Gyanvapi Shringar Gauri Case: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में आज वाराणसी (Varanasi) की जिला जज की अदालत एक अहम फैसला सुनाने जा रही है. हिंदू पक्ष की उस याचिका पर फैसला आएगा, जिसमें वजूखाना (Wazu Khana) को छोड़कर संपूर्ण परिसर की ASI जांच की मांग की गई है. 14 जुलाई को कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया था. हिंदू पक्ष ने कहा है कि वैज्ञानिक तरीके से अगर जांच होती है तो ज्ञानवापी मस्जिद की सच्चाई सामने आ जाएगी. हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस याचिका का विरोध किया था. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि अगर ASI जांच की जरूरत नहीं है. इसी से जुड़ा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इस बीच फैसले के पहले हिंदू पक्ष बेहद आश्वस्त दिख रहा है. जिस तरह से कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही हुई, उसी तरह अगर ASI जांच होता है तो मस्जिद से जुड़ी पूरी हकीकत सामने आ सकती है.


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ज्ञानवापी मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान!


हिंदू पक्ष के मुताबिक, ज्ञानवापी को लेकर जारी तनाव का सौहार्दपूर्ण समाधान हो जाए और ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक तथ्य सामने सभी के आ जाएं. ज्ञानवापी परिसर में किस कालखंड में कौन सी संरचना से मंदिर बना था ये जानना बेहद जरूरी है.


हिंदू पक्ष ने क्या दी दलील?


हिंदू पक्ष ने दलील दी थी कि इस विषय पर आर्कियोलॉजी के विशेषज्ञ- राडार पेनिट्रेटिंग, एक्सरे पद्धति, रडार मैपिंग, स्टाइलिस्ट डेटिंग आदि पद्धति का प्रयोग कर सकते हैं. स्टाइलिस्ट डेटिंग में किसी संरचना के निर्माण शैली से उसकी सदियों पुरानी स्थिति का आकलन कर पुरातत्व के विशेषज्ञ स्पष्ट और प्रमाणित कर देते हैं कि संरचना किस कालखंड की है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील है कि सर्वे से ये स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है? सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा.


ज्ञानवापी मामले में कब क्या हुआ?


1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई. याचिका के विरोध में मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने कहा. 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से मामले की सुनवाई शुरू हुई. 2021 में ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी मिली. 16 मई 2022 को पुरातत्व विभाग के सर्वे का काम पूरा हुआ. ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में शिवलिंगनुमा आकृति मिली.


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