Vikramaditya Singh: पिछले कुछ दिनों से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का एक धड़ा अपने सॉफ्ट हिंदुत्व को लेकर चर्चा में है. इस धड़े की अगुवाई लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह करते नजर आए. लगातार उनके बयान कांग्रेस सरकार के बयान से अलग आते दिखे. इसी बीच अब उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व ने तलब किया तो वे दिल्ली पहुंचे. जानकारी के मुताबिक उन्हें हिदायत दी गई कि वह या कोई अन्य नेता पार्टी की नीतियों तथा विचारधारा के खिलाफ नहीं जा सकता. 


केसी वेणुगोपाल से मुलाकात


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असल में हिमाचल प्रदेश में दुकानदारों के लिए नेमप्लेट से संबंधित मुद्दे पर बयान देने वाले विक्रमादित्य सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य से दो टूक कहा कि वह या कोई अन्य नेता कांग्रेस की नीतियों और विचारधारा के विरुद्ध नहीं जा सकता. 


विचारधारा के विरुद्ध नहीं


यह भी बात सामने आई कि वेणुगोपाल ने हिमाचल सरकार के मंत्री से यह भी कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी देश में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति कर रहे हैं तथा ऐसे में कोई भी कांग्रेस नेता पार्टी की विचारधारा के विरुद्ध नहीं जा सकता. विक्रमादित्य सिंह ने वेणुगोपाल के समक्ष यह सफाई दी कि उनकी टिप्पणियों को मीडिया ने तोड़-मरोड़कर पेश किया. 


क्यों शुरू हुआ पूरा मामला?


रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों के लिए नाम प्रदर्शित करने को अनिवार्य बनाने के मंत्री विक्रमादित्य सिंह के ऐलान को लेकर आलोचना का सामना करने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कहा था कि ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. 


यह पूरा बखेड़ा तब शुरू हुआ था जब राज्य के लोकनिर्माण और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को मीडिया से कहा था कि रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले लोगों के लिए, खासकर खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए, दुकान पर पहचानपत्र प्रदर्शित करने को अनिवार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले की तर्ज पर लिया गया है.