'आईसी 814 कंधार हाईजैक' पर वेब सीरीज रिलीज होने के बाद 25 साल पुराना वो खौफनाक कांड फिर से चर्चा में है. कम लोगों को पता होगा कि भले ही उस प्लेन को काठमांडू से दिल्ली के रास्ते पर हाईजैक किया गया था लेकिन पूरी साजिश में मुंबई एक अहम सेंटर था. जी हां, मुंबई क्राइम ब्रांच के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने दिसंबर 1999 की पूरी घटना बताई है. उन्होंने बताया कि हेमंत करकरे साहब को सूचना मिली थी. अब्दुल लतीफ नाम का एक शख्स एक फोन नंबर का इस्तेमाल कर रहा था. हम लोग उसे लगातार सुन रहे थे. वे कोड वर्ड में बात कर रहे थे जैसे- मैं कल जहां था वहीं पर आ जाना. लोकेशन ट्रेस करने के ज्यादा उपकरण नहीं थे.


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तड़के पाकिस्तान से फोन आया...


उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि एक दिन सुबह 5 बजे पाकिस्तान से कॉल आया. कॉल में अजान की आवाज आ रही थी और गाय-भैंस के चिल्लाने की भी आवाज थी. इसका मतलब तबेला और मस्जिद आसपास थी. अब्दुल लतीफ पर धीरे-धीरे निगरानी बढ़ाई गई. पता चला कि वह किसी मस्जिद में गया है. हवाला से आए पैसे लिए. वह लौट रहा था तो हमने जोगेश्वरी में इंटरसेप्ट किया. जल्दी ही वह टूट गया. उसने बताया कि चॉल में कई आतंकी रुके हुए हैं. इसमें एक पाकिस्तानी, नेपाली और कश्मीरी था जबकि लतीफ मुंबई का लोकल था. सारे काम यही करा रहा था.  


सभी यात्री स्पेशल फ्लाइट से लौटे थे तो कंधार में खड़े उस हाईजैक प्लेन का क्या हुआ?


पूर्व अफसर ने बताया कि हमारे पास सर्विस रिवॉल्वर ही थी. आतंकियों ने फायरिंग तो नहीं की लेकिन वहां हमने देखा तो दंग रह गए. चॉल में दो एके 56, 6-7 पिस्टल, डेटोनेटर और हैंड ग्रेनेड थे. एक आतंकी हैंड ग्रेनेड से खेल रहा था. उन्होंने बताया था कि कंधार में जो प्लेन हाईजैकिंग हुई थी, वो हाइजैकर्स के पासपोर्ट इन्होंने मुंबई ऑफिस से बनवाए थे. बाद में पता चला कि हाइजैकर्स भी यहां 2-3 अलग-अलग जगहों पर आकर रहे थे. 


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प्रदीप शर्मा ने कहा कि हाइजैकिंग की पूरी प्लानिंग मुंबई से ही हुई थी. मुंबई के आतंकियों ने हाइजैकर्स के फोटो दिखाए. ये फोटो गृह मंत्री आडवाणी तक पहुंचाए गए. तब आतंकियों की पहचान सबको पता चली. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने बताया कि मुंबई में पकड़े गए आतंकियों ने बताया था कि वे कुछ समय बाद जनवरी 2000 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पर हमला करने की साजिश रच रहे थे. तब वाजपेयी का मुंबई एयरपोर्ट आने का प्लान बन चुका था. हालांकि क्राइम ब्रांच के ऑपरेशन ने उनके सारे मंसूबे नाकाम कर दिए. 


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आतंकियों ने सबसे पहले बोरिवली में एक कोऑपरेटिव बैंक को लूटा था. साढ़े सात लाख रुपये इकट्ठा किए. एक वॉचमैन का आईडी कार्ड छीना. उससे सिम कार्ड खरीदा. लतीफ ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए और बाद में मुंबई से हाईजैकर्स के पासपोर्ट बने. शर्मा ने बताया कि वे मुंबई में ही प्लेन हाईजैक करने वाले थे लेकिन जब देखा कि सिक्योरिटी काफी टाइट है तो प्लान बदल दिया. मुंबई के उस चॉल में आतंकियों के पास 10 हजार डॉलर और पाकिस्तानी मुद्रा भी मिली थी. उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ी साजिश थी.


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