PM Narendra Modi speech from Red Fort: आजादी के 75 साल पूरे होने पर देशभर में स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है और इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से लगातार लगातार 9वीं बार 'तिरंगा' फहराने के बाद देश को संबोधित किया. आजादी की 76वीं सालगिरह (Independence Day) पर लाल किले से दिए भाषण में पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा अमृत काल, भारत, 75 साल और दुनिया का सबसे ज्यादा जिक्र किया. इसके साथ ही उन्होंने हिंदुस्तान की उपलब्धियां, चुनौतियां और लक्ष्यों का बारे में भी बात की.


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83 मिनट के भाषण में 32 बार अमृत काल का किया जिक्र


देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण (PM Modi Speech) में भी इस झलक साफ नजर आई. प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम संबोधन के दौरान अमृत काल शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया और उन्होंने अपने 83 मिनट के भाषण में 32 बार 'अमृत काल' शब्द का जिक्र किया.


31 बार भारत और 23 बार दुनिया शब्द का इस्तेमाल


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने भाषण में 'अमृत काल' के अलावा सबसे ज्यादा भारत और दुनिया शब्द का जिक्र किया. पीएम ने 31 बार भारत शब्द 23 बार दुनिया शब्द का इस्तेमाल किया. पीएम मोदी ने कहा, 'आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है.'


पीएम मोदी ने 24 बार किया '75 साल' का जिक्र


बता दें कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं और पूरे देश में इसको लेकर जश्न मनाया जा रहा है. पीएम मोदी के भाषण में भी इसकी झलक साफ नजर आई और उन्होंने 24 बार '75 साल' शब्द का जिक्र किया. इसके साथ ही पीएम मोदी ने 75 साल में देश की उपलब्धियां गिनाई और देश के सामने आई चुनौतियों का भी जिक्र किया.


हम पंच प्रण का संकल्‍प लेते हैं- PM मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा हम अमृत काल में कदम रख रहे हैं और इस मौके पर 'पंच प्रण' का संकल्‍प लेते हैं. उन्होंने कहा, 'अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना. तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए. चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता. पांचवां प्रण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं है.'



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