Akhilesh Yadav on Supreme Court Name Plate Case Decision: कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों और खाने- पीने की दूसरी दुकानों पर मालिक और कर्मचारियों का नाम लिखने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि दुकानदारों को केवल खाद्य पदार्थों की डिटेल देने के लिए बाध्य किया जा सकता है. लेकिन उन्हें मालिक- कारीगर का नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. कोर्ट का यह फैसला आते ही विपक्षी दलों की बांछे खिल गई हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस फैसले के बाद बीजेपी पर तंज कसते हुए पोस्ट किया, एक नई ‘नाम-पट्टिका’ पर लिखा जाए : सौहार्दमेवजयते!


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सांप्रदायिक राजनीति का दीया फड़फड़ा रहा


अखिलेश यादव ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा,'जिस समय मुझे जानकारी मिली थी, तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले का संज्ञान लेकर ऐसी कार्रवाई को रोके. जैसे दीया बुझने से पहले फड़फड़ाता है, ये सांप्रदायिक राजनीति का दीया फड़फड़ा रहा है. इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं. सांप्रदायिक राजनीति खत्म होने जा रही है. इसका दुख भाजपा को है.' 


बीजेपी को निशाना बनाते हुए अखिलेश यादव ने आगे लिखा, 'इससे पहले आरएसएस वाला बैन भी हटाया गया है ताकि बड़े बड़े सरकारी पोस्ट पर अपने लोगों को ये लोग भर सकें. एक नई ‘नाम-पट्टिका’ पर लिखा जाए : सौहार्दमेवजयते!'


यह फैसला संविधान की जीत- कांग्रेस


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. पार्टी नेता प्रमोद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह संविधान की जीत है. मैंने इस मुद्दे को आज राज्यसभा में उठाया था. इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं.


वहीं कांग्रेस के फायरब्रांड प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, हमने इसका पुरजोर विरोध किया था क्योंकि यह संविधान विरोधी है. अगर मैं अपनी दुकान पर अपनी जाति और अपना धर्म लिखता हूं तो यह दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी, मुस्लिम विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी है. हम इसका विरोध करते हैं.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, मुझे लगता है कि ये सुप्रीम कोर्ट का बहुत सही फैसला है. इससे दूरगामी संदेश जाएगा. देश में सौहार्द और सामाजिक एकता कायम रहेगी." इससे राजनीतिक लाभ के लिए खड़ा किया गया यह अनावश्यक विवाद समाप्त हो जाएगा. मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उसने एक अच्छा निर्णय लिया है.''


'इससे देश की छवि खराब हुई'


सीपीआई सांसद पी संदोश कुमार कहते हैं, "हम तहे दिल से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. यह समय पर लिया गया फैसला है. इससे उन लोगों का मनोबल बढ़ेगा जिन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी. यह था ऐसा मुद्दा नहीं है जो केवल यूपी और उत्तराखंड की परिधि तक ही सीमित है, इससे देश की छवि खराब हुई है क्योंकि हम 'विश्वगुरु' होने का दावा कर रहे हैं और भारत जैसे देश में यह कितना शर्मनाक हो रहा है इससे सबक लेते हुए यूपी सरकार को इस तरह की चीजों की इजाजत देने के लिए योगी आदित्यनाथ को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए, इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं..."


फैसले पर बीजेपी क्या बोली?


वहीं बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है, शीर्ष अदालत जो भी नियम बनाएगी, उसे स्वीकार किया जाएगा लेकिन यह एक सामान्य प्रथा है. लोगों को अपनी पहचान प्रस्तुत करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जब हम प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं और आईएएस अधिकारी बनते हैं, तो हम अपने नाम के साथ आईएएस का उल्लेख करते हैं, जब हम डॉक्टर बनते हैं तो हम अपने नाम के साथ इसका उल्लेख करते हैं, मेरा मानना ​​है कि लोगों को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए. लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं. सरकार की प्राथमिकता है कि कांवड़ यात्रा अच्छे से हो और शरारती तत्व इसकी पवित्रता को नुकसान न पहुंचाएं.'


पहचान उजागर करने के आदेश से बवाल


बताते चलें कि यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के एसएसपी ने एक एडवाइजरी जारी करके कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाले ढाबे, ठेले- पटरी वालों और खाने- पीने के दुकानों को बोर्ड लगाकर अपनी पहचान उजागर करने का निर्देश दिया था. इसके बाद सहारनपुर रेंज के डीआईजी ने अपने अधीन आने वाले जिलों के लिए भी ऐसा ही आदेश जारी कर दिया. उनकी देखादेखी हरिद्वार, रुड़की और उज्जैन के पुलिस- प्रशासन की ओर से भी ऐसे ही आदेश जारी किए गए. इस आदेश का जहां अधिकतर लोगों ने स्वागत किया, वहीं अपना ठगी का धंधा बंद होने से एक वर्ग इसके विरोध में भी है. 


इस मुद्दे पर अपनी खास तरह की विचारधारा के लिए चर्चित एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए नेम प्लेट लगाने के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी. 


कोर्ट ने राज्य सरकारों से मांगा जवाब


इसके साथ ही यूपी, उत्तराखंड और एमपी की सरकारों को नोटिस जारी कर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए कहा. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ. अब राज्यों की ओर से जवाब आने के बाद इस मामले में अगली सुनवाई होगी. 


बताते चलें कि दिल्ली से हरिद्वार- ऋषिकेश जाने वाले रूट पर सैकड़ों ऐसे ढाबे चल रहे हैं, जिनके नाम तो हिंदुओं के नाम पर रखे गए हैं लेकिन उन्हें चलाने वाले मालिक और कारीगर मुसलमान है. ढाबों पर हिंदू नाम रखकर वे हिंदू ग्राहकों से धोखेबाजी कर अपने रेस्त्रां में आने के लिए आकर्षित करते हैं. 


यूपीआई पेमेंट शुरू होने के बाद खुली असलियत


देश में यूपीआई से पेमेंट शुरू करने का चलन शुरू करने के बाद जब लोगों को उनकी असलियत पता चलनी शुरू हुई तो वे हैरान रह गए. इसे धोखाधड़ी और लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ बताते हुए वे कई बार प्रशासन और सरकारों से इन धोखेबाज ढाबा मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुके हैं हालांकि अब तक उन पर कोई एक्शन नहीं हो पाया है.