जैसलमेर में रचा गया इतिहास: आर्टिफिशियल तरीके से जन्मा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का चूजा
Great Indian Bustard: राजस्थान के जैसलमेर में वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया है. पहली बार आर्टिफिशयल तरीके से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बच्चे को जन्म दिया गया है. पिछले तीन वर्षों से इस काम में लगे वैज्ञानिकों को ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की घट रही तादाद को फिर से नियंत्रित करने का पूरा यकीन है.
Great Indian Bustard: आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन द्वारा इंसानी बच्चों को जन्म देने की तो आपने अनगिनत खबरें पढ़ी होंगी लेकिन राजस्थान के जैसलमेर में इस विधि का हैरान कर देने वाला उपयोग सामने आया है. यहां पर आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (Artificial Insemination) यानी कृत्रिम गर्भाधान के ज़रिए विलुप्त हो रही ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बच्चे का जन्म हुआ है. बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पिछले तीन वर्षों से काम जारी था.
अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान के जैसलमेर जिले में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से कगार पर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के एक बच्चे का जन्म हुआ है. उन्होंने इसे लुप्तप्राय प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने की दिशा में एक "महत्वपूर्ण" कदम बताया. आधिकारिक अनुसार, भारत में जंगली ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या 150 से भी कम है, जिनमें से 90% राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पाए जाते हैं और बाकी गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पाए जाते हैं.
क्या है प्रोसेस?
राजस्थान वन विभाग ने 2016 में शुरू किए गए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम के हिस्से के रूप में जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क के बाहरी इलाके में एक जीआईबी प्रजनन केंद्र स्थापित किया. इसके तहत एक नर गोडावण को एक डमी मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के साथ बिना मेटिंग के ट्रेन किया जाता है. इसके बाद उसके स्पर्म को इकट्ठा करने के बाद मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड में इंजेक्ट करके कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है. अगर यह काम सफलतापूर्वक हो जाता है तो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को जन्म दे सकती है.
तीन वर्षों से चल रहा था काम:
व्यास ने कहा कि जैसलमेर प्रजनन केंद्र के वैज्ञानिकों ने अबू धाबी स्थित द इंटरनेशनल फंड फॉर होबारा कंजर्वेशन (IHFC) से कृत्रिम गर्भाधान पर ट्रेनिंग हासिल की है. प्रजनन केंद्र में काम करने वाले एक वैज्ञानिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हम पिछले तीन वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं और कुछ शुरुआती असफलताओं से बहुत कुछ सीख हासिल की है." व्यास ने कहा कि राम देवरा जीआईबी प्रजनन केंद्र से "सुदा" नामक एक नर जीआईबी के शुक्राणु को जैसलमेर केंद्र में 'टोनी' नामक एक मादा जीआईबी में गर्भाधान किया गया. सफल गर्भाधान के बाद, 16 अक्टूबर को अंडे से एक चूजा निकला.
आबादी में इजाफे की उम्मीद:
वैज्ञानिकों का कहना है कि कृत्रिम गर्भाधान से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी में इजाफे की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है, क्योंकि इस पक्षी की प्रजनन दर धीमी है और इसके प्राकृतिक आवास में इसे कई तरह के खतरों का सामना भी करना पड़ता है. निश्चित रूप से, बस्टर्ड के लिए मुख्य खतरा इसके आवास का खत्म होना है, जिसे बंजर भूमि माना जाता है.