Rules of Mughal Haram: अगर आप मुगल इतिहास से रूबरू होंगे तब आप मुगल हरम के बारे में भी जरूर जानेंगे. इसकी शुरुआत बाबर के शासनकाल में हुई थी लेकिन अकबर के शासन काल तक मुगल हरम को बहुत ज्यादा व्यवस्थित कर दिया गया था. कहा जाता है कि अकबर के शासनकाल में मुगल हरम में औरतों की संख्या बढ़कर लगभग 5000 तक पहुंच गई थी. बदशाह मुगल हरम के रखरखाव पर मोटा खर्चा करता था. मुगल हम के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि जो भी औरतें यहां पर आती थीं, उनका नाम बदल दिया जाता था या उन्हें 2 नामों से बुलाया जाता था. इसके पीछे एक बड़ी वजह बताई जाती है.


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क्यों दोहरे नामों का होता था इस्तेमाल?


यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि मुगल हरम में बादशाह की खिदमत करने वाली औरतों के नाम बदल दिए जाते थे. कहा जाता है कि इन औरतों को अलग-अलग देशों से लाया जाता था. किसी को खरीद कर तो किसी को जीत कर. किसी अन्य को इनकी असलियत का पता न चले इसलिए इनके नामों को बदल दिया जाता था. इन महिलाओं के नामों को गुलबदन, कचनार और गुल अफसाना जैसे नामों में बदला जाता था.


मुगल हरम के थे खास नियम


आपको बता दें कि मुगल हरम से जुड़े कई नियम थे जिनका सख्ती के साथ पालन किया जाता था. मुगल हराम का पहला नियम था कि यहां पर बादशाह के सिवा किसी अन्य पुरुष की एंट्री नहीं होगी. अगर कोई ऐसी गुस्ताखी करने की कोशिश करता था तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था. मुगल हरम की सुरक्षा में किन्नरों को तैनात किया जाता था. इन किन्नरों की कद काठी किसी अच्छे सैनिक की तरह मेल खाती थी. मुगल हरम के अंदर रहने वाली कनीजों को कहीं बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. हरम के अंदर ही इनके लिए सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थीं.