मथुरा: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए लेकिन जब सरकार ने इस कानून में गरीब वर्ग की आय सीमा आठ लाख रुपए सालाना तय कर दी है तो असली गरीब तो इसमें भी पीछे ही रह जाएगा. 


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कोसीकलां की कृषि उपज मण्डी बाजार में आयोजित ‘किसानों से संवाद’ सभा को संबोधित करते हुए अजीत सिंह ने कहा कि असली गरीब पीछे न रह जाएं इसलिए इस मामले में सालाना आय की सीमा आठ लाख के स्थान पर दो लाख किया जाना चाहिए और तभी असली गरीबों को संविधान के बदलाव का लाभ मिल पाएगा. 


अजीत ने कहा, ‘सोचने वाली बात यह है कि आखिर इन गरीबों को आरक्षण की आवश्यकता क्यों है ? क्योंकि, उसकी आय कम है. उसके बच्चे अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ सकते. उनको जरूरी ट्यूशन नहीं नसीब होता. उन्हें इसलिए आरक्षण चाहिए न. तो जब आप आठ लाख रुपया कमाने वाले को उसके साथ खड़ा करोगे तो वह फिर वहीं का वहीं रह जाएगा. उसका मुकाबला नहीं कर पाएगा. यही तो आज की समस्या है.’ 


रालोद नेता ने सवाल उठाया, ‘जब गरीब की परिभाषा में आठ लाख तक कमाने वाले शामिल हो जाएंगे तो 95 फीसद आबादी उसमें शामिल हो जाएगी. तब असली गरीब को तो उनके सापेक्ष रोजगार हासिल नहीं हो पाएगा. क्योंकि, जिन सशक्त परिवारों के बच्चों के सामने गरीब को रोजगार नहीं मिल रहा था, वह तो तब भी उनसे पीछे ही रह जाएगा. इसलिए आय की सीमा दो लाख के आसपास ही होनी चाहिए.


इससे पहले किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘अब मोदी के अच्छे दिन लद गए हैं. अब उनके बुरे दिन आने वाले हैं. इसके बाद जनता के अच्छे दिन आएंगे.’ उन्होंने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री बनने से पहले से मोदी अबतक जनता को बहकाते ही आये हैं और अब भी झांसा देने से बाज नहीं आ रहे.’


(इनपुट - भाषा)