नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद (India China Border Dispute) को लेकर बड़ी खबर आ रही है. जानकारी के मुताबिक लद्दाख के गलवान में सीमा से चीन के सैनिक 2.5 किमी पीछे हट गए हैं. जानकारी के मुताबिक भारत के सैनिक भी सीमा से कुछ पीछे हटे हैं. कहा जा रहा है कि सीमा विवाद पर चीन से अभी भी कुछ मुद्दों पर चर्चा होना बाकी है. भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच जल्द बातचीत होगी. भारत-चीन के बीच ब्रिगेडियर और मेजर स्तर की चर्चा जल्द होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेना ने प्रधानमंत्री और कैबिनेट को भी LAC पर चीन की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी दी है.


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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान क्षेत्र में, पैट्रोलिंग बिंदु 15 और हॉट स्प्रिंग एरिया से अपने सैनिकों और युद्धक वाहनों को ढाई किलोमीटर पीछे किया है. भारत ने भी अपनी कुछ टुकड़ियां पीछे हटाई हैं. 


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आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीनी सेनाओं के बीच पिछले एक महीने से गतिरोध बना है. इसके समाधान के लिए शनिवार (6 जून) को दोनों पक्षों की तरफ से कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत हुई. इसकी जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि भारत और चीन के सैन्य कमांडर दोनों देशों के नेतृत्व के बीच हुए समझौते के साथ ही द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार पूर्वी लद्दाख में मौजूदा सीमा मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर राजी हो गए हैं.


दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में महीने भर से चल रहे गतिरोध को हल करने की कवायद में शनिवार को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की. विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और नेताओं के बीच बनी सहमति को ध्यान में रखते हुए हालात से शांतिपूर्ण तरीके से निपटने पर राजी हो गए हैं. नेताओं के बीच सहमति बनी कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र में शांति द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है.’’


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यह सैन्य वार्ता चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी सीमा की ओर माल्दो में ‘बॉर्डर पर्सनल मीटिंग प्वाइंट’ पर हुई.


विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने माना कि इस साल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ है और वे इस पर राजी हुए कि इस मसले के तत्काल समाधान से संबंधों का और विकास होगा.’’ फलस्वरूप दोनों पक्ष स्थिति को हल करने तथा सीमा इलाके में शांति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी रखेंगे.


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