Hindi Imposition in India: हिंदी, वह भाषा है जो भारत के कम से कम 5 बड़े राज्यों में बोली जाती है. हालांकि, दक्षिण भारतीय राज्य हिंदी का विरोध करते हैं, यह कहते हुए कि इसे उन पर थोपा जा रहा है. तमिलनाडु में हिंदी बनाम तमिल की लड़ाई सोशल मीडिया और राजनीतिक बयानों से निकलकर संसद तक जा पहुंची है. मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि बचपन में हिंदी सीखने पर उनका मजाक उड़ाया गया. सीतारमण ने कहा था कि तमिलनाडु में हिंदी पढ़ना गुनाह है, जिसका डीएमके सांसदों ने खूब विरोध किया. बुधवार को, डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने दावा किया कि 'तमिलनाडु में तमिल भाषी तमिलों पर हिंदी थोपी गई. यह एक जन आंदोलन था जिसमें उन्होंने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ लड़ाई लड़ी... हम नहीं चाहते कि हिंदी थोपी जाए...'


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निर्मला ने संसद में क्या कहा था?


मंगलवार को वित्त मंत्री लोकसभा में एक बिल पर चर्चा का जवाब दे रही थीं. इस दौरान, उन्होंने समाजवादी पार्टी के सदस्य राजीव रॉय द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र का जिक्र करते हुए हिंदी में कुछ कहा. वह एक शब्द पर अटकीं तो उन्होंने कहा, 'मेरी हिंदी इतनी अच्छी नहीं है. मैं बोलचाल की भाषा में महज कुछ 10 शब्द बोल लेती हूं. हिंदी की इतनी शब्दावली जरूर समझती हूं कि क्या अपशब्द है और क्या नहीं.'


मूल रूप से तमिलनाडु से संबंध रखने वाली सीतारमण ने कहा, 'मैं एक ऐसे राज्य से आती हूं, जहां हिंदी पढ़ना गुनाह है, इसलिए मुझे बचपन से हिंदी पढ़ने से रोका गया.' इस पर DMK के सदस्यों ने सीतारमण की टिप्पणी का विरोध किया तो उन्होंने कहा, 'जब मैं कहती हूं कि (तमिलनाडु में) माहौल हिंदी सीखने के अनुकूल नहीं था तो यह मैं तमिलनाडु में अपने निजी अनुभव से कहती हूं. मेरा अपना अनुभव है कि स्कूल से अलग जब मैंने हिंदी सीखी तो सड़कों पर मेरा मजाक उड़ाया गया. यह मेरा अपना अनुभव है.' 



आज कनिमोझी का क्या बयान आया?


तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने की बात पर डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने बुधवार को कहा, 'तमिलनाडु में तमिल भाषी तमिलों पर हिंदी थोपी गई. यह एक जन आंदोलन था जिसमें उन्होंने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ लड़ाई लड़ी... हम नहीं चाहते कि हिंदी थोपी जाए... केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों में छात्र तमिल नहीं सीख सकते... आप तमिल लोगों को उनकी अपनी भाषा सीखने से वंचित कर रहे हैं... अगर लोग हिंदी सीखना चाहते हैं, तो वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं.'



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मंगलवार को सीतारमण ने DMK सांसदों को आड़े हाथ लेते हुए कहा था, 'वे हिंदी को थोपने के खिलाफ हैं, मैं उसका समर्थन करती हूं. किसी पर कुछ भी नहीं थोपा जाना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'तमिल भाषा के प्रति मुझे भी अन्य भाषाओं की तरह प्यार है. वे हिंदी भाषा थोपने का विरोध करते हैं, अच्छी बात है, लेकिन मुझ पर हिंदी नहीं सीखने का दबाव क्यों डाला गया. मैं जो भाषा सीखना चाहूं, सीख सकती हूं.' (एजेंसी इनपुट्स)