटिस में कहा गया कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ‘‘दूसरी हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की जाएगी, लेकिन किसानों ने इस पर विरोध जताया और दावा किया कि दरअसल पहले कोई बैठक ही नहीं हुई.


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यहां महात्मा गांधी नगर में बैठक स्थल पर पहुंचे किसानों ने मांग की कि एनएचएसआरसी के अधिकारी बैठक के पहले दौर का ब्योरा उनके साथ साझा करें. एक किसान प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘ बैठक का एजेंडा और मकसद स्पष्ट नहीं है, जिसे अधिकारी दूसरे दौर की कह रहे हैं. यह बहुत कम समय के नोटिस पर बुलाई गई और किसी को नहीं पता कि पहली बैठक कब हुई थी. ’’


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प्रदर्शनकारी किसानों ने वड़ोदरा और भरूच के कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा और कहा कि नोटिस का आशय केवल औपचारिकता मात्र था और इसका मकसद प्रभावित किसानों को सूचित करना नहीं था. वहीं एनएचएसआरसी के प्रतिनिधि द्वैपायन दत्ता ने कहा कि किसान समय पर सूचित नहीं करने की शिकायत जरूर कर रहे हैं , लेकिन 60 से 70 प्रतिशत किसान बैठक में आए थे.


जमीन पर कब्जे के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन
आपको बता दें कि भावनगर जिले के एक गांव में प्रस्तावित कोयला संयंत्र के वास्ते जमीन पर कब्जा लेने के लिए गुजरात सरकार की एक कंपनी के कदम पर किसानों ने विरोध जताया था. गुजरात पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने लगभग दो दशक पहले अपना प्रस्तावित लिग्नाइट संयंत्र स्थापित करने के लिए भावनगर में घोघा तालुक के 12 गांवों में लगभग 1,250 किसानों की 3,377 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था.


इनपुट भाषा से भी