ज्यादा मामले-कम मौतों का क्या मतलब? ओमिक्रॉन कोरोना को खत्म कर देगा?
कोरोना को लेकर हर तरफ डर का माहौल है लेकिन हम आज आपको बताएंगे कि वायरस से डरने की नहीं बल्कि संभलने की जरूरत है. आप कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और मास्क लगाएं. संक्रमण तेजी से जरूर फैल रहा है लेकिन इस बार खतरा पहले से कम है.
नई दिल्ली: आजकल चारों तरफ कोविड फैला हुआ है और कोविड का डर भी फैला हुआ. लेकिन आज हम आपको 10 Points में ये समझाएंगे कि कोविड दुनियाभर में तेजी से फैल तो रहा है, लेकिन इस बार का कोविड सिर्फ एक Flu बन कर रह गया है, जो आपके लिए पिछली बार के मुकाबले कम खतरनाक है.
मौतों का आंकड़ा काफी कम
भारत में 227 दिन बाद पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा 1 लाख 80 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं. लेकिन इसके बावजूद पहले के मुकाबले मौतों का आंकड़ा काफी कम है. इससे पहले एक दिन में इतने मामले मई 2021 में आए थे, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही थी. पिछले साल 27 मई को 1 लाख 86 हजार और 28 मई को 1 लाख 73 हजार मामले मिले थे और प्रति दिन मौतों का आंकड़ा साढ़े तीन हजार से ज्यादा था.
अब सात महीने बाद एक बार फिरे से नए मामलों की संख्या प्रति दिन एक लाख 80 हजार पहुंच गई है. लेकिन मौत का आंकड़ा 146 ही है. यानी मामले दूसरी लहर जितने ही हैं, लेकिन मौतें 25 गुना तक कम हैं. आप इसे ऐसे समझिए कि अगर उस समय हर दिन 100 लोगों की मृत्यु हो रही थी तो अब सिर्फ 4 लोगों की मृत्यु हो रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोरोना का Omicron वेरिएंट ज्यादा घातक नहीं है. इसलिए आपको घबराने की जरूरत बिल्कुल नहीं है.
संक्रमण ज्यादा लेकिन खतरा कम
दूसरी बात, भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जहां मामले ज्यादा होने पर भी मौतें कम हैं. अमेरिका में 9 जनवरी को 3 लाख 13 हजार लोग इस वायरस से संक्रमित हुए. इससे पहले वहां एक दिन में इतने मामले 7 सितम्बर 2021 को आए थे. लेकिन तब प्रति दिन मौतों का आंकड़ा लगभग ढाई हजार था और अब ये 400 से आसपास है. यानी मामले उतने ही हैं, लेकिन मौतें 6 गुना तक कम हैं. ब्रिटेन में तो पिछले दो साल में पहली बार हर दिन लगभग डेढ़ लाख नए मामले दर्ज हो रहे हैं. लेकिन मरने वालों की संख्या 13 गुना तक कम है. यानी दुनियाभर में संक्रमण तो तेजी से फैल रहा है, लेकिन खतरा पहले के मुकाबले कम है.
इस बार मौतें इसलिए भी कम हैं क्योंकि लोग संक्रमण होने के पांच से सात दिन में ठीक हो रहे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने की जरूरत नहीं पड़ रही. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में 25 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है.
अस्पताल में भर्ती होने की कम जरूरत
उदाहरण के लिए, पिछले साल 10 अप्रैल को जब मुम्बई में कोरोना से 90 हजार लोग संक्रमित थे, तब अस्पतालों के 20 हजार Beds पूरी तरह भर गए थे. लेकिन आज जब फिर से इतने ही मामले हो गए हैं, तब केवल 8 हजार Beds ही भरे हैं. इसके अलावा पहले 91 हजार मरीजों में 1300 मरीजों को Ventilator की जरूरत पड़ी थी. लेकिन अब इतने ही मरीजों में केवल 466 मरीज ही Ventilator पर हैं.
इसी तरह दिल्ली में पिछले साल जब 61 हजार मरीज थे, तब 3 हजार लोग ICU Beds पर थे. लेकिन आज 61 हजार लोगों में से केवल 300 मरीज ही ICU Beds पर हैं. यानी Omicron में अस्पताल जाकर इलाज कराने की जरूरत ज्यादा नहीं होती और मरीज पांच से सात दिन में ठीक हो जाते हैं. इसीलिए केन्द्र सरकार ने मामूली लक्षण वाले मरीजों के लिए Home Isolation 7 दिन का कर दिया है.
ICMR ने दी बड़ी राहत
आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने कहा है कि किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर भी अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो आपको कोरोना का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. अगर आपको लगता है कि आप संक्रमित व्यक्ति के साथ ज्यादा देर तक नहीं थे और काफी करीब से नहीं मिले थे या हाथ नहीं मिलाया था तो ऐसी स्थिति में आप टेस्ट करवाने से बच सकते हैं. यानी अब नियम पहले के मुकाबले ज्यादा सख्त नहीं हैं.
हालांकि एक महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार ज्यादातर उन लोगों की मौत हो रही है, जिन्होंने या तो वैक्सीन नहीं लगवाई या जिन्हें पहले से कोई गम्भीर बीमारी है. उदाहरण के लिए दिल्ली में 5 से 9 जनवरी के बीच कुल 46 मौतें हुई, जिनमें से 35 लोग ऐसे थे, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थीं. इसके अलावा इन 35 में से 25 लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा थी. और 46 में से 34 ऐसे थे, जिन्हें पहले से कोई गम्भीर बीमारी थी. यानी इस बार उन लोगों को खतरा ज्यादा है, जिन्हें पहले से कोई गम्भीर बीमारी है या जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है.
कोविड नियमों का पालन जरूरी
ये स्थिति तब है, जब देश में Omicron के मामले पहली बार 4 हजार के पार चले गए हैं, जिनमें से अकेले 1200 मामले महाराष्ट्र में हैं और 513 मामले दिल्ली में हैं. इन दोनों ही जगहों पर कोरोना का विस्फोट हुआ है. इसलिए ये माना जा रहा है कि यहां मामले बढ़ने का कारण Omicron हो सकता है. Omicron तेजी से फैलता है, इसलिए आपको मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते रहना है.
आपके सबसे ज्यादा काम की जानकारी ये कि अब कई राज्यों में लॉकडाउन लगाने पर विचार हो रहा है. तमिलनाडु में रविवार को सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू था और अब दिल्ली में भी Weekend Curfew के बाद कुछ और पाबंदियां लगा दी गई हैं. जैसे अब लोग रेस्टोरेंट में बैठकर खाना नहीं खा सकेंगे. केवल Home Delivery की अनुमति होगी. बार भी बन्द रहेंगे और प्रत्येक जोन में सिर्फ एक साप्ताहिक बाजार को खोलने की अनुमति होगी. महाराष्ट्र में भी सिनेमा हॉल, जिम और मैरिज हॉल 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालित होंगे. पंजाब में स्कूल और कॉलेजों को बन्द कर दिया गया है और रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. हरियाणा में भी 26 जनवरी तक सभी स्कूल बन्द रहेंगे.
देश में प्रीकॉशन डोज लगनी शुरू
इसके अलावा आज से देश में Frontline Workers, Health Workers और डॉक्टरों को कोरोना की Precautionary Dose लगनी शुरू हो गई है. यानी एहतियात के तौर पर कोरोना की तीसरी डोज लगाने का काम शुरू हो गया है. 60 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के वो लोग भी Precautionary Dose लगवा सकते हैं, जिन्हें कोई गम्भीर बीमारी है. हालांकि अब इसके लिए डॉक्टर का सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी नहीं है और वैक्सीन लगवाने के लिए Walk in Registration भी शुरू हो गया है.
अगर आप Precautionary Dose लगवाने के योग्य हैं, तो सीधे वैक्सीनेशन सेंटर जाकर, रजिस्ट्रेशन करवा कर Dose लगवा सकते हैं. इस दौरान आपको ये बात ध्यान रखनी है कि वैक्सीन की Second Dose और Precautionary Dose के बीच 9 महीने का अंतर होना चाहिए. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों के बाद भारत भी कोरोना की तीसरी डोज लगाने वाला देश बन गया है.
केंद्र ने राज्यों को दिया ये सुझाव
इसके अलावा केन्द्र सरकार ने राज्यों को चिट्ठी लिख कर Vaccination Centres को रात 10 बजे तक खोले रखने का सुझाव दिया है. यानी आने वाले दिनों में आप टीका केन्द्रों पर रात 10 बजे तक वैक्सीन लगवा सकेंगे. अब तक भारत में लगभग 152 करोड़ डोज लग चुकी हैं.
आज से 104 वर्ष पहले दुनिया में Spanish Flu आया था, जिसने 1918 से 1922 के बीच यानी केवल चार सालों में पांच करोड़ लोगों की जान ले ली थी. कोविड की तरह इस महामारी की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में लाखों लोग मारे गए थे. लेकिन दो वर्षों के बाद ही इस बीमारी का एक ऐसा वेरिएंट आया, जिसने इसे काफी कमजोर बना दिया और वर्ष 1922 आते आते ये महामारी दुनिया के नक्शे से गायब हो गई. आज 100 वर्षों के बाद 2022 में भी दुनिया इसी की उम्मीद कर रही है. बस इस बार Spanish Flu की जगह कोरोना है और इस महामारी को समाप्त करने वाला वेरिएंट Omicron हो सकता है.