नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अवमानना मामले में दोषी वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की सजा तय करने के लिए मंगलवार को जब कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से उनकी राय मांगी जो उन्होंने कोर्ट से भूषण को माफ कर देने की अपील की. उन्होंने कहा कि 'भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए भूषण को माफ कर देना चाहिए.'


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राय सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील भूषण से उम्मीद थी कि वो सोमवार को अतिरिक्त बयान कोर्ट में दाखिल करते हुए अपने रवैये में कुछ सुधार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को संबोधित करते हुए कहा कि हमने भूषण को मौका दिया था. गलती हमेशा गलती होती है और संबंधित व्यक्ति को यह महसूस होना चाहिए. कोर्ट कि मर्यादा है, भूषण ने कहा कि 'मैं माफी नहीं मांगूगा.'


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सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से आगे कहा कि आप यह बताइए कि अगर सजा देनी हो तो क्या दें? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आप कह दीजिए कि 'वह भविष्य में ऐसा बयान न दें.' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि दुनिया में कोई भी पूर्ण नहीं है. गलती सब से होती है, लेकिन गलती करने वाले को इसका एहसास तो होना चाहिए. हमने उनको अवसर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि माफी नहीं मांगना चाहते.


आगे अटॉर्नी जनरल ने कहा कि भूषण को लगता है कि उन्होंने गलत नहीं किया. कोर्ट मानती है कि गलत किया. आप चेतावनी देकर जाने दीजिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें यह लगता है कि उन्होंने गलत नहीं किया तो हमारी बात का क्या लाभ होगा. यह कैसे सुनिश्चित होगा कि वह भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तो उन्हें अपनी गलती माननी चाहिए. वह ऐसा करते हैं तो मामला सरल होगा, लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट को सही ठहराना शुरू कर दिया. जस्टिस अरुण मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल से सवाल किया, 'अगर भूषण ने कोई गलती नहीं की है तो चेतावनी किस बात की दी जाए?


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