पुलों की नहीं होती एक्सपायरी डेट, इस कारण होते हैं ढेर सारे एक्सीडेंट: नितिन गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने चौंकाने वाला बयान दिया है और कहा है कि भारत में पुलों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती. इस वजह से काफी दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं.
नई दिल्ली: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के आंकड़ों के अनुसार भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है. अब इसको लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने चौंकाने वाला बयान दिया है और कहा है कि भारत में पुलों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती. इस वजह से काफी दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं.
पुलों की एक्सपायरी डेट तय करने का समय
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि अब समय आ गया है कि देश को पुलों की एक्सपायरी डेट तय करने पर फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा लोगों से कहता हूं कि वित्तीय ऑडिट जरूरी है, लेकिन गुणवत्ता ऑडिट और निर्माण की गुणवत्ता का ऑडिट भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है.'
गडकरी इस्पात और सीमेंट कंपनियों से नाराज
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह स्पात और सीमेंट कंपनियों के रवैये से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'मेरा एक मिशन सड़क निर्माण में इस्पात और सीमेंट के इस्तेमाल को कम करना है, क्योंकि ये कंपनियां गुटबंदी करती हैं.'
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कॉर्बन स्टील और स्टील फाइबर से बनेंगी सड़कें?
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क निर्माण में कॉर्बन स्टील और स्टील फाइबर जैसी नई सामग्रियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा, 'स्टील फाइबर का इस्तेमाल एक इनोवेटिव निर्णय है. मैं इस्पात और सीमेंट कंपनियों के रवैये से बहुत खुश नहीं हूं. मेरा एक मिशन सड़क निर्माण में इस्पात और सीमेंट के इस्तेमाल को कम करना है.'
हर साल होती हैं साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं
पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े जारी किए थे और बताया था कि साल 2019 में सड़क हादसों की कुल संख्या 4 लाख 49 हजार 2 थी. इससे पहले साल 2018 में ये आंकड़ा 4,67,044 और साल 2017 में 4,64,910 था. मंत्रालय ने बताया था कि तरफ राज्यों की तरफ से दिए गए आंकड़ों के आधार पर यह डेटा तैयार किया गया है.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)
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