Hemant Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकेशन को लेकर सोमवार को पूरे दिन चर्चाओं का बाजार गरम रहा. ईडी ने सोरेन का उनके आवास पर लंबा इंतजार किया. अब झारखंड के सीएम ने ईडी को बयान दर्ज कराने के लिए ईमेल के जरिये 31 जनवरी का वक्त दिया है. साथ ही उन्होंने ईडी पर राज्य सरकार के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया कि 31 जनवरी को या उससे पहले उनका बयान दोबारा दर्ज कराने की ईडी की जिद से दुर्भावना झलक रही है.


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हेमंत सोरेन ने ED को भेजा ईमेल


ईडी को भेजे ईमेल में हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि उन्हें समन जारी करना ‘पूरी तरह अफसोसजनक और कानून द्वारा दी गयी शक्तियों का दुरुपयोग है.’ सोरेन ने रविवार को भेजे ईमेल में कहा कि अदालत को उपलब्ध कराने के लिए 20 जनवरी को मुझसे सात घंटे तक हुई पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखें. सोरेन ने 31 जनवरी को दोपहर एक बजे उनके आवास पर बयान दर्ज कराने के लिए स्वीकृति दे दी है.


20 जनवरी को हुई थी पूछताछ


सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने कथित भूमि धोखाधड़ी मामले में 20 जनवरी को सोरेन से रांची में उनके आधिकारिक आवास पर पूछताछ की थी. उनसे यह बताने को कहा था कि वह पूछताछ के लिए 29 जनवरी या 31 जनवरी में से किस दिन आएंगे. मुख्यमंत्री 27 जनवरी की रात को राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हो गए थे, जबकि यहां रांची में सोमवार के निर्धारित सरकारी कार्यक्रम बिना किसी स्पष्टीकरण के रद्द कर दिए गए हैं.


सोरेन की पार्टी ने भाजपा पर लगाया आरोप


सोरेन की पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर झारखंड में अव्यवस्था का माहौल बनाया जा रहा है. जब से झारखंड में आदिवासी युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी है. तब से केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा येन केन प्रकारेण षड्यंत्र रच कर सरकार को गिराने के कई भरसक प्रयास किए गए हैं. जिसमें हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है. सभी राजनैतिक प्रयासों के दुरुपयोग के बाद अब केंद्र सरकार और भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है.



ईडी की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए


पार्टी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए ईडी की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े किए हैं. पार्टी ने पूछा कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि ईडी के अधिकारी पूछताछ के लिए दो दिन भी इंतजार नहीं कर सकते थे और वह भी तब जब एक हफ्ते पहले ही सात घंटे की पूछताछ हो चुकी थी? क्या यह एक मुख्यमंत्री के मान-सम्मान के साथ-साथ राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता का अपमान नहीं है? क्या ईडी जैसी संवैधानिक संस्थाएं भाजपा की हाथ की कठपुतली बन कर रह गयी हैं? क्या इन एजेंसियों के माध्यम से अब राज्यों में सरकारें बनायी या गिरायी जाएंगी? क्या राज्य के मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार देश की राजधानी आने पर कुछ भी कर सकती है? क्या अब देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपनी-अपनी सीमाओं तक ही सीमित रहना होगा?


(एजेंसी इनपुट के साथ)